Lok Sabha Election 2024: चुनाव में पैसों का कितना रोल? लगातार बढ़ रहा चुनावी खर्च
नई दिल्ली:
Lok Sabha Election 2024: चुनाव जीतने में पैसों का कितना बड़ा हाथ है वो पिछले सालों में हुए किसी भी चुनाव प्रचार को देखकर पता चल जाता है. भारत में चुनाव एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया भर नहीं रह गया है बल्कि एक पूरा कारोबार हो गया है. बड़े स्तर पर चुनाव प्रबंधन होता है. प्रचार का स्तर भी बढ़ता ही जा रहा है और इसके साथ ही गैरकानूनी तौर से सीधा वोट खरीदने की परंपरा और भी ज़्यादा बढ़ गयी है. क्या है यह चुनावी कारोबार? कैंपेन के दौरान सिर्फ वोटरों तक अपनी बात पहंचाने के लिए ही बहुत खर्च करना पड़ता है.
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टॉप 10 राज्य जहां हुई सबसे ज़्यादा अवैध जब्ती
राज्य जब्ती (करोड़)
- राजस्थान 778.53
- गुजरात 605.34
- तमिलनाडु 460.85
- महाराष्ट्र 431.35
- पंजाब 311.84
- कर्नाटक 281.43
- दिल्ली 236.07
- पश्चिम बंगाल 219.60
- बिहार 155.77
- उत्तर प्रदेश 145.77
इस चुनाव में सबसे अमीर और सबसे गरीब उम्मीदवार
इस बार के चुनाव में अब तक के उम्मीदवारों में सबसे अधिक संपत्ति वेंकट रमाने गौड़ा की कुल संपत्ति 622 करोड़ रुपये की है. मांड्या सीट से वो कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. कर्नाटक में कांग्रेस के उम्मीदार डीके सुरेश ने 593 करोड़ की संपत्ति घोषित की है. डीके शिवकुमार के भाई हैं डीके सुरेश. हेमा मालिनी ने 279 करोड़ की संपत्ति घोषित की है. हेमा मालिनी मथुरा से चुनाव लड़ रही है.
सबसे कम संपत्ति दिखाने वाले उम्मीदवारों में नांदेड़ के लक्ष्मण नागोराव पाटिल शामिल हैं. उन्होंने अपनी संपत्ति 500 रुपये दिखाया है. कासरगोड़ से राजेस्वरी के. आर के पास 1000 रुपये की संपत्ति है. अमरावती के PM दीपवंश के पास 1400 . कासरगोड़ से राजेस्वरी के. आर के पास 1000 रुपये अमरावती के PM दीपवंश के पास 1400 रुपये की संपत्ति दिखायी है.
चुनाव में होने वाले खर्च को लेकर The Hindkeshariने राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी, पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरेशी, वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी से बात की.
पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने क्या कहा?
पूर्व चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी ने कहा कि यह अब काफी दिनों से उठ रहा मुद्दा है. पिछले20-25 साल से नेताओं के बीच इस मुद्दे पर बहस हो रही है. कई समितियों का इसे लेकर गठन किया गया. स्टेट फंडिग ऑफ इलेक्शन की बात हुई लेकिन इसे लेकर एक ऐसी शर्त लगा दी गयी कि यह जमीन पर नहीं उतर पाया. इसके लिए फेयर इंटरनल इलेक्शन की शर्त थी जिसे कोई राजनीतिक दल नहीं कर पाए इस कारण यह पूरा नहीं हो पाया.
राजनीतिक दलों के लिए खर्च की कोई सीमा नहीं: अमिताभ तिवारी
अमिताभ तिवारी ने बताया कि सीएमएस एक संस्था ही जिसने बताया कि 2019 के चुनाव में सभी दलों ने 55 हजार करोड़ रुपये खर्च किए थे. भारत में 543 लोकसभा की सीटें है. इसका मतलब होता है कि 100 करोड़ रुपये से अधिक प्रति सीटों पर खर्च. हर सीट पर पिछली बार औसत 16 उम्मीदवार थे अर्थात लगभग 7 करोड़ रुपये हर उम्मीदवार ने खर्च किया.
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने क्या कहा?
वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी ने बताया कि सीएमएस के ही आकंड़ें हैं कि 2014 की तुलना में 2019 के चुनाव में चुनावी खर्च में 2 गुणा की बढ़ोतरी हुई. 1999 से 2019 तक के बीच चुनावी खर्च में 6 गुना की बढ़ोतरी हुई.
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