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"निलंबित सांसदों के चैम्बर,लॉबी और गैलरी में प्रवेश पर रोक", लोकसभा सचिवालय ने जारी किया सर्कुलर

निलंबित सांसदों के लिए जारी किया गया है सर्कुलर

नई दिल्ली:

लोकसभा से निलंबित किए गए सांसद अब चेंबर, लॉबी और संसद की गैलरी में प्रवेश नहीं कर पाएंगे. लोकसभा सचिवालय ने इसे लेकर एक सर्कुलर भी जारी किया है. हालांकि, अगर वह सांसद किसी संसदीय समिति के सदस्य है तो उसकी कार्यवाही में भाग नहीं ले सकते हैं. जारी सर्कुलर के अनुसार निलंबित सांसदों के नाम से कोई बिजनेस भी लिस्ट नहीं होगा.

साथ ही निलंबन के दौरान उन सांसदों का कोई भी नोटिस टेबल पर नहीं आएगा. इस सर्कुलर के अनुसार अगर इस दौरान किसी संसदीय समिति का चुनाव होता है तो उसमें भी निलंबित सदस्य हिस्सा नहीं ले पाएंगे. निलंबित सांसदों को डेली अलाउंस भी नहीं मिलेगा. 

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बता दें कि विपक्षी सांसदों के निलंबन की कड़ी में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने मंगलवार को सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के चलते 49 और सांसदों को निलंबित कर दिया था. इससे इस सत्र में निलंबित सांसदों की कुल संख्या 141 हो गई है, जो निलंबन के मामले में अब तक की सबसे अधिक संख्या है. नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला, कांग्रेस नेता शशि थरूर और कार्ति चिदंबरम, एनसीपी की सुप्रिया सुले और समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव उन सांसदों में शामिल हैं, जिन्हें लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज कार्यवाही बाधित करने के लिए निलंबित कर दिया है.

विपक्षी सांसद संसद के दोनों सदनों में कर रहे विरोध प्रदर्शन

पिछले हफ्ते लोकसभा में बड़े पैमाने पर सुरक्षा में हुई चूक को लेकर विपक्षी सांसद संसद के दोनों सदनों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. वे मांग कर रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इस सुरक्षा विफलता पर संसद को संबोधित करें. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा था कि सदन में सुरक्षा संबंधी कोई भी घटना सचिवालय के दायरे में आती है और वह केंद्र को हस्तक्षेप नहीं करने देंगे.उन्होंने पिछले सप्ताह कहा था, “सरकार लोकसभा सचिवालय की (जिम्मेदारियों में) हस्तक्षेप नहीं कर सकती. हम इसकी अनुमति भी नहीं देंगे.”

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पहली बार इतने सांसदों को ससपेंड किया गया

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कहा था कि मोदी-शाह ने सदन की गरिमा का अपमान किया है.  गंभीर सुरक्षा चूक के बावजूद वो संसद में आकर बयान नहीं देते. मुझे बहुत दुःख है कि इतिहास में पहली बार इतने सांसदों को ससपेंड किया गया. ये लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाने जैसा है, सदन की मर्यादा पर गहरी ठेस है.

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