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पूजा खेडकर की गिरफ्तारी पर रोक बरकरार; जानें आज की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ


नई दिल्ली:

बर्खास्त ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर की अग्रिम ज़मानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण जारी रहेगा. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने खेड़कर को जवाबी हलफनामा दाखिल करने के लिए वक्त दिया. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अगले महीने की 15 तारीख को सुनवाई होगी. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने  यूपीएससी और दिल्ली पुलिस  को नोटिस जारी किया था.

पूजा पर UPSC परीक्षा में धोखाधड़ी का आरोप

इसके साथ ही कोर्ट ने पूजा खेड़कर की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी. पूजा खेडकर पर UPSC परीक्षा में धोखाधड़ी और गलत तरीके से ओबीसी और दिव्यांग कोटे का फायदा उठाने का आरोप है. इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी. इस फैसले को खेड़कर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को प्रदान की गई गिरफ्तारी से संरक्षण की अवधि 17 मार्च तक बढ़ा दी थी.

क्या दिव्यांगजनों के कोटे का किया गलत यूज

उन पर सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) तथा दिव्यांगजनों को मिलने वाले आरक्षण का अनुचित तरीके से लाभ उठाने का आरोप है. न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने खेडकर को जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय देने का अनुरोध किया था. खेडकर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि पुलिस उन्हें जांच के लिए नहीं बुला रही है और वह आने को तैयार हैं.

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कोर्ट ने कब लगाई थी पूजा की गिरफ्तारी पर रोक

खेडकर को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण तब दिया गया था, जब उच्च न्यायालय ने 12 अगस्त, 2024 को उनकी अग्रिम जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था और इसे समय-समय पर बढ़ाया गया था. खेडकर के वकील ने दलील दी थी कि उनकी मुवक्किल जांच में शामिल होने और सहयोग करने के लिए तैयार थीं और चूंकि सभी सामग्री दस्तावेजी प्रकृति की थी इसलिए उनकी हिरासत की आवश्यकता नहीं थी, जबकि दिल्ली पुलिस ने इस मामले में अन्य लोगों की संलिप्तता का पता लगाने के लिए खेडकर को हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर जोर दिया.

हालांकि तब यूपीएससी ने याचिका का विरोध किया और कहा कि खेडकर ने उसके और आम लोगों से धोखाधड़ी की है तथा धोखाधड़ी के प्रभाव का पता लगाने के लिए उन्हें हिरासत में लेकर पूछताछ करना आवश्यक है, क्योंकि इसे दूसरों की मदद के बिना नहीं किया जा सकता था. आयोग ने खेडकर के खिलाफ कई कार्रवाई शुरू की, जिसमें गलत पहचान बताकर सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज करना शामिल था और दिल्ली पुलिस ने विभिन्न अपराधों के लिए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की.



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