देश

जानिए क्यों शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने पर भारत के नहीं बंधे हैं हाथ


नई दिल्‍ली:

शेख हसीना का क्‍या होगा…? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्‍योंकि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत सरकार को एक राजनयिक नोट भेजकर, देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग की है. भारत ने भी नई दिल्ली स्थित बांग्लादेश उच्चायोग से राजनयिक संदेश मिलने की पुष्टि की है. हालांकि, भारत में विदेश मंत्रालय ने बांग्‍लादेश की इस मांग पर फिलहाल कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया है. दरअसल, शेख हसीना को बांग्लादेश को सौंपने पर भारत के हाथ बंधे नहीं हैं. दो कानूनी पेच हैं, जिनसे शेख हसीना का प्रत्यर्पण नहीं हो सकता है. क्‍या हैं ये कानूनी पेच… और शेख हसीना कब तक भारत में रह सकती हैं. 

क्‍या भारत मानेगा बांग्‍लादेश की मांग 

शेख हसीना (77) पांच अगस्त से भारत में निर्वासन में रह रही हैं. वह छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों के बीच प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़कर भारत आ गई थीं. इसके साथ ही लगातार 16 साल से जारी उनके शासन का अंत हो गया था. इसके बाद ढाका स्थित अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने ‘मानवता के खिलाफ अपराध और नरसंहार’ के लिए हसीना और उनकी कैबिनेट में शामिल मंत्रियों, सलाहकारों और सैन्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों के विरुद्ध गिरफ्तारी वारंट जारी किए हैं. इसलिए बांग्‍लादेश ने शेख हसीना को स्‍वदेश भेजने की मांग की है. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्‍या बांग्‍लादेश की ये मांग भारत मानेगा?

भारत-बांग्‍लादेश के बीच क्‍या है प्रत्यर्पण संधि

दरअसल, भारत-बांग्लादेश प्रत्यर्पण संधि के प्रावधानों के तहत, यदि अपराध का स्वरूप ‘राजनीतिक’ हो तो प्रत्यर्पण से इनकार किया जा सकता है. एक अन्य खंड में कहा गया है कि अपराध के लिए दोषी ठहराए गए व्यक्ति को तब तक प्रत्यर्पित नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसे चार महीने या उससे अधिक की अवधि के लिए सजा न सुनाई गई हो. भारत और बांग्लादेश के बीच 28 जनवरी, 2013 को प्रत्यर्पण संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. प्रत्यर्पण संधि दोनों देशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच सहयोग को बढ़ावा देने और आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने में मदद के लिए किया गया था. इस संधि में 13 अनुच्छेद हैं. इसके दो अनुच्‍छेद 6 और 8 इसे मामले में खास महत्‍व रखते हैं. आइए आपको बताते हैं क्या है आर्टिकल-6 और आर्टिकल-8. 

यह भी पढ़ें :-  घरों की छतें उड़ीं, खंभों के साथ पेड़ भी हुए धराशायी, 10 प्वाइंट्स में जानें कहां-कितनी मची तबाही

  1. अनुच्छेद 6- राजनीतिक अपराध अपवाद : अनुच्छेद 6 के मुताबिक, भारत या बांग्‍लादेश किसी के प्रत्यर्पण से इनकार कर सकता है. शर्त यह है कि जिस अपराध के लिए अनुरोध किया गया है वह राजनीतिक प्रकृति का हो. इस अनुच्‍छेद के मुताबिक, हत्या, गैर-इरादतन हत्या, आतंकवाद, बम विस्फोट समेत अन्य अपराधों को राजनीतिकअपराध नहीं माना जाएगा. यानि ऐसे अपराध में लिप्‍त लोगों के प्रत्‍यर्पण से इनकार नहीं किया जा सकता है. 
  2. अनुच्छेद 8- प्रत्यर्पण से इनकार करने के आधार : अनुरोधप्राप्तकर्ता देश दूसरे को यह विश्वास दिला सकता है कि मौजूदा परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, शख्‍स को प्रत्यर्पित करना अन्यायपूर्ण होगा क्योंकि, वह अपराध जिसका उस पर आरोप है वह गलत प्रकृति का है या उस पर आरोप है कि उसने अपराध किया है या वह अवैध रूप से फरार है या उसके विरुद्ध आरोप न्याय के हित में सद्भावपूर्वक नहीं लगाया गया है.

बांग्लादेश ने कहा- शेख हसीना को वापस भेजो

बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की बेटी हसीना को 5 अगस्त को अपना देश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी थी. भारत ने बांग्‍लादेश के राजनयिक संदेश पर टिप्पणी करने से परहेज किया है यानि दोनों देशों के संबंधों में तनाव बढ़ सकता है. बांग्लादेश की अंतरिम सरकार में विदेश मंत्री तौहीद हुसैन ने ढाका में मीडिया से कहा, ‘हमने भारत सरकार को एक राजनयिक संदेश भेजा है, जिसमें कहा गया है कि बांग्लादेश में न्यायिक प्रक्रिया के लिए उन्हें (हसीना) वापस ढाका भेजा जाए.’ इधर, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘हम पुष्टि करते हैं कि हमें प्रत्यर्पण अनुरोध के संबंध में आज बांग्लादेश उच्चायोग से एक पत्र प्राप्त हुआ है.’ उन्होंने इस मामले पर फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से इनकार किया. 

यह भी पढ़ें :-  कोलकाता की RG कर अस्पताल के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष की IMA ने निलंबित की सदस्यता

ये भी पढ़ें :- बांग्लादेश में इस साल हिंदुओं पर अत्याचार के सारे रिकॉर्ड टूटे, पाकिस्तान का रहा यह हाल 



Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button