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राम मंदिर की छत टपकने और गर्भगृह में पानी की समस्या… का क्या है सच, जरा इनसे जान लीजिए

राम मंदिर (Ram Temple) के गर्भगृह में पानी निकासी की समस्या और मंदिर की छत से पानी टपकने के मुख्य पुजारी के दावों की खबरें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं. अब इन सवालों को लेकर मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा सामने आए हैं और उन्होंने बताया कि इन सवालों का सच क्या है? दरअसल, राम मंदिर के मुख्य पुजारी सत्येन्द्र दास ने दावा किया था कि मंदिर के गर्भगृह में पहली बारिश का पानी रीसकर आ रहा है. मंदिर में इकट्ठा हुए पानी की निकासी के भी उपाय नहीं किए गए हैं. मंदिर निर्माण में बहुत सी खामियों की बात उन्होंने की थी.

मंदिर निर्माण में इतनी कमियां क्यों? मुख्य पुजारी सतेंद्र दास का सवाल
मंदिर के मुख्य पुजारी सतेन्द्र दास ने कहा कि अयोध्या में राममंदिर को विश्वधरोहर के रूप में बनाया गया है और जिस प्रकार पहली ही बारिश में छत चूने लगी है, ये आश्चर्य की बात है. बड़े-बड़े इंटीरियर और इंजीनियर इस मंदिर के निर्माण कार्य में लगे हैं. इतना पैसा खर्च हो रहा है. इसके बावजूद पानी नीचे आ रहा है. इतने तमाम इंजीनियर हैं, उन्हें अयोध्या के दूसरे मंदिरों को देखना चाहिए था कि गर्भगृह कैसे बनाए जाते हैं, उनके पानी के निकास द्वार कैसे हैं. छत से भी पानी क्यों टपक रहा है इसका जवाब भी इंजीनियर बताएंगे. अभी तो मंदिर का और निर्माण कार्य होना है, लेकिन पहले तैयार माले पर ही ऐसा हो रहा है तो आगे चलकर क्या होगा सोचिए. आखिर निर्माण में इतनी कमियां क्यों रहीं.

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अभी द्वितीय तल का काम चल ही रहा है- मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष का जवाब

मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि हमने खुद गर्भगृह का निरिक्षण किया है. ऐसा कुछ नहीं है जैसा कि कहा जा रहा है.अभी गुंबद का काम पूरा नहीं हुआ है, जब द्वितीय तल का काम पूरा होगा तो पानी आने की कोई गुंजाइश नहीं रह जाएगी. जब श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं तो हमने सुरक्षा की लेयर बनाई है. जब काम पूरा होगा तो उसे हटा दिया जाएगा.

“लोगों में भ्रम पैदा किया जा रहा है कि गर्भगृह में पानी भर गया है’

उन्होंने आगे कहा कि उच्च स्तर का निर्माण कार्य करवाया जा रहा है. दो बार सीबीआरआई रुड़की के इंजीनियर अयोध्या कार्य को देखते हैं और प्रमाण पत्र भी देते हैं कि निर्माण कार्य पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं. गर्भगृह में पानी भरने के सवाल पर उन्होंने कहा कि गर्भगृह में श्रद्दालु नहीं जाते, वहां श्रद्धालु भगवान को स्नान आदि नहीं करवाते हैं, वहां सिर्फ भगवान के स्नान का जल होता है. दरअसल, साधु-संतों की राय थी एक कुंड में भगवान के स्नान का जल इकट्ठा करें और बाद में उसे श्रद्धालु ले लें. इसलिए रामलला के स्नान के बाद जल को इस कुंड में सुरक्षित रखा जाता है. इसके साथ ही मंडप में पानी निकालने के लिए परनाला बनाया गया है. वैसे सभी मंडप इस तरह बनाए गए हैं कि पानी नेचुरल रूप में ड्रेन होकर परनाले से निकल जाएं.

पानी गिरने की सबसे बड़ी वजह तो ये है

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उन्होंने बताया कि प्रथम तल पर बिजली के तार डाले जा रहे हैं.  उसके लिए पाइप लगाई गई हैं. कुछ पाइप अभी खुले पड़े हैं, अभी पाइप से होकर बारिश का पानी नीचे तक पहुंचा है. निर्माण कार्य में किसी प्रकार की कमी नहीं है. फिर इसके अलावा मंदिर नागर शैली में बनाया जा रहा है. इसमें मंडप खुला होगा. कभी बहुत तेज वर्षा आएगी तो संभावना है कि बारिश के छींटे आ जाएं. निर्माण के कारण पानी आने की संभावना वहां नहीं है और ना ही निर्माण कार्य में खामी की वजह से वहां पानी आया है.

वीआईपी दर्शन को लेकर नया रूल
वीआईपी दर्शन को लेकर भी प्रशासन और ट्रस्ट की बैठक में कई कड़े फैसले लिए गए हैं. वीआईपी दर्शन में फर्जीवाड़ा रोकने के लिए वीआईपी दर्शन को लेकर नियम कड़ा हो गया है. अब रंगमहल बैरियर से वीआईपी दर्शन नहीं होगा.  सिर्फ विशिष्ट पास धारकों को मिलेगा प्रवेश , मंडलायुक्त , डीएम , आईजी , एसएसपी और ट्रस्ट कार्यालय से विशिष्ट पास बनेगा. किसी को भी मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं होगी. नई व्यवस्था आज से लागू हुई है. सामान्य दर्शन में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है. सामान्य दर्शन सुगम और सुलभ रहेगा. इस पूरे मामले पर नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि साधु संतों के सम्मान में हमने उनके लिए विशेष व्यवस्था की है. इसमें किसी प्रकार से कोई अन्य भाव नहीं है.



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