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"…अफवाह फैलाने का प्रयास" : उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती के नजरबंद के दावे को LG ने बताया निराधार

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय द्वारा फैसला सुनाए जाने से पहले ही पुलिस ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के आवास के द्वार सील कर दिए हैं और उन्हें अवैध तरीके से नजरबंद कर दिया है.”

बयान के बाद सिन्हा ने जम्मू में संवाददाता सम्मेलन में इन दावों को खारिज करते हुए कहा, “पूरे जम्मू-कश्मीर में किसी को भी नजरबंद या गिरफ्तार नहीं किया गया है.”

उन्होंने कहा, “यह दावे पूरी तरह निराधार हैं और अफवाह फैलाने का प्रयास हैं.” उन्होंने कहा कि वह जिम्मेदारी से बोल रहे हैं और पुष्टि कर रहे हैं कि केंद्र शासित प्रदेश में कहीं भी राजनीतिक कारणों से किसी को नजरबंद या गिरफ्तार नहीं किया गया है.

शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के केंद्र के पांच अगस्त, 2019 के फैसले को सोमवार को सर्वसम्मति से बरकरार रखा, जबकि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा जल्द से जल्द बहाल करने और 30 सितंबर, 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया.

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने ‘एक्स’ पर अपने आवास के मुख्य और अन्य द्वारों की तस्वीरें साझा करते हुए पोस्ट किया, “प्रिय उपराज्यपाल, मेरे गेट पर ये जंजीरें मैंने नहीं लगाई हैं, फिर आप अपने पुलिस बल द्वारा किए गए इस कृत्य से इनकार क्यों कर रहे हैं?”

क्षेत्रीय पार्टी के नेता ने यह भी कहा, “क्या यह संभव है कि आप नहीं जानते कि आपकी पुलिस क्या कर रही है? क्या आप बेईमान हैं, या आपकी पुलिस आपके नियंत्रण से बाहर होकर काम कर रही है?”

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पुलिस ने पत्रकारों को फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला के गुपकर रोड स्थित आवास के पास एकत्र होने की अनुमति नहीं दी.

गुपकर रोड के प्रवेश स्थानों पर पुलिसकर्मियों का एक दल तैनात किया गया और पत्रकारों को नेकां नेताओं के आवास के आसपास जाने की अनुमति नहीं दी गई. सुबह कथित तौर पर पुलिस ने आवास के मुख्य द्वारों पर ताला लगा दिया था.

नेकां की राज्य इकाई की अतिरिक्त प्रवक्ता सारा हयात शाह ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘उमर अब्दुल्ला को उनके घर में बंद कर दिया गया है। लोकतंत्र…?”

श्रीनगर से सांसद फारूक अब्दुल्ला संसद के शीतकालीन सत्र के लिए दिल्ली में हैं, जबकि उनके बेटे उमर अब्दुल्ला कश्मीर में हैं.

उमर अब्दुल्ला ने डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) प्रमुख और पूर्व केंद्रीय मंत्री गुलाम नबी आजाद पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा, “आजाद साहब सच में आजाद हैं। वह अपने पार्टी कार्यालय में जाने के लिए स्वतंत्र हैं, जबकि हममें से कुछ लोग अपने-अपने द्वारों पर जंजीरें लगी होने से बंद हैं.”

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “गुपकर रोड पर मीडिया कर्मियों को हमसे कोई प्रतिक्रिया लेने की अनुमति नहीं दी जा रही है. लोकतंत्र की जननी? यह ऐसा तैसा लोकतंत्र कहीं अधिक लगता है.”

जम्मू कश्मीर पुलिस ने एक बयान में कहा कि अनुच्छेद 370 के संबंध में उच्चतम न्यायालय की कार्यवाही के मद्देनजर गिरफ्तारी का कोई आदेश नहीं दिया गया और लोगों की आवाजाही पर कोई प्रतिबंध नहीं है.

पुलिस ने यहां एक बयान में कहा, ‘‘यह स्पष्ट किया जाता है कि पुलिस के पास किसी भी प्रकार की गिरफ्तारी का कोई आदेश नहीं है और उच्चतम न्यायालय द्वारा अनुच्छेद 370 समेत अदालती कार्यवाही से निश्चित तौर पर इसका कोई संबंध नहीं है.”

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पुलिस ने कहा, ‘‘किसी भी तरह की आवाजाही पर कोई पाबंदी नहीं है. विभिन्न सरकारी संस्थानों द्वारा निर्धारित परीक्षाएं हो रही हैं, व्यावसायिक प्रतिष्ठान खुले हैं और गाड़ियां सड़कों पर दौड़ रही हैं.”

उसने कहा कि जनजीवन पहले की तरह सामान्य बना हुआ है.

बयान में कहा गया है, ‘‘शांति भंग करने के लिए हमेशा तत्पर मुट्ठी भर लोगों की कोशिशों को लेकर पुलिस सतर्क है लेकिन उसका आवाजाही और गतिविधियों की स्वतंत्रता पर लगाम लगाने का कोई इरादा या निर्देश नहीं है.”

पुलिस ने कहा कि लोगों से सोशल मीडिया पोस्ट से प्रभावित न होने का अनुरोध किया जाता है.

पीडीपी ने दावा किया कि यहां शेर-ए-कश्मीर पार्क के पास पार्टी कार्यालय को भी पुलिस ने ‘सील’ कर दिया.

पीडीपी अध्यक्ष की बेटी और उनकी मीडिया सलाहकार इल्तिजा मुफ्ती ने भी पुलिस के इस दावे को झूठ बताया कि किसी को नजरबंद नहीं किया गया है.

उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘तालों की गिनती कीजिए, आप मीडिया को आकर यह देखने की अनुमति क्यों नहीं देते कि हम नजरबंद हैं, या नहीं?”

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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