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ग्लेशियर पिघलने से 2 अरब लोगों के खाने और पानी पर संकट, जानिए UN की रिपोर्ट क्या बता रही

ग्लेशियर की प्रतिकात्मक तस्वीर

संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि ग्लेशियरों के पिघलने से दुनिया भर में 2 अरब लोगों की भोजन और पानी की सप्लाई को खतरा है. कहा गया है कि ग्लेशियर पिघलने की वर्तमान दर “अभूतपूर्व” है और इसके अप्रत्याशित परिणाम होंगे. संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी यूनेस्को ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जलवायु संकट के कारण ग्लेशियरों के घटने और पर्वतीय क्षेत्रों में घटती बर्फबारी के कारण दुनिया की सभी सिंचित कृषि का दो-तिहाई हिस्सा किसी न किसी तरह से प्रभावित होने की संभावना है.

यूनेस्को की इस रिपोर्ट का नाम विश्व जल विकास रिपोर्ट 2025 (World Water Development Report 2025) है. रिपोर्ट के अनुसार 1 अरब से अधिक लोग पर्वतीय क्षेत्रों में रहते हैं और विकासशील देशों में उनमें से आधे लोग पहले से ही खाद्य असुरक्षा का अनुभव कर रहे हैं. इस स्थिति के और खराब होने की संभावना है, क्योंकि ऐसे क्षेत्रों में खाद्य उत्पादन पहाड़ी पानी, पिघलती बर्फ और ग्लेशियरों पर निर्भर है.

विकसित देश भी खतरे की जद में हैं. यूनेस्को के डायरेक्टर जनरल ऑड्रे अजोले ने कहा: “चाहे हम कहीं भी रहें, हम सभी किसी न किसी तरह से पहाड़ों और ग्लेशियरों पर निर्भर हैं. लेकिन ये प्राकृतिक जल टावर (पहाड़) आसन्न खतरे का सामना कर रहे हैं. यह रिपोर्ट कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता को दर्शाती है.”

द गार्डियन की रिपोर्ट के अनुसार यूनेस्को में जल विज्ञान के डायरेक्टर अबू अमानी ने कहा कि ग्लेशियरों की गिरावट का एक और प्रभाव पड़ा है, उनके अनुसार बर्फ की परत परावर्तक होती है, यानी वो सूर्य के किरणों को रिफ्लेक्ट कर देती है. बर्फ के पिछलने से सतह पर उसकी जगह डार्क मिट्टी ले लेती है जो गर्मी को अवशोषित करती है. उन्होंने चेतावनी दी, “ग्लेशियरों के पिघलने से (सौर) विकिरण की परावर्तन क्षमता पर असर पड़ता है और इसका असर पूरी जलवायु प्रणाली पर पड़ेगा.”

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