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बिहार के बच्‍चों की कम बढ़ रही लंबाई, जानें क्‍या है ठिगनापन का कारण

बिहार के बच्‍चों में बढ़ रहा ठिगनापन


नई दिल्‍ली:

बिहार के बच्‍चों की लंबाई कम बढ़ रही है. देश के अन्‍य राज्‍यों के मुकाबले बिहार के बच्‍चों की लंबाई का औसत कम पाया गया है. केंद्र सरकार की रिपोर्ट में यह बात सामने आई है. केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री साबित्री ठाकुर ने बुधवार को राज्यसभा में बताया कि बिहार के बच्चों में ठिगनापन बढ़ रहा है. हालांकि, अच्‍छी बात यह है कि बिहार के बच्‍चों में पहले के मुकाबले दुपलापन और वजन में कमी की शिकायत दूर हो रही है.  

बिहार के बच्चों में ठिगनापन

राज्यमंत्री साबित्री ठाकुर ने बुधवार को राज्यसभा में यह जानकारी, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के उपेंद्र कुशवाहा के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए दी. उन्होंने बताया कि एनएफएचएस (राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण) और पोषण ट्रेकर के आंकड़े बताते हैं कि पूरे देश में बच्चों के कुपोषण में कमी देखने को मिल रही है. बिहार की बात करें तो, एनएफएचएस-5 ( 2019- 21) रिपोर्ट के आंकड़ों के मुताबिक, पांच वर्ष से कम उम्र के 42.9 प्रतिशत बच्चे ठिगनापन के शिकार थे. दुबलापन और कम वजन के बच्चों का प्रतिशत क्रमशः 22.9 और 41 था. लेकिन, इस साल फरवरी के पोषण ट्रैकर का विश्लेषण बताता है कि इस राज्य के पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में दुबलेपन की शिकायत में कमी देखने को मिली है. यह पांच साल पहले के 22.9 प्रतिशत से कम होकर 9.58 प्रतिशत पर आ गया है, जो कुछ राहत देता है.  

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क्‍या हैं ठिगनापन के कारण

  • यदि व्यक्ति के परिवार में किसी को ठिगनापन है, तो व्यक्ति को भी यह विकार होने की संभावना अधिक हो सकती है.
  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, जैसे कि अवसाद या चिंता, ठिगनापन का कारण हो सकती है.
  • पोषण आहार की कमी के कारण भी शरीर में कई कमियां आ सकती हैं, ठिगनापन भी उनमें से एक है. 
  • खेलकूद ज्‍यादा न करने वाले बच्‍चों की लंबाई भी आमतौर पर कम देखने को मिलती है. इसलिए बच्‍चों को फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह दी जाती है.  

लोगों में बढ़ रहा मोटापा 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 (2019-21) के अनुसार , 24 प्रतिशत भारतीय महिलाएं और 23 प्रतिशत भारतीय पुरुष अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त हैं. एनएफएचएस-5 के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में 80.7 प्रतिशत लोग मोटापे के शिकार हैं, लेकिन 78.5 प्रतिशत लोग अब भी खुद को सामान्य वजन वाला मानते हैं.



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