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13 साल पहले CMO ब्रह्म प्रसाद सिंह और विनोद आर्य की हत्या की पूरी कहानी क्या है, यहां जानिए


नई दिल्ली:

देश के चर्चित सीएमओ डॉ. विनोद आर्य और डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह हत्याकांड में शुक्रवार को कोर्ट ने दोषियों को सजा सुना दी. इस मामले में कोर्ट ने शूटर आनंद प्रकाश तिवारी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके अलावा 58,000 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. जबकि सबूतों की कमी के चलते विनोद शर्मा और राम कृष्ण वर्मा को कोर्ट की तरफ से बरी कर दिया गया. सीएमओ डा. विनोद आर्य और ब्रह्म प्रसाद सिंह हत्याकांड में ये फैसला विशेष न्यायाधीश सीबीआइ कोर्ट अनुरोध मिश्रा ने बुधवार को सुनाया. इस हत्याकांड में विनोद शर्मा और राम कृष्ण वर्मा पर आरोप तय नहीं हो सके इसलिए उन्हें कोर्ट ने बरी कर दिया.

इस दोहरे हत्याकांड को कब दिया गया अंजाम

बाइक सवार बदमाशों ने लखनऊ में 27 अक्टूबर 2010 को परिवार कल्याण विभाग के उस वक्त के सीएमओ विनोद आर्य पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा कर उनकी हत्या कर दी थी. उनकी हत्या तब गई, जब वह घर से टहलने के लिए निकले थे. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में विनोद आर्य को पांच गोलियां मारे जाने की पुष्टि हुई थी. इसके बाद आर्य की जगह नए सीएमओ बने बीपी सिंह की अप्रैल 2011 में हत्या कर दी गई थी. गौर करने वाली बात ये है कि इन दोनों हत्याकांड को छह महीनों के भीतर ही अंजाम दिया गया था. इस दोहरे हत्याकांड ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया. यही वजह है कि इन हत्याओं को लेकर जमकर बवाल भी हुआ.

किस वजह से की गई दोनों डॉक्टर्स की हत्या

प्रदेश में जब इस हत्याकांड को अंजाम दिया गया, तब राज्य में बहुजन समाज पार्टी की सरकार थी. तब बीएसपी सरकार ने दोनों हत्याकांडों की जांच सीबीआइ को सौंपी थी. जब इस मामले को लेकर कोर्ट में सुनवाई हुई, तब यह भी दलील दी गई कि ये हत्याकांड एनआरएचएम घोटाले से जुड़ा है. दरअसल इन दोनों हत्याकांडों की जांच के दौरान ही डिप्टी सीएमओ डॉ. सचान की जेल के अंदर ही संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी. हालांकि डिप्टी सीएमओ की मौत के मामले में न्यायायिक जांच हुई. इस मामले की जांच के बाद कहा गया कि इसे हत्या मानने से इंकार नहीं किया जा सकता. 

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सीबीआई ने दावा किया कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के तहत आवंटित बजट के व्यय से जुड़े मुद्दों की वजह से इस हत्या को अंजाम दिया गया. सीबीआई प्रवक्ता ने बताया कि आरोप है कि सचान ने आर्य एवं सिंह का सफाया करने के लिए आनंद प्रकाश तिवारी समेत ‘भाड़े के हत्यारों’ को सुपारी दी थी. बयान में कहा गया है , ‘‘ दोनों ही मामलों की जांच में स्थानीय पुलिस को वाई एस सचान की संलिप्तता के संकेत मिले थे, लेकिन जांच के दौरान उनकी मौत हो जाने के कारण उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया गया. ”

दोहरे हत्याकांड में पुलिस ने किसे-किसे किया गिरफ्तार

अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक इस मामले में गिरफ्तार किए गए 3 लोगों की पहचान राम कृष्ण वर्मा दो शूटर आनंद तिवारी और विनोद शर्मा के रूप में हुई. राम कृष्ण वर्मा और विनोद शर्मा दोष मुक्त हो गए. इस मामले में कई गवाह पीछे भी हट गए. इस हत्याकांड में वर्ष 2022 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की थी. उस वक्त जो चार्जशीट दायर की गई उसमें लिखा था कि सीएमओ डा. विनोद आर्या, डा. ब्रह्म प्रसाद सिंह की हत्या की साजिश में डिप्टी सीएमओ डा. योगेंद्र सचान शामिल थे. यूपी पुलिस ने सीएमओ ब्रह्म प्रसाद सिंह हत्याकांड में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था. पुलिस के अनुसार, उनमें से दो शूटर थे, जिन्होंने 2 अप्रैल, 2011 को डॉ. सिंह की हत्या करने के लिए उनके डिप्टी डॉ. योगेंद्र सिंह सचान के कहने पर गोली चलाई थी.

