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LIVE Updates: लोकसभा के बाद विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत जनगणना पर अड़ा विपक्ष


नई दिल्‍ली:

विपक्ष ने लोकसभा चुनाव में जाति जनगणना के मुद्दे को जोरशोर से उठाया था. अब विपक्ष फिर इस मुद्दे को आगामी विधानसभा चुनाव में मुद्दा बनाने को उतारू है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हर हाल में जाति जनगणना करवा कर रहेंगे. उधर, बिहार में विपक्ष के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जाति आधारित जनगणना को लेकर केंद्र सरकार को घेरा और कहा कि हम सरकार को मजबूर करेंगे. 

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तेजस्वी यादव ने कहा कि एनडीए सरकार ने 10 वर्षों बाद होने वाली 2021 की जनगणना भी नहीं कराई. हमने तो केवल 17 महीनों के अल्प सेवाकाल में बिहार में जाति आधारित गणना कराकर और उसी अनुपात में आरक्षण भी बढ़ाया. उन्होंने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर लिखा कि लालू प्रसाद यादव जब जनता दल के अध्यक्ष थे, तभी से यह हमारी मांग रही है. उसी का परिणाम रहा कि जनता दल की संयुक्त मोर्चा सरकार ने 1996-97 में 2001 की जनगणना में जातिगत गणना कराने का निर्णय भी लिया था. लेकिन, 1999 में भाजपा के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने पर उन्होंने वह निर्णय पलट दिया. नीतीश कुमार भी वाजपेयी नेतृत्व में उसी एनडीए कैबिनेट का हिस्सा थे.

कांग्रेस की नेता कुमारी सैलजा ने सोमवार को कहा कि वह वादा करती हैं कि अगर उनकी पार्टी हरियाणा में विधानसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आती है तो जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी. कांग्रेस महासचिव तथा सिरसा से सांसद सैलजा ने एक बयान में दावा किया कि देश के 74 प्रतिशत लोगों ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग का समर्थन किया है. उन्होंने कहा, “दलित विरोधी, आरक्षण विरोधी भाजपा को इसे रोकने के सपने देखने बंद कर देने चाहिए.” 

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बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर जातीय जनगणना को लेकर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी बेवकूफी भरी बातें कर रहे हैं. ऐसा कर वे खुद एक लायबलिटी के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं. अपने इन बयानों की वजह से वे अपनी पार्टी के ऊपर बोझ बनते जा रहे हैं. वे अब जातीय जनगणना की बात कर रहे हैं, लेकिन जब आप मिस वर्ल्ड और मिस इंडिया के गुणा भाग में लगे जाते हैं, तो इससे साफ पता चलता है कि आप इस मुद्दे को लेकर कितने गंभीर हैं.

क्‍या है जाति जनगणना?

जाति जनगणना एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी देश या क्षेत्र की जनसंख्या को विभिन्न जातियों के आधार पर गिना जाता है. यह एक सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का एक हिस्सा होता है, जिसमें लोगों की जाति, धर्म, लिंग, शिक्षा, व्यवसाय आदि जैसे विभिन्न पहलुओं के बारे में डेटा एकत्र किया जाता है. जाति जनगणना के आंकड़ों का उपयोग विभिन्न जातियों के सामाजिक-आर्थिक स्थिति का आकलन करने और उनके लिए नीतियां बनाने में किया जाता है. भारत में कई सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण का प्रावधान है. जाति जनगणना के आंकड़ों का उपयोग आरक्षण के लिए विभिन्न जातियों के अनुपात का निर्धारण करने में किया जाता है. भारत में जाति जनगणना को लेकर काफी बहस चल रही है. कुछ लोग मानते हैं कि जाति जनगणना सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है, जबकि अन्य लोग मानते हैं कि यह जातिवाद को बढ़ावा दे सकता है.

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