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Key Constituency 2024: वाराणसी में कभी कांग्रेस का था 'कब्जा', अब बजता है यहां BJP का 'डंका'

आबादी और लोकसभा सीटों की संख्या के लिहाज़ से देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की वाराणसी संसदीय सीट पर आम चुनाव 2009 में भी BJP का ही कब्ज़ा रहा था, और वरिष्ठ नेता डॉ मुरली मनोहर जोशी ने जीत हासिल की थी, जबकि 2014 और 2019 के आम चुनाव में नरेंद्र मोदी यहां से सांसद चुने गए और देश के प्रधानमंत्री पद पर विराजे. वाराणसी सीट में पांच विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र शामिल हैं.

इतिहास की बात करें, तो इस सीट पर आज़ादी के बाद से अब तक 17 बार चुनाव हुआ है, जिनमें कांग्रेस और BJP ने सात-सात बार विजयश्री पाई है, जबकि एक-एक बार जनता दल, सीपीएम और जनता पार्टी ने जीत हासिल की.

PM नरेंद्र मोदी ने वाराणसी की दी हैं सौगातें…

2014 में पहली बार यहां से सांसद बनने से लेकर अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वाराणसी को कई सौगातें दे चुके हैं. PM ने यहां का सांसद बनने के बाद श्री काशी विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर विकसित करवाया, वाराणसी शहर के साथ लगने वाले ग्रामीण इलाकों में विकास कार्य करवाए और अगर गंगा घाट की बात करें, तो PM ने घाट, मंदिर, कुंड, तालाब, सहयोगी नदियां, सड़कें, गलियां, बिजली – सभी को बेहतर करने पर शुरू से ज़ोर दिए रखा. इसके अलावा, PM ने कुछ ही दिन पहले वाराणसी में एक क्रिकेट स्टेडियम की आधारशिला भी रखी है.

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वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास…

वाराणसी लोकसभा सीट के बारे में पूरी जानकारी आप तक तभी पहुंच सकती है, जब आप इसके चुनावी इतिहास को समझें. वाराणसी में पहली बार 1952 में चुनाव हुआ, और कांग्रेस के नेता रघुनाथ सिंह सांसद चुने गए. 1957 और 1962 में भी जनता ने रघुनाथ सिंह पर ही विश्वास दिखाया. 1967 में यहां पहली बार मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, यानी सीपीएम के सत्य नारायण सिंह ने चुनाव जीता. फिर 1971 में कांग्रेस की वापसी हुई, और राजाराम शास्त्री सांसद बन गए. अगले ही चुनाव में एमरजेंसी के बाद कांग्रेस-विरोधी लहर के दौरान जनता पार्टी के चंद्रशेखर चुनाव जीते. यह वही चंद्रशेखर थे, जो कालांतर में देश के प्रधानमंत्री भी बने थे.

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1980 में फिर कांग्रेस लौटी, और कमलापति त्रिपाठी वारणसी से संसद पहुंचे. 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर के चलते भी कांग्रेस ही जीती, और श्यामलाल यादव को जीत हासिल हुई. 1989 में फिर वाराणसी का मन बदला, और पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के पुत्र अनिल शास्त्री ने जनता दल की टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की.

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1991 में वाराणसी ने पहली बार BJP पर भरोसा जताया, और श्रीष चंद्र दीक्षित को सांसद बनने का मौका दिया. इसके बाद 1996, 1998 और 1999 में भी लगातार तीन चुनाव BJP ने ही जीते, और शंकर प्रसाद जायसवाल सांसद बने. लेकिन 2004 में कांग्रेस फिर बाज़ी मार गई, और राजेश कुमार मिश्रा संसद पहुंच गए. बस, उसके बाद कांग्रेस यहां से कभी नहीं जीती है, और 2009 में डॉ जोशी और 2014 और 2019 में मौजूदा PM नरेंद्र मोदी वाराणसी से चुनाव जीतते आ रहे हैं.

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