ब्रह्म प्रसाद सिंह की हत्या के लिए दी गई थी सुपारी

पुलिस ने तब ये भी दावा किया था कि शूटरों में से एक ने पूछताछ के दौरान कबूल किया है कि डॉ. सचान ने डॉ. विनोद कुमार आर्य की हत्या के लिए भी उससे संपर्क किया था.  डॉ. सचान ने डॉ. सिंह को रास्ते से हटाने के लिए 7 लाख रुपये की सुपारी दी थी. तब एसटीएफ ने भी दावा किया था कि पूछताछ के दौरान तीनों आरोपियों ने स्वीकार किया कि डॉ. सचान विभाग का कार्यभार संभालने के बाद से ही डॉ. सिंह से नाराज थे. पुलिस का दावा ये भी था कि कि डॉ. सिंह ने 27 अक्टूबर 2010 से 26 फरवरी 2011 के बीच डॉ. सचान के कार्यवाहक सीएमओ रहने के दौरान चार महीनों के विभिन्न खर्चों का हिसाब मांगना शुरू कर दिया था.

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हत्या के लिए कैसे किया गया शूटर्स का बंदोबस्त

जब डॉ. सिंह ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की धमकी दी तो डॉ. सचान का धैर्य जवाब दे गया. इससे तंग आकर डॉ. सचान ने अपने मित्र राम कृष्ण वर्मा से संपर्क किया और उससे ऐसे शूटर्स का बंदोबस्त करने को कहा जो कि डॉ. सिंह की हत्या कर सकें. इसके बाद वर्मा ने आनंद तिवारी से संपर्क किया और डॉ. सचान के साथ उनकी मुलाकात तय की. इसी मुलाकात के दौरान डॉ. सचान ने डॉ. सिंह की हत्या के लिए शूटर्स का बंदोबस्त किया. मुलाकात के दौरान डॉ. सचान ने आनंद को 7 लाख रुपये देने का वादा किया और संविदा पर नौकरी दिलाने का आश्वासन दिया. डॉ. सचान ने आनंद से यह भी कहा कि डॉ. सिंह की हत्या के बाद कोई और इस पद पर आने की हिम्मत नहीं करेगा.

शूटर्स की साजिश पहले हो चुकी थी नाकाम

आनंद ने इस काम में रुचि दिखाई तो डॉ. सचान ने उसे 50 हजार रुपये एडवांस दिए और काम पूरा होने के बाद बाकी रकम देने का आश्वासन दिया. इसके बाद डॉ. सचान ने आनंद को सीएमओ, परिवार कल्याण कार्यालय बुलाया. कार्यालय में आनंद ने डॉ. सिंह को पहचाना और फिर डॉ. सचान ने डॉ. सिंह के गोमतीनगर के पते के बारे में भी बताया. इसके बाद आनंद ने विनोद से संपर्क किया, जो उसे लंबे समय से जानता था. इसके बाद आनंद और विनोद ने 31 मार्च को डॉ. सिंह की हत्या की योजना बनाई. हालांकि, उस दिन सुबह डॉ. सिंह के साथ पांच-छह लोग मौजूद थे. इसलिए आनंद और विनोद ने उस दिन हत्या को अंजाम नहीं दिया.

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कैसे की गई डॉ. ब्रह्म प्रसाद सिंह की हत्या 

2 अप्रैल को आनंद और विनोद ने फिर अपनी योजना पर काम किया. विनोद मोटरसाइकिल चला रहा था और डॉ. सिंह के पास पहुंचा. पीछे की सीट पर बैठे आनंद ने डॉ. सिंह पर पीछे से पहली गोली चलाई. इसके बाद डॉ. सिंह के साथ मौजूद होम्योपैथ डॉ. पीके सिंह पास के नाले में कूद गए और छिप गए. आनंद ने फिर आगे आकर फायरिंग शुरू कर दी. विनोद ने भी डॉ. सिंह पर फायरिंग की. शूटरों ने एसटीएफ को यह भी बताया कि चूंकि उन्हें जानकारी थी कि डॉ. सिंह अपने साथ लाइसेंसी हथियार रखने की आदत रखते हैं, इसलिए उन्होंने ज्यादा से ज्यादा गोलियां चलाई.

 


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