देश

करगिल@25: सोनू से कहना PCM की कोचिंग कर लेना… आज भी रुला देती है शहीद मनोज पांडे की ये आखिरी चिट्ठी


नई दिल्‍ली:

“आप लोग चिंता मत करना, अभी हमारी पोजीशन दुश्‍मन से अच्‍छी है, पर इनको भगाने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा…” ये करगिल में शहीद हुए एक सैनिक की आखिरी चिट्ठी के शब्‍द हैं. करगिल युद्ध को 25 साल बीत चुके हैं. पाकिस्‍तान के साथ हुए इस युद्ध में भारत के 527 जवान शहीद हो गए थे. शहादत से पहले भयंकर गोलीबारी के बीच सैनिकों ने अपनों को जो चिटि्ठयां लिखीं, वो अमर हो गई हैं. इनमें से कई चिट्ठियां जवानों की शहादत के कई दिनों बाद परिजनों को मिली. हमारे जवानों के लिए युद्धक्षेत्र में चिटि्ठयां ही सहारा थीं. बताते हैं कि तब करगिल, बटालिक और द्रास में सेना के पोस्टल सर्विस कोर ने म्यूल मेल यानी खच्चर के जरिये सैनिकों को उनकी चिट्ठियां पहुंचाई थीं. करगिल युद्ध में शहीद मनोज पांडे ने भी अपने परिजनों को चिट्ठी, लिखी थी, जो उनकी आखिरी चिट्ठी थी. The Hindkeshariअपनी स्पेशल सीरीज में 25 साल पहले शहादत की वो दास्तां आपने सामने रख रहा है…   

मनोज पांडे के माता-पिता नहीं चाहते थे कि उनका बेटी सेना में भर्ती हो. लेकिन मनोज की जिद थी कि वह सेना में भर्ती होंगे, तो माता-पिता ने इजाजत दे दी. मनोज के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्‍छी नहीं थी. मनोज के पिता की पान की दुकान है. बचपन में मनोज पुरानी किताबें लेकर पढ़ा करते थे. एनडीए में एडमीशन लेने के लिए भी उन्‍होंने सेकंड हैंड किताबों से पढ़ाई की थी. इसके बावजूद मनोज ने किसी प्राइवेट जॉब की जगह सेना में भर्ती होने का फैसला किया, ये उनके देशप्रेम के जज्‍बे को दर्शता था. यही जज्‍बा उनके छोटे भाइयों में भी देखने को मिलता है.  

यह भी पढ़ें :-  बीजापुर में सुरक्षाकर्मियों से मुठभेड़ में 10 नक्सली ढेर, मरने वालों में एक महिला भी शामिल

मनोज पांडे के पिता बताते हैं, “हम शिक्षित नहीं हैं, लेकिन हमने बेटे को शिक्षित किया था. वह बेहद समझदार था. इसलिए जो भी निणर्य लेता था, हम उसे मान लेते थे.”

मनोज पांडे के देशप्रेम के इसी जज्‍बे को पूरे देश ने सलाम किया. वह करगिल में जंग लड़ रहे थे, लेकिन इसके बावजूद उनको परिवार की भी चिंता थी. आखिरी चिट्ठी में उन्‍होंने लिखा था. “बुआ की तबीयत ठीक है, ये जानकार अत्‍यन्‍त प्रसन्‍नता हुई. आप लोग चिंता मत करना, अभी हमारी पोजीशन दुश्‍मन से अच्‍छी है, पर इनको भगाने में कम से कम एक महीने का समय लगेगा… सोनू से कहना PCM की कोचिंग कर लेना, लेकिन इसके साथ ही लखनऊ यूनिवर्सिटी में B.sc में एडमीशन की भी आवश्‍य कोशिश करे.”

Latest and Breaking News on NDTV

करगिल युद्ध… भारतीय सैनिकों के साहस का साक्षी

करगिल युद्ध, जिसे ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) के नाम से भी जाना जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच मई और जुलाई 1999 के बीच कश्मीर के करगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष का नाम है. युद्ध दो महीने से अधिक समय तक चला, जिसमें दोनों ओर से भारी नुकसान हुआ. भारतीय सेना ने धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से पाकिस्तानी सैनिकों को ऊंची चोटियों से खदेड़ दिया. युद्ध 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ, जब भारत ने सभी कब्जे वाले क्षेत्रों को वापस ले लिया था. युद्ध ने भारतीय सेना की क्षमताओं और दृढ़ संकल्प को साबित किया. युद्ध में कई वीर सैनिकों ने अपनी जान गंवाई, जिनमें कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन करण शेरगिल शामिल हैं. करगिल युद्ध को भारत में हर साल 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है.

यह भी पढ़ें :-  बोयरा की लड़ाई: जब 1971 की लड़ाई में IAF ने मार गिराए थे पाकिस्तान के 3 F-86 Sabre जेट

ये भी पढ़ें :- क्या पाकिस्तान ने भारत के सामने टेक दिए घुटने? समझिए नवाज शरीफ के कबूलनामे के मायने



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button