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गिफ्ट सिटी में शराब की मंजूरी : कांग्रेस और AAP ने गुजरात सरकार के फैसले की आलोचना की

राज्य सरकार ने शुक्रवार को ‘वैश्विक माहौल’प्रदान करने के लिए गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में शराब पर लगा प्रतिबंध हटा दिया.

खास बातें

  • व्यापार के विकास के लिए उचित वातावरण प्रदान करेगा
  • “भाजपा सरकार राज्य में शराबबंदी हटाना चाहती है”
  • ‘वैश्विक माहौल’ प्रदान करने के लिए शराब पर लगा प्रतिबंध हटा दिया

गुजरात में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस गिफ्ट सिटी में शराब बेचने की अनुमति देने के फैसले को लेकर शनिवार को आमने-सामने आ गए. राज्य सरकार ने सख्त मद्यपान निषेध नीति को शुक्रवार को आंशिक रूप से संशोधित किया था.

राज्य सरकार ने शुक्रवार को ‘वैश्विक माहौल’प्रदान करने के लिए गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में शराब पर लगा प्रतिबंध हटा दिया.

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विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप)ने कहा कि यह एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है जो युवाओं को बर्बाद कर देगा. वहीं, बीजेपी ने कहा कि यह क्षेत्र में व्यापार के विकास के लिए उचित वातावरण प्रदान करेगा.

विधानसभा में नेता विपक्ष अमित चावड़ा ने कहा, “यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है. भाजपा सरकार राज्य में शराबबंदी हटाना चाहती है और इसकी शुरुआत गिफ्ट सिटी से की है. कल वे कहेंगे कि वे स्टैच्यू ऑफ यूनिटी (केवडिया में) और टेंट सिटी के साथ-साथ कच्छ में धोर्डो में और सूरत डायमंड बोर्स में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए शराब प्रतिबंध हटाना चाहते हैं.”

उन्होंने कहा, “इससे युवा बर्बाद हो जायेंगे. जो लोग शराब पीकर गिफ्ट सिटी से बाहर आएंगे वे दुर्घटना का कारण बनेंगे और हमारी महिलाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं. क्या वे (सरकार) सोचते हैं कि शराब पर प्रतिबंध हटाने से निवेश आकर्षित होगा.”

बोटाड से विधायक एवं ‘आप’ सदस्य उमेश मकवाना ने मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल को पत्र लिखकर गिफ्ट सिटी में शराबबंदी हटाने के फैसले को वापस लेने की मांग की.

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विपक्ष के आरोपों और आशंकाओं को खारिज करते हुए राज्य सरकार के मंत्री ऋषिकेश पटेल ने कहा कि यह निर्णय उन उद्योगों के लिए लिया गया है जो राज्य के बाहर से आ रहे हैं.

पटेल ने जोर देकर कहा, “यह कारोबारियों को वही जीवनशैली प्रदान करने का फैसला है, जिसके वे उन जगहों पर आदी हैं, जहां शराब पर प्रतिबंध नहीं है. गिफ्ट सिटी में आई कई विदेशी कंपनियां ‘फॉर्च्यून- 500′ का हिस्सा हैं. कांग्रेस को जो कहना है कहने दीजिए लेकिन बाद में उन्हें इस फैसले का महत्व समझ आएगा.”

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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