देश

दिल्ली विधानसभा चुनाव : जंगपुरा की जंग में कितने मजबूत मनीष सिसोदिया? जानिए पूरा गणित


नई दिल्ली:

जंगपुरा सीट (Jangpura seat) लाजपत नगर से लेकर दरियागंज तक फैली हुई है. इस सीट पर इस चुनाव में रोचक मुकाबले की संभावना है. दिल्ली के पूर्व उपमुख्य़मंत्री मनीष सिसोदिया के मैदान में आने के बाद पूरे देश की इस सीट पर नजर है. यह सीट मुस्लिम बहुल मानी जाती है, जहां मुस्लिम मतदाताओं का प्रभाव निर्णायक भूमिका निभाता है. कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर  दिल्ली नगर निगम के पूर्व मेयर फरहाद सूरी को टिकट दिया है. बीजेपी की तरफ से अभी उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हुई है. मनीष सिसोदिया अपनी पतपड़गंज सीट छोड़कर जंगपुरा से चुनाव लड़ने के लिए आए हैं. 

जंगपुरा सीट का क्या रहा है चुनावी इतिहास
जंगपुरा सीट पर 1993 से 2008 के बीच इस कांग्रेस और BJP के बीच मुकाबला रहा. इस सीट पर अधिकतर चुनावों में इस दौरान कांग्रेस पार्टी को जीत मिली. 2013 के चुनाव में आम आदमी पार्टी ने इस क्षेत्र में मजबूत आधार बना लिया और कांग्रेस व BJP को हाशिए पर धकेल दिया. इस सीट से 1993 में भारतीय जनता पार्टी को जीत मिली थी. वहीं 1998,2003 और 2008 में कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल रहे थे.  2013, 2015 और 2020 में आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर जीत हासिल की.  

जंगपुरा सीट पर कब किस दल को मिली जीत

विधानसभा चुनाव जीत हार
1993 बीजेपी कांग्रेस
1998 कांग्रेस बीजेपी
2003 कांग्रेस बीजेपी
2008 कांग्रेस बीजेपी
2013 आम आदमी पार्टी कांग्रेस
2015 आम आदमी पार्टी बीजेपी
2020 आम आदमी पार्टी बीजेपी
यह भी पढ़ें :-  दिल्ली की इस कॉलोनी को 60 साल बाद ड्रग्स माफियाओं से मिली मुक्ति, काम आई पुलिस की ये रणनीति

जंगपुरा सीट का क्या है सामाजिक समीकरण?
जंगपुरा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता बहुसंख्यक हैं और यह चुनावी परिणामों में सबसे निर्णायक भूमिका निभाते हैं. ये मतदाता आमतौर पर कांग्रेस और AAP को प्राथमिकता देते रहे हैं. 2013 के बाद से मुस्लिम मतदाताओं का झुकाव AAP की तरफ बढ़ा है. सिख और पंजाबी समुदाय के मतदाताओं की भी इस सीट पर अच्छी संख्या है. सिख और पंजाबी वोटर्स पर आप और बीजेपी की पकड़ है. जिनमें ब्राह्मण, वैश्य, और अनुसूचित जाति के लोगों का झुकाव बीजेपी की तरफ रहा है. 

  • अनुसूचित जाति और गरीब वर्ग के मतदाता जंगपुरा में बड़ी संख्या में हैं.
  • AAP ने अपनी सामाजिक योजनाओं (पानी, बिजली, शिक्षा, और स्वास्थ्य) के जरिए इन मतदाताओं में मजबूत पकड़ बनाई है. 
  • जंगपुरा क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ी वाले इलाकों में रहने वाले गरीब और मजदूर वर्ग की संख्या भी है. इन वोटर्स का रुझान आप की तरफ रहा है. 
  • मुस्लिम, सिख, और झुग्गी-झोपड़ी के मतदाताओं का झुकाव जिस पार्टी की ओर होता है उसके जीत की अधिक संभावना होती है. 

जंगपुरा सीट पर मनीष सिसोदिया क्यों उतरे हैं? 
जंगपुरा सीट को आम आदमी पार्टी के लिए एक सुरक्षित और प्रभावशाली सीट मानी जाती है.  2020 और 2015 में AAP ने यहां से बड़े अंतर से जीत दर्ज की थी. मनीष सिसोदिया का इस सीट से उतरना पार्टी की रणनीति का हिस्सा है, जिससे यह सीट पार्टी के नियंत्रण में रहे. साथ ही मनीष सिसोदिया पिछले 5 साल के दौरान लंबे समय तक जेल में रहे. उससे पहले भी वो शराब घोटाले और डिप्टी सीएम होने के कारण बहुत अधिक समय अपने क्षेत्र के लोगों को नहीं दे पा रहे थे. ऐसे में आम आदमी पार्टी को एक आशंका थी कि कहीं उनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का माहौल न बन जाए इस कारण आप की तरफ से एक सुरक्षित सीट के तौर पर इसे चुना गया है. 

यह भी पढ़ें :-  राहुल गांधी की नागरिकता विवाद पर आपने क्या कार्यवाही की? इलाहाबाद HC ने सरकार से मांगी रिपोर्ट

ये भी पढ़ें-:

कालकाजी विधानसभा सीट: क्या AAP की होगी हैट्रिक? जानिए सीएम आतिशी की सीट का चुनावी समीकरण


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button