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देश

एआई की दुनिया में बज रहा भारत का डंका, जानिए क्‍यों दिग्‍गज बता रहे इंडिया को वर्ल्‍ड लीडर

दो सालों में 44 हजार करोड़ खर्च करेगा भारत

यह एआई समिट उस वक्‍त हो रहा है, जब अमेरिका और चीन जैसे देशों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर वास्‍तविक युद्ध जैसी स्थिति छिड़ती दिख रही है. इन सबके बीच भारत अगले दो सालों में यानी 2027 तक 44 हजार करोड़ रुपये खर्च करने वाला है. भारत के टेक्‍नोलॉजी सेक्‍टर में अगले दो सालों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, जनरेटिव एआई और एनालिटिक्‍स में 1.2 लाख नौकरियों के मौके बनेंगे. 

एआई विशेषज्ञ रणदीप चिकारा ने कहा कि दुनिया के जो बिजनेस लीडर्स हैं, उनका भारत के इनोवेशन में बहुत ज्‍यादा विश्‍वास है. मेरा मानना है कि भारत कुछ प्रमुख देशों में से होगा जिसका एआई के भविष्‍य में बहुत ही जबरदस्‍त योगदान होगा. 

इस समिट में न अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप पहुंच रहे हैं और न ही चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, ऐसे में पीएम मोदी की मौजूदगी भारत और फ्रांस के रिश्‍तों को और भी मजबूती देगी. 

क्‍या कहते हैं बड़ी कंपनियों के सीईओ?

अगर भारत अगले दो साल में भी एआई की दुनिया में ही एक लाख बीस हजार नौकरियां पैदा करने का दम रखता है और इस पर हजारों करोड़ खर्च करने की तैयारी में है तो ऐसा क्यों है? एआई की दुनिया में भारत की ताकत को आप दुनिया की बड़ी कंपनियों के सीईओ की जुबानी समझ सकते हैं. 

  1. ओपन एआई के सीईओ सैम ऑल्‍टमैन का कहना है कि भारत एआई के लिए दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा बाजार है. 
  2. गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने कहा है कि भारत एआई के क्षेत्र में दुनिया का नेतृत्‍व कर सकता है. 
  3. माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्‍या नडेला ने कहा है कि एआई की दुनिया में अपार संभावना कहीं है तो वो भारत में है. 
  4. एनवीडियो के सीईओ जेनसेन हुआंग का कहना है कि भारत में एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की पूरी क्षमता है. 
  5. आईबीएम के सीईओ अरविंद कृष्‍ण ने कहा कि भारत बहुत तेजी से एआई के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनने की ओर अग्रसर है. 
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इसीलिए कहा गया कि एआई आने वाले वक्‍त में भारत के लिए एक बहुत ही बड़ी कामयाबी की कहानी लिख सकता है. 

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कब-कब मिली मजबूत रिश्‍तों की झलक?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फ्रांस की यात्रा पर जाना दोनों देशों के संबंधों में मजबूती के लिए भी एक शानदार पहल है. फ्रांस उन चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसने हमेशा से भारत का साथ दिया है. आइये समझते हैं कि भारत और फ्रांस के मजबूत रिश्‍तों के बारे में में और जानते हैं कि कब-कब इन मजबूत रिश्‍तों की झलक हमें देखने को मिली.  

  1. 1964 में भारत का पहला अंतरिक्ष समझौता फ्रांस से ही हुआ था. 
  2. 1974 में जब भारत ने पहला परमाणु परीक्षण किया था तो फ्रांस की ही मदद से हुआ था. 
  3. 1982 में जब भारत ने तारापुर न्यूक्लियर प्लांट को विस्तार देना चाहा तो उसके लिए यूरेनियम सप्लाई भी फ्रांस ने ही की थी. 
  4. 1983 में ही फ्रांस और भारत ने तय किया था कि दोनों द्विपक्षीय नौसैनिक अभ्यास शुरु करेंगे. वो अभ्यास जारी है. 
  5. 1998 में जब भारत ने परमाणु परीक्षण किया तो अमेरिका जैसे देश तो प्रतिबंध लगाने में मशगूल थे लेकिन तब भी भारत का समर्थन जिन देशों ने किया, उनमें फ्रांस शामिल था. 
  6. 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ जब पाकिस्तान संयुक्त राष्ट्र में गया था तब भारत के समर्थन में फ्रांस ने पाकिस्तानी प्रस्वात पर वीटो किया था.
  7. साथ ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का पक्षधर अगर कोई देश हमेशा रहता है तो वो फ्रांस है. 
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