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अटल जयंती पर पीएम मोदी के लिखे लेख में क्या कुछ खास, इन 10 प्वाइंटर्स में जानें

  1. पीएम मोदी ने कहा कि 25 दिसंबर का दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है. आज पूरा देश अपने भारत रत्न अटल को, उस आदर्श विभूति के रूप में याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी सौम्यता, सहजता और सहृदयता से करोड़ों भारतीयों के मन में जगह बनाई. पूरा देश उनकी राजनीति और उनके योगदान के प्रति कृतज्ञ है.
  2. पीएम मोदी ने कहा कि 25 दिसंबर का दिन भारतीय राजनीति और भारतीय जनमानस के लिए एक तरह से सुशासन का अटल दिवस है. आज पूरा देश अपने भारत रत्न अटल को, उस आदर्श विभूति के रूप में याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी सौम्यता, सहजता और सहृदयता से करोड़ों भारतीयों के मन में जगह बनाई. पूरा देश उनकी राजनीति और उनके योगदान के प्रति कृतज्ञ है.
  3. अपने लेख में पीएम मोदी ने लिखा कि सामान्य परिवार से आने वाले अटल जी ने देश को स्थिरता और सुशासन का माडल दिया और भारत को नव विकास की गारंटी दी. वह ऐसे नेता थे, जिनका प्रभाव आज तक अटल है. वह भविष्य के भारत के परिकल्पना पुरुष थे. उनकी सरकार ने देश को आइटी और दूरसंचार की दुनिया में तेजी से आगे बढ़ाया. उनके शासनकाल में ही तकनीक को सामान्य मानवी की पहुंच तक लाने का काम शुरू किया गया.
  4. पीएम मोदी ने लिखा कि वाजपेयी जी की सरकार में शुरू हुई जिस स्वर्णिम चतुर्भुज योजना ने महानगरों को एक सूत्र में जोड़ा, वह आज भी स्मृतियों पर अमिट है. लोकल कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए भी उनकी गठबंधन सरकार ने पीएम ग्राम सड़क योजना जैसे कार्यक्रम शुरू किए. उनके शासनकाल में दिल्ली मेट्रो शुरू हुई, जिसका विस्तार आज हमारी सरकार एक वर्ल्ड क्लास इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के रूप में कर रही है. ऐसे ही प्रयासों से उन्होंने आर्थिक प्रगति को नई शक्ति दी. 
  5. जब भी जब भी सर्व शिक्षा अभियान की बात होती है, तो अटल जी की सरकार का जिक्र जरूर होता है. वह चाहते थे कि भारत के सभी वर्गों यानी एससी, एसटी, ओबीसी और महिलाओं के लिए शिक्षा सहज और सुलभ हो.
  6. अटल सरकार के कई ऐसे साहसिक कार्य हैं, जिन्हें आज भी हम देशवासी गर्व से याद करते है. देश को अब भी 11 मई 1998 का वह गौरव दिवस याद है, जब एनडीए सरकार बनने के कुछ ही दिन बाद पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण हुआ. इस परीक्षण के बाद दुनियाभर में भारत के वैज्ञानिकों को लेकर चर्चा होने लगी. कई देशों ने खुलकर नाराजगी जताई, लेकिन अटल जी की सरकार ने किसी दबाव की परवाह नहीं की.
  7. पीएम मोदी ने लिखा कि अटल जी की बोलने की कला का कोई सानी नहीं था. विरोधी भी उनके भाषणों के मुरीद थे. उनका यह कथन ‘सरकारें आएंगी, जाएंगी, पार्टियां बनेंगी, बिगड़ेंगी, मगर यह देश रहना चाहिए’, आज भी मंत्र की तरह सबके मन में गूंजता रहता है. एनडीए की स्थापना के साथ उन्होंने गठबंधन की राजनीति को नए सिरे से परिभाषित किया. 
  8. अटल जी ने कभी असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया. उनमें सत्ता की लालसा नहीं थी. 1996 में उन्होंने जोड़-तोड़ की राजनीति न चुनकर, पीएम पद से इस्तीफा देने का रास्ता चुना. राजनीतिक षड्यंत्रों के कारण 1999 में उन्हें सिर्फ एक वोट के अंतर के कारण प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. वह आपातकाल के खिलाफ लड़ाई का भी बड़ा चेहरा बने. 
  9. पीएम मोदी ने लिखा कि जब विदेश मंत्री बनने के बाद जब संयुक्त राष्ट्र में भाषण देने का अवसर आया, तो भारत रत्न अटल जी ने हिंदी में अपनी बात कही. उन्होंने भारत की विरासत को विश्व पटल पर रखा. उन्होंने भाजपा की नींव तब रखी, जब कांग्रेस का विकल्प बनना आसान नहीं था.
  10. अटल जी ने लालकृष्ण आडवाणी और डा. मुरली मनोहर जोशी जैसे दिग्गजों के साथ पार्टी को अनेक चुनौतियों से निकालकर सफलता के सोपान तक पहुंचाया. जब भी सत्ता और विचारधारा के बीच एक को चुनने की स्थितियां आईं, उन्होंने विचारधारा को खुले मन से चुना. वह देश को यह समझाने में सफल हुए कि कांग्रेस के दृष्टिकोण से अलग एक वैकल्पिक वैश्विक दृष्टिकोण संभव है.
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