अंतरिक्ष भारत का फ्यूचर प्लान, जानिए भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन में कब जा सकेंगे मानव

नई दिल्ली:
अंतरिक्ष में भारत लगतार नए इतिहास रच रहा है. चंद्रयान और आदित्य मिशन की सफलता की बाद अब इसरो का अगला मिशन है गगयनयात्री. भारत 2025 तक अपना गगनयात्री यानि एस्ट्रोनॉट, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन भेजने की तैयारी कर रहा है. ये इसरो और नासा का संयुक्त मिशन होगा. इसके तहत एक भारतीय गगनयात्री इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करने पहुंचेगा. इसरो चीफ़ डॉक्टर एस. सोमनाथ का कहना है कि चंद्रमा पर मौजूद शिव शक्ति पॉइंट से भारत चांद की धरती के कुछ नमूने भी लेकर आएगा.
एस. सोमनाथ ने बताया, “गगनयात्री मिशन, इसरो और नासा का साझा अभियान है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति ने इसकी घोषणा की थी. इसके बाद दोनों देशों की स्पेस एजेंसियों ने इस पर काम शुरू किया. अमेरिकी कंपनी एससीएम द्वारा ये पूरा मिशन चलाया जा रहा है. ये एससीएम का चौथा मिशन है. भारत के एस्ट्रोनॉट के लिए इस मिशन में भारत की एक सीट पक्की हुई है.
इसरो चीफ ने बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिवेंद्रम में जिन 4 भारतीय एस्ट्रोनॉट्स से देश को रूबरू कराया था, उनमें से 2 का सेलेक्शन किया गया है. इन दोनों को अमेरिका में मिशन की ट्रैनिंग के लिए भेजा गया है. यहां इनती 3 महीने की ट्रैनिंग होगी. इन दोनों में से एक एस्ट्रोनॉट गगयनयात्री मिशन के तहत अंरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर भारत की ओर से जाएगा. इसके अलावा अन्य दो एस्ट्रोनॉट्स को भी अमेरिका भेजा जाएगा. ये ग्राउंड बेस्ड मिशन और दूसरी चीजों की ट्रैनिंग लेने जाएंगे. भारत ही ये निर्णय लेता कि कौन एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में जाएगा.”
इससे पहले जैसे हुआ था कि राकेश शर्मा, रवीश मल्होत्रा को मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस ने सेलेक्ट किया था कि कौन एस्ट्रोनॉट भारत की ओर से अंतरिक्ष में जाएगा. वैसे ही इस बार भी भारत ही तय करेगा कि कौन एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष स्पेश स्टेशन में जाएगा. एस. सोमनाथ ने बताया, “अमेरिका में ज्यादातर अंतरिक्ष मिशन प्राइवेट एजेंसियों के जरिए ही अंजाम दिये जाते हैं. नासा भी इन एजेंसियों जरिए लोगों को अंतरिक्ष स्पेस स्टेशन में भेजता है. इसके लिए इन एजेंसियों को भुगतान किया जाता है. हम भी इस मिशन के लिए एजेंसी को भुगतान कर रहे हैं.”
हम आखिर, गगनयात्री मिशन के तहत भारतीय एस्ट्रोनॉट को किसी एजेंसी के माध्यम से क्यों भेज रहे हैं, जबकि हमारा गगनयान कुछ दिनों पर जाने वाला है? इसरो चीफ बताते हैं, “अभी तक हमारे अंदर वो क्षमता नहीं है. गगनयान मिशन तैयार हो रहा है, लेकिन अभी तक हुआ नहीं है. हमने अभी तक किसी गगनयात्री को भेजा नहीं है. ऐसे समय में ये अत्यंत जरूरी था. गगनयात्री मिशन में जो एस्ट्रोनॉट अंतरिक्ष में जा रहे हैं, उनके अनुभवों का हमें काफी फायदा होगा.”
क्या गगनयात्री मिशन में भारत के एस्ट्रोनॉट टूरिस्ट की तरह जाएंगे या फिर साइंटिफिक मिशन होगा? एस. सोमनाथ ने बताया, “यह एक साइंटिफिक मिशन ही होगा. इसलिए इसकी ट्रैनिंग भी बेहद महत्वपूर्ण है. इस मिशन के दौरान 5 साइंटिफिक एक्सपेरिमेंट भी किये जाएंगे. इसरो और अमेरिका के एक्सपेरिमेंट में ये एस्ट्रोनॉट भाग लेंगे. इससे हमें अनुभव होगा कि वहां कैसे एक्सपेरिमेंट करने हैं. जीरो ग्रेविटी में कैसे काम करना है? कैसे विपरीत स्थितियों से निपटना है. ये सभी जानकारी हमें गगनयात्री मिशन से मिलेंगी, जिनका लाभ हमें गगनयान प्रोजेक्ट के दौरान होगा.