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lok Sabha Election 2024: तेलंगाना, आंध्र, ओडिशा, बंगाल, जानें ये चार राज्य कितनी भर सकते हैं BJP की झोली?

कैसा है तेलंगाना का चुनावी गणित? 

दक्षिण भारत के राज्यों में तेलंगाना एक ऐसा राज्य है, जहां 2019 के चुनाव में बीजेपी ने अच्छा प्रदर्शन किया था. पार्टी ने राज्य की 17 में से चार सीटों पर जीत का परचम लहाराया था.इस चुनाव में बीजेपी ने राज्य के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की बेटी को भी हरा दिया था. बीजेपी को 19.45 फीसदी वोट मिले थे. बीजेपी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन किया. विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने अपना प्रदर्शन बेहतर बनाते हुए आठ सीटें जीत ली.जबकि 2018 के चुनाव में बीजेपी को केवल एक सीट ही मिली थी. विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी राज्य की तीसरी बड़ी पार्टी हो गई है, हालांकि उसके वोट शेयर में गिरावट आई है. इसके बाद भी बीजेपी के हौसले बुलंद हैं और उसे राज्य 2019 से भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है.

 
पश्चिम बंगाल में क्या ममता बनर्जी को हरा पाएगी भाजपा? 

पश्चिम बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं. भाजपा ने 2019 के चुनाव में पश्चिम बंगाल में जमकर जोर लगाया था. इसके बदौलत बीजेपी अपने सीटों की संख्या 2014 के दो सीटों के मुकाबले 18 करने में कामयाब रही थी. उसका यह प्रदर्शन विधानसभा चुनाव में भी जारी रहा था.साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने पश्चिम बंगाल में जोर लगाया और वह दो सीटें जीतने में कामयाब रही. लास 2014 के चुनाव में बीजेपी ने 17 फीसदी वोटों के साथ दो सीटें जीतने में कामयाब रही. वहीं इसके बाद 2019 के चुनाव में बीजेपी के प्रदर्शन में जबरदस्त उछाल आया. बीजेपी ने 40.6 फीसदी वोटों के साथ 18 सीटें जीतने में कामयाब रही. वहीं राज्य में सत्तारूढ तृणमूल कांग्रेस ने 43.7 फीसदी वोटों के साथ 22 सीटें जीतने में कामयाब रही थी.

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बीजेपी ने बंगाल के प्रदर्शन में भी अपने प्रदर्शन में सुधार किया है. साल 2016 के चुनाव में बीजेपी ने 10.3 फीसदी वोटों के साछ तीन सीटें जीती थीं. वहीं 2021 के चुनाव में उसने अपना प्रदर्शन सुधारते हुए 38.5 फीसदी वोटों के साथ 77 सीटों पर कब्जा जमाया. इस आधार पर बीजेपी को 2024 के चुनाव में पश्चिम बंगाल में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है.इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्य का कई बार दौरा किया है. बीजेपी राज्य में बांग्लादेशी घुसपैठियों, टीएमसी की तुष्टिकरण की राजनीति, भ्रष्टाचार और महिलाओं की सुरक्षा को बड़ा मुद्दा बना रही है. 

आंध्र प्रदेश में टीडीपी से बीजेपी को कितना होगा फायदा?

दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं. बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 7.2 फीसदी वोटों के साथ दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी. लेकिन 2019 के चुनाव में बीजेपी आंध्र प्रदेश में शून्य पर सिमट गई. उसका वोट शेयर भी गिरकर केवल एक फीसदी ही रह गया.इससे परेशान बीजेपी ने अपना प्रदर्शन सुधारने के लिए सहयोगी तलाशा. इस बार के चुनाव में बीजेपी ने तेलगु देशम पार्टी (टीडीपी) और अभिनेता से नेता बने पवन कल्याण की जनसेना से हाथ मिलाया है.समझौते के तहत भाजपा छह लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं. वहीं टीडीपी 17 और जनसेना दो लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है.

टीडीपी ने पिछले लोकसभा चुनाव में तीन सीटों पर कब्जा जमाया था.टीडीपी ने 2014 के चुनाव में 40.8 फीसदी वोटों के साथ 15 सीटों पर अपना परचम लहराया था. इन दोनों दलों के साथ समझौता होने से इस बार बीजेपी के आंध्र प्रदेश में अपना प्रदर्शन सुधरने की उम्मीद है. 

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ओडिशा में बीजू जनता दल के सामने कहां है बीजेपी?

ओडिशा की लड़ाई इस बार दिलचस्प है. बीजेपी वहां सत्तारूढ़ लोकसभा के साथ-साथ राज्य की सत्ता से भी उखाड़ फेकना चाहती है. बीजेपी ओडिशा में अपना प्रदर्शन लगातार सुधार रही है. साल 2009 के चुनाव में शून्य पर रही बीजेपी ने 2014 के चुनाव में अपना खाता खोला. उसने 21.9 फीसदी वोट के साथ 1 सीट पर कब्जा जमाया. उसने 2019 के चुनाव में अपना प्रदर्शन और सुधारा. उसने 38.9 फीसदी वोटों के साथ राज्य की आठ लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाया. बीजेपी राज्य में अपना जनाधार लगातार बढ़ा रही है. वहीं 2014 की तुलना में राज्य में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल के जनाधार में 2019 में थोड़ी सी कमी आई है. बीजद ने 2014 में जहां 44.8 फीसदी वोट हासिल किए थे, वहीं 2019 में यह गिरकर 43.3 फीसदी रह गया. वहीं बीजेपी का जनाधार भी लगातार बढ़ा है.साल 2014 में उसने जहां 21.9 फीसदी वोट हासिल किए थे, वहीं 2019 में उसने 38.9 फीसदी वोट हासिल किए. इस बीच बीजेपी के जनाधार बढ़ने के साथ ही कांग्रेस ओडिशा की राजनीति में एक तरह से नगण्य बन गई है. 

राज्य में पहली सरकार बनाने और अधिक से अधिक लोकसभा सीटें जीतने के लक्ष्य से मैदान में उतरी बीजेपी आदिवासियों के कल्याण से लेकर महिलाओं के विकास और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटियों को मुद्दा बना रही है. 

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