जानिए क्यों इस तस्वीर के सामने बैठना पसंद नहीं करेंगे पाकिस्तान के सैन्य अधिकारी?
नई दिल्ली:
दुनिया के तमाम देशों के सैन्य अधिकारी सीमा सुरक्षा और अन्य मुद्दों को लेकर एक दूसरे देशों के अधिकारियों के साथ मिलते रहते हैं. खासकर उन देशों के अधिकारियों के बीच अधिक बैठक होती है जिनके बॉर्डर (Border) आपस में मिलते हैं. भारत-बांग्लादेश, भारत-पाकिस्तान, भारत-चीन (India-China) जैसे देशों के अधिकारियों के बीच समन्वय के लिए बैठकें होती रहती है. तस्वीर में भारत और बांग्लादेश के अधिकारियों के बीच बैठक हो रही है.
हालांकि असली कहानी तस्वीर के अंदर की तस्वीर से शुरू होती है. तस्वीर में भारत और बांग्लादेश के अधिकारी हैं. उनके पीछे दीवार पर एक तस्वीर है जिस तस्वीर के साथ भारत और बांग्लादेश के अधिकारी अपनी शानदार जीत को याद कर सकते हैं. दोनों ही देशों के लिए वो एक तरह से गर्व की बात है. हालांकि पाकिस्तान के अधिकारी कभी भी इस तस्वीर के साथ बैठना पसंद नहीं करेंगे.
तस्वीर में क्या है?
आज से लगभग 53 साल पहले बांग्लादेश की धरती पर पाकिस्तान के लगभग 93,000 सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था. जनरल अमीर अब्दुल्ला ख़ां नियाज़ी ने अपने सैनिकों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया था. 16 दिसंबर 1971 को हुई इस ऐतिहासिक घटना में नियाजी ने हस्ताक्षर किया था.
आत्मसमर्पण के लिए पाकिस्तानी जनरल ने मांगा था 6 घंटे का समय
भारतीय वायु सेना ने 16 दिसंबर को सुबह 9:00 बजे तक अपने हवाई अभियान पर अस्थायी रोक लगा दी, अभियान पर यह रोक जनरल मानेकशॉ द्वारा लेफ्टिनेंट जनरल नियाजी को दिए गए आश्वासन पर लगाई गई थी कि 15 दिसंबर को शाम 5:00 बजे से कोई हवाई अभियान नहीं किया जाएगा. जब “युद्ध विराम” समाप्त होने में बमुश्किल तीस मिनट बचे थे, लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी ने दोपहर 3 बजे तक विस्तार की मांग की और कहा कि वह आत्मसमर्पण के लिए आगे बढ़ रहे हैं. लेकिन पूरी प्रक्रिया को पूरा करने के लिए उन्हें 6 घंटे का और समय चाहिए.
The temporary halt in air operations till 0900 hrs on 16 Dec 71 was extended to 1500 hrs on request of the Pak Army which wanted time to inform it’s troops & arrange a surrender ceremony. This extension meant that the day’s first air strike had to be recalled.#1971War… pic.twitter.com/zBy6zvodw4
— Indian Air Force (@IAF_MCC) December 16, 2023
शाम 4:31 बजे, भारत और पाकिस्तान के बीच औपचारिक रूप से आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए गए और लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी और उनके 93,000 सैनिकों ने भारत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया. आत्मसमर्पण के बाद, IAF के एक वरिष्ठ अधिकारी ने लेफ्टिनेंट जनरल नियाज़ी से पूछा कि जब उनकी सेना अभी भी यहां मौजूद थी तो उन्होंने आत्मसमर्पण क्यों किया. जनरल ने पायलट की वर्दी पर लगे पंखों की ओर इशारा करते हुए कहा, ”इसकी वजह से, आप भारतीय वायुसेना हैं.”
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