'कुंभ अपने आप में आर्थिक मंथन का अवसर', 'महाकुंभ' पर ' The Hindkeshariकॉन्क्लेव' में यूपी के मंत्री असीम अरुण
मुंबई:
यूपी के समाज कल्याण मंत्री असीम अरुण ने देश के बड़े आयोजन ‘महाकुंभ’ (Aseem Arun On Mahakumbh) पर ‘ The Hindkeshariकॉन्क्लेव’ में अपनी राय रखी. उन्होंने महाकुंभ में रोजगार पर कहा कि योगी सरकार ने ऐसी व्यवस्था की है कि कोई भी आम इंसान अपने परिवार संग आसानी से संगम पहुंच और स्नान कर सकता है. ये योगी सरकार के मौलिक काम की वजह से संभव हो पाया है. इसके आर्थिक आयाम भी काफी अहम हैं. महाकुंभ के भव्य और डिजिटल के बहाने रोजगार सृजन की बात और इससे चुनाव पर कितना फर्क पड़ेगा, इस पर असीम अरुण ने कहा कि 2019 का कुंभ अपने आप में अलौकिक था. पीएम मोदी और सीएम योगी ने कुंभ में हर पॉकेट के हिसाब से व्यवस्था दी है. 500 रुपए कमाने वाला भी कुंभ जा सकता है और ग्लैमरस टेंट की सुविधा भी ली जा सकती है.
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कुंभ से कैसे आगे बढ़ती है अर्थव्यवस्था?
अर्थव्यवस्था की अगर बात की जाए तो कुंभ का पूरा प्रसंग समुद्र मंथन से शुरू होता है. बिजनेस में कहा जाता है कि जितना पैसा मूव करता है. जितना आर्थिक मंथन हो रहा है वो इकोनॉमिकली अच्छा है. केंद्र और राज्य सरकार सीधे साढ़े छह हजार करोड़ रुपए इस पर खर्च कर रही है. यह खर्च इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट पर किया जा रहा है. कुंभ को लेकर CIA की 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1.2 लाख करोड़ का रेवेन्यू जनरेट हुआ. अभी डेढ़-दो लाख करोड़ के आसपास रेवेन्यू जनरेट होने की उम्मीद जताई जा ही है. कुंभ अपने आप में आर्थिक मंथन का भी अवसर होता है.
कुंभ से विकास का कनेक्शन जानिए
यूपी सरकार के मंत्री ने कहा कि कुंभ का पहला फायदा यह है कि प्रयागराज का स्थाई इंफ्रास्ट्रक्टर अच्छा होता जाता है. इस बार के कुंभ में पर्यावरण का बहुत ध्यान रखा गया है.गंगा-यमुना में एक बूंद भी लिक्विड वेस्ट प्रवाहित नहीं किया जा रहा है.पहले शौचालयों को गड्ढा खोदकर बनाया जाता था, जो अपने आप में बड़ी समस्या थी.लेकिन अब सीवर लाइन डाली गई है. कोई भी गंदगी न हो, ऐसी व्यवस्था की जा रही है.
कुंभ से पर्यटन को मिल रहा बढ़ावा, विकास भी हो रहा
उत्तराखंड और यूपी अलग हुए तो सबके मन में यही सवाल था कि पर्यटन यूपी से चला गया.लेकिन आज पर्यटकों को आकर्षित करने में यूपी नंबर-1 है. प्रयागराज और कुंभ इसका एक बड़ा कारण है. काशी में भी पर्यटक पूरे साल आते हैं. कुंभ इस पूरी व्यवस्था को और तेज करने का क अवसर देता है. इसके लिए 7 हजार नई बसें चलाई जा रही हैं. ये नई इलेक्ट्रिक बसें हैं. कुंभ के बाद ये बसें पूरे प्रदेश की सेवा करेंगी.यह व्यवस्था स्थाई है जो कुंभ के बाद भी जारी करेगी.