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"त्रिशंकु संसद और अविश्वास प्रस्ताव की स्थिति में…." 'एक राष्ट्र एक चुनाव' पर कोविंद समिति की रिपोर्ट

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एक साथ चुनावों पर कोविंद समिति की राय

समिति ने सिफारिश की है कि, जहां लोकसभा के चुनाव के लिए नए सिरे से इलेक्शन होते हैं, तो लोकसभा का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल से ठीक पहले बचे हुए समय के लिए ही होगा. हाई कमेटी पैनल ने यह भी सिफारिश की कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव लोकसभा के साथ एक समय में कराए जाएं. पहले चरण में लोकसभा, विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं और उसके बाद दूसरे चरण में 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं. लेकिन इसके लिए कम से कम वन-हाफ राज्यों के समर्थन की जरूरत होगी. 

कमेटी सर्व-समावेशी विचार-विमर्श के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची कि उसकी सिफारिशों से वोटर्स की पारदर्शिता, समावेशिता, सहजता और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी. कमेटी ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से ज्यादा समर्थन विकास प्रक्रिया और सामाजिक एकजुटता को बढ़ावा मिलेगा. इससे हमारे लोकतांत्रिक रूब्रिक की नींव और गहरी होगी और देश की एस्पिरेशन साकार होगी.

‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर 18,626 पन्नों की रिपोर्ट

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने आज राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ पर अपनी रिपोर्ट सौंपी. 18,626 पन्नों की रिपोर्ट 2 सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से हितधारकों, विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श और 191 दिनों के शोध कार्य के बाद तैयार की गई है. समिति का सुझाव है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, जिसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं. 

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कोविंद समिति में कौन-कौन से सदस्य 

समिति के अन्य सदस्य केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व महासचिव, लोकसभा सुभाष सी कश्यप, सीनियर वकील हरीश साल्वे और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी, कानून और न्याय मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल विशेष आमंत्रित सदस्य थे और डॉ. नितेन चंद्रा हाई लेवल पैनल के सचिव थे.

कमेटी ने विभिन्न हितधारकों के विचारों को समझने के लिए पहले बड़े स्तर पर विचार-विमर्श किया. 47 राजनीतिक दलों ने अपने विचार और सुझाव दिए, जिनमें से 32 ने एक साथ चुनाव का समर्थन किया. इस मामले पर कई राजनीतिक दलों ने उच्च स्तरीय समिति के साथ व्यापक विचार-विमर्श भी किया. सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के न्यूज पेपर्स में प्रकाशित एक सार्वजनिक सूचना के जवाब में, पूरे देश से नागरिकों की 21,558 प्रतिक्रियाएं मिलीं, जिनमें 80 प्रतिशत लोगों मे एक साथ चुनाव का समर्थन किया. 

कोविंद समिति ने इन लोगों से भी मांगे सुझाव

भारत के चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों और प्रमुख हाई कोर्ट्स के 12 पूर्व मुख्य न्यायाधीशों, भारत के चार पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों, आठ राज्य चुनाव आयुक्तों और भारत के विधि आयोग के अध्यक्ष जैसे कानून विशेषज्ञों को समिति ने बातचीत के लिए आमंत्रित किया था. इसके साथ ही भारत निर्वाचन आयोग की राय भी मांगी गई थी. 

सीआईआई, फिक्की, एसोचैम जैसे शीर्ष व्यापारिक संगठनों और फेमस अर्थशास्त्रियों से भी एसिंगक्रनस चुनावों के आर्थिक प्रभावों पर उनके विचार मांगे गए थे. उन सभी ने  भी  एक साथ चुनावों पर जोर दिया. इन निकायों ने कमेटी को बताया कि रुक-रुक कर होने वाले चुनावों का आर्थिक विकास, क्वालिटी ऑफ पब्लिक एक्सपेंडेचर, शैक्षिक और अन्य परिणामों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसके अलावा सामाजिक सद्भाव भी ख़राब होता है. बता दें कि केंद्र सरकार ने पिछले साल सितंबर में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के मुद्दे पर एक हाई लेवल  कमेटी का गठन किया था. 

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