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दुनिया

किस्सा कुर्स्क का: तब हिटलर हारा और अब जेलेंस्की! समझिए पुतिन के लिए क्यों यह बड़ी जीत है


मॉस्को:

रूस-यूक्रेन युद्ध में निर्णायक मोड़ नजर आ रहा है. रूस का दावा है कि यूक्रेनी सेना को कुर्स्क में उनके कब्जे वाले 86 फीसदी से अधिक क्षेत्र से बाहर खदेड़ दिया गया है. कुर्स्क में हावी होने के बाद जेलेंस्की को यकीन था कि बातचीत की टेबल पर यूक्रेन के लिए एक बढ़त होगी. लेकिन अब यूक्रेन कुर्स्क क्षेत्र में अपनी पैठ खोता जा रहा है. मास्को का दावा है कि कीव की सेनाएं पीछे हट रही हैं. कुर्स्क के नतीजों के साथ ही यूक्रेन के युद्ध में हार की भविष्यवाणी भी की जा रही है. 

राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को रूस के पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र में यात्रा की. सैन्य वर्दी में पहुंचे पुतिन ने हर किसी को हैरान कर दिया. यह दौरा यूक्रेनी सेना द्वारा क्षेत्र के कुछ इलाकों पर कब्जा किए जाने के बाद पहली बार हुआ है. उन्होंने सेना को तेजी से आगे बढ़ने और यूक्रेनी बलों से बचे हुए क्षेत्र को तेजी से वापस लेने का आदेश दिया.

‘कुर्स्क में पकड़े गए युक्रेनी सैनिक रूस के लिए आतंकवादी’

पुतिन की यह यात्रा ऐसे समय में हुई है, जब वॉशिंगटन ने यूक्रेन से बातचीत के बाद रूस को 30 दिन के युद्ध विराम प्रस्ताव पर विचार करने को कहा था. साथ ही पुतिन ने कहा है कि रूस कुर्स्क क्षेत्र में पकड़े गए यूक्रेनी सैनिकों को आतंकवादी मानेगा. उन्होंने यह भी कहा कि विदेशी भाड़े के सैनिक जिनेवा संधि (Geneva Convention) के दायरे में नहीं आते. इसका मतलब उन्हें युद्धबंदी नहीं माना जाएगा और ना ही रूस उनके प्रति मानवीय व्यवहार बरतेगा.

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इससे पहले रूसी मीडिया ने एक वीडियो भी शेयर किया था, जिसमें पुतिन की सेना के पहुंचने के बाद कुर्स्क क्षेत्र के निवासी भावुक बताए गए. वीडियों में दावा किया गया कि एक गांव को आजाद कराने के बाद बुजुर्ग महिला ने रूसी सैनिकों का आभार जताते हुए कहा, ‘हमारे जवान आ गए’

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यूक्रेन ने दुनिया को चौंकाया था, अब उसे झटका मिला

जिस कुर्स्क में नाजी सेना हारी थी, वहां यूक्रेनी सेना ने कब्जा कर दुनिया को हैरान किया. फरवरी 2022 में शुरू हुई रूस-यूक्रेन की जंग के 2 साल बाद फिर से यूक्रेन कुर्स्क में घुस आया. करीब 81 साल बाद यह मौका था जब रूसी क्षेत्र में कोई विदेशी सेना घुस पाई. पिछले साल गर्मियों में रूस के कुर्स्क क्षेत्र में हजारों यूक्रेनी सैनिक घुस गए थे. 

यूक्रेन के इस कदम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया. क्योंकि जंग शुरू होने के दौरान कहा जा रहा था कि परमाणु ताकत वाले रूस के सामने यूक्रेन जैसा छोटा देश ज्यादा समय तक नहीं टिकेगा. अब अमेरिका में ट्रंप प्रशासन के आने के बाद बहुत कुछ बदल चुका है. यूक्रेन को ना तो अमेरिकी सहायता मिल रही है और ना ही कोई खुफिया जानकारी.  

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क्या हिटलर वाली गलती कर बैठे जेलेंस्की?

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिटलर-स्टालिन की संधि तोड़ते हुए नाजी की सेना ने  22 जून 1941 को ‘ऑपरेशन बारबारोसा’ के जरिए रूस पर आक्रमण कर दिया था. लेकिन कड़ाके की ठंड और सोवियत सेना के मजबूत पलटवार ने नाजियों को पीछे धकेल दिया था. इसके बाद हिटलर ने गर्मी के मौसम में रूस को जीतने के लिए सेना उतारी. इस बार सेना ने कुर्स्क में आक्रमण किया था. 

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साल 1943 में जुलाई-अगस्त के दौरान हुई यह लड़ाई ‘इतिहास की सबसे बड़ी टैंक लड़ाई’ थी. लेकिन परिणाम फिर नाजियों के पक्ष में नहीं रहे और सोवियत सेना ने जर्मन को हरा दिया. इतिहास में इसे नाजियों को ऐतिहासिक भूल कहा गया, जिसने जर्मन सेना की रीढ़ तोड़ थी. यह द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर की हार के लिए निर्णायक मोड़ भी माना जाता है. जेलेंस्की का यह कदम भी हिटलर की ऐतिहासिक भूल से की तरह ही साबित होती नजर आ रही है.

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पुतिन का अब अगला दांव क्या होगा?

पहली बार पुतिन की सेना को अपमान तब झेलना पड़ा, जब मार्च 2022 में यूक्रेनी राजधानी के पास से रूसी सेना की शर्मनाक वापसी हुई. इसके बाद अगस्त 2024 को भी यूक्रेनी सेना ने कुर्स्क ओब्लास्ट के कब्जे वाले हिस्सों में एक सैन्य प्रशासन की स्थापना की घोषणा की. वहीं, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अब भले ही यूक्रेनी सेना को खदेड़ने का दावा रूस करें, लेकिन इसने विश्वभर में पुतिन को कमजोर साबित किया है.


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