किरोड़ीलाल मीणा ने यूं ही नहीं किया 'रघुकुल' वाला त्याग, राजस्थान की राजनीति समझिए
नई दिल्ली:
राजस्थान के कृषि मंत्री डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. यह बात उन्होंने गुरुवार को सार्वजनिक की. राजनीतिक हल्के में कहा यह जा रहा है कि उन्होंने अपना इस्तीफा करीब 10 दिन पहले ही सौंप दिया है. उनका इस्तीफा अभी स्वीकार नहीं किया गया है.मीणा ने यह इस्तीफा दौसा लोकसभा सीट पर बीजेपी की हुई हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए दिया है.मीणा के इस्तीफे ने राजस्थान बीजेपी में खलबली पैदा कर दी है.उनके इस्तीफे ने प्रदेश के उन बीजेपी नेताओं पर दबाव बढ़ा दिया है, जिनके इलाके में बीजेपी हारी है.
किरोड़ी लाल मीणा ने क्यों दिया इस्तीफा
मीणा ने लोकसभा चुनाव प्रचार में कहा था कि अगर बीजेपी उम्मीदवार दौसा सीट हार गया तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. हालांकि बाद में उन्होंने घोषणा की कि पीएम नरेंद्र मोदी ने उन्हें सात सीटों की जिम्मेदारी सौंपा है. इन सीटों पर भी अगर बीजेपी हारी तो वे मंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. चुनाव में बीजेपी दौसा के साथ-साथ करौली-धौलपुर,टोंक-सवाई माधोपुर और भरतपुर सीट भी हार गई.
पूर्वी राजस्थान में किरोड़ी लाल मीणा का कद
इस बीच बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के बाद खाली हुई विधानसभा की झुंझुनूं,खींवसर,दौसा, देवली-उनियारा और चौरासी सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भी प्रभारियों की नियुक्ति कर दी है.किरोड़ीलाल मीणा को दौसा सीट का प्रभारी बनाया गया है.मीणा के साथ उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा को भी प्रभारी बनाया गया है. दौसा के कांग्रेस विधायक मुरारीलाल मीणा के सांसद चुने जाने के बाद उपचुनाव कराया जा रहा है. उन्होंने बीजेपी के कन्हैयालाल मीणा को दो लाख 37 हजार से अधिक वोटों के अंतर से हराया था.
दौसा कांग्रेस का मजबूत गढ़ है.बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जिले की पांच में से चार सीटों पर हार गई थी, लेकिन वह दौसा में बीजेपी को लगातार दूसरी बार हराने में कामयाब रही थी.यह गुर्जर-मीणा बाहुल्य इलाका है. कांग्रेस ने एक मीणा को टिकट देकर बीजेपी के मंसूबों को ध्वस्त कर दिया था. सचिन पायलट के समर्थन से कांग्रेस की जीत आसान हो गई थी.दौसा में बीजेपी की हार को किरोड़ी लाल मीणा की हार के तौर पर देखा गया.वैसे में दौसा विधानसभा उपचुनाव में भी मीणा की प्रतिष्ठा एक बार फिर दांव पर है.
राजस्थान की आदिवासी राजनीति
राजस्थान की राजनीति में पूर्वी राजस्थान के इस हिस्से को कांग्रेस नेता सचिन पायलट और किरोड़ी लाल मीणा के गढ़ के रूप में देखा जाता है.लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस हिस्से में हार का सामना करना पड़ा है.मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा भी पूर्वी राजस्थान से ही आते हैं. \
किरोड़ी लाल मीणा राजस्थान की राजनीति में जनजातियों खासकर मीणाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. राजस्थान की आबादी में जनजाति की आबादी 13 फीसदी से अधिक है. इनमें मीणा आबादी करीब छह फीसदी है. लेकिन भारत आदिवासी पार्टी तेजी से राजस्थान के आदिवासियों में लोकप्रिय हो रही है.पहली बार चुनाव लड़ने वाली बीएपी ने चार विधायक और एक सांसद जिता लिए हैं.
किरोड़ी लाल मीणा की बगावत
मीणा आबादी को देखते हुए ही बीजेपी किरोड़ी लाल मीणा को हरहाल में अपने साथ रखती है.वसुंधरा राजे के साथ नाराजगी के बाद उन्होंने बीजेपी छोड़ दी थी. साल 2013 के चुनाव में उन्होंने 150 सीटों पर अपने उम्मीदवार भी खड़े कर दिए थे. वो चार सीटें जीतने में सफल भी हो गए थे. इसके बाद 2018 के चुनाव से पहले वो दुबारा बीजेपी में लौट आए. बीजेपी ने उन्हें राज्य सभा में भी भेजा था.
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