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केजरीवाल की सात मांगें और आठवां वेतन आयोग, दिल्ली में कितनी बड़ी है मिडिल क्लास की ताकत


नई दिल्ली:

आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को मध्य वर्ग या मिडिल क्लास के लिए अपनी पार्टी की ओर से कई मांगें रखी हैं.केजरीवाल ने मध्य वर्ग को कर आतंकवाद का शिकार बताया. उन्होंने देश के अगले बजट को मिडिल क्लास को समर्पित करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस वर्ग को सरकारों ने नजरअंदाज किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि दूसरी पार्टियों ने नोटबैंक और वोटबैंक बनाने के चक्कर में इस वर्ग को अनदेखा कर दिया. अरविंद केजरीवाल ने ये मांगें दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले की हैं. इससे पहले केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान किया था. केंद्र सरकार की योजना से दिल्ली में करीब चार लाख कर्मचारियों को फायदा होने वाला है. ऐसे में इन दोनों घोषणाओं को विधानसभा चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है. 

अरविंद केजरीवाल ने क्या मांग की है

अरविंद केजरीवाल ने एक वीडियो मैसेज में कहा कि मध्यम वर्ग भारतीय अर्थव्यवस्था की असली ताकत है, लेकिन लंबे समय से इसे नजरअंदाज किया गया है. उन्होंने कहा कि कर संग्रह के लिए इस वर्ग का शोषण किया गया है. उन्होंने मध्य वर्ग की चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य से सात सूत्रीय घोषणा पत्र जारी किया. उन्होंने शिक्षा बजट को जीडीपी के दो फीसद से बढ़ाकर 10 फीसदी करने और निजी स्कूलों की फीस की सीमा तय करने, आयकर छूट की सीमा को सात लाख रुपये से बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक करने की भी मांग की है.

इसके साथ ही केजरीवाल ने आम आदमी के काम आने वाले जरूरी वस्तुओं से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) हटाने की मांग की है. उनका कहना था कि इससे मध्य वर्ग के परिवारों पर प्रतिकूल असर पड़ता है. उन्होंने निजी और सरकारी दोनों अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों के लिए मुफ्त इलाज और मजबूत सेवानिवृत्ति योजनाओं की मांग की है. उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को रेल यात्रा में मिलने वाली छूट को फिर बहाल करने की मांग की है. अरविंद केजरीवाल ने ये मांगे चुनाव के दौरान की हैं.उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी के सांसद संसद के आगामी सत्र में इन मांगों को उठाएंगे.

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विधानसभा चुनाव के दौरान आठवें वेतन आयोग का गठन

इससे पहले पिछले हफ्ते केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी. हालांकि इसके प्रमुख और दो सदस्यों की नियुक्ति अभी तक नहीं की गई थी. सरकार के इस कदम से केंद्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारियों और पेंशनरों को फायदा होने की उम्मीद है.केंद्र सरकार ने वेतन आयोग के गठन की घोषणा ऐसे समय की जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. हालांकि केंद्र सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र में तीन दिसंबर को राज्य सभा में बताया था कि सरकार के पास आठवें वेतन आयोग के गठन का प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. समाजवादी पार्टी के जावेद अली और रामजी लाल सुमन ने  आठवें वेतन आयोग के गठन को लेकर सवाल पूछा था.वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने उनके सवाल का जवाब दिया था. 

ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा को दिल्ली विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है. दरअसल आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हो जाने के बाद सरकारी कर्मचारियों के वेतन में जबरदस्त इजाफा होने की संभावना है. इसी तरह से पेंशनरों के पेंशन में भी काफी इजाफा होगा. केंद्र सरकार की इस घोषणा से दिल्ली में करीब चार लाख सरकारी कर्मचारियों को फायदा होना है.

दिल्ली में कितने सरकारी कर्मचारी हैं मतदाता

दिल्ली में करीब चार लाख सरकारी कर्मचारी रहते हैं. अगर इनके परिवार समेत इनके वोट को देखा जाए, तो इन परिवारों में करीब 10 लाख वोट हैं. दिल्ली के लिए यह एक बड़ा वोट बैंक हैं. दिल्ली में आरके पुरम, नेताजी नगर, मिंटो रोड, रानी लक्ष्मी बाई रोड, सरोजनी नगर, पहाड़गंज, मालवीय नगर, सिरी फोर्ट रोड, मंडी हाउस, एंड्रूयज गंज, पुष्प विहार, तिमारपुर, लोधी कॉलोनी और मयूर विहार फेस वन जैसी कई कॉलोनियां हैं, जहां बहुतायत में सरकार कर्मचारी रहते हैं. इन कॉलोनियों के लोग अपनी अपनी विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. दिल्ली में  नई दिल्ली, दिल्ली कैंट, पहाड़गंज, पटेल नगर और आरके पुरम जैसी करीब 10 विधानसभा सीटों पर इन सरकारी कर्मचारियों का प्रभाव है. 

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मिडिल क्लास पर क्यों है जोर

दिल्ली की 45 फीसदी आबादी मध्य वर्ग है. यह वर्ग स्विंग वोटर है. सरकार के खिलाफ लोगों की नाराजगी को दूर करने के लिए आप मध्य वर्ग के लिए मांगें लेकर आई है.मतदान करने के मामले में गरीब तबके से पीछे रहता है मिडिल क्लास, लेकिन अगर यह वर्ग नाराज हुआ तो, यह आप को भारी पड़ सकती है. इस स्थिति में आम आदमी पार्टी की मांगों को इसी सरकारी कर्मचारियों की मांगों से जोड़कर देखा जा रहा है. क्योंकि इन मागों के पूरा होने पर सबसे अधिक फायदा सरकारी कर्मचारियों में अधिक देखने को मिलेगा. अब इस लड़ाई में असली फायदा किसे होगा इसका पता आठ फरवरी को चलेगा, जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे. दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान पांच फरवरी को कराया जाएगा. 

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