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महाराष्ट्र : संविदा पर काम कर रहे स्‍वास्‍थ्‍यकर्मियों की हड़ताल, नियमित करने की कर रहे मांग

महाराष्‍ट्र में करीब 40,000 स्वास्थ्य कर्मचारी अलग-अलग जिलों में विरोध कर रहे हैं. (प्रतीकात्‍मक)

मुंबई:

केंद्र और राज्य सरकारें स्वास्थ्य कार्यक्रमों की घोषणा कर देती हैं, लेकिन जमीन पर इन घोषणाओं को पूरा करने वाले धरने पर बैठने के लिए मजबूर हैं. महाराष्‍ट्र (Maharashtra) में कांट्रेक्‍ट पर सेवा दे रहे डॉक्टर, नर्स, हेल्थकर्मी हड़ताल पर हैं. उन्‍होंने विरोध जताते हुए काम बंद कर दिया है और मुंबई में धरने पर बैठे हैं. ऐसे वक्‍त में जब महाराष्ट्र में हर बीमारी में बढ़त दर्ज हो रही है, स्‍वास्‍थ्‍य के इन सिपाहियों की हड़ताल मरीजों के लिहाज से भी चिंता का विषय है. 

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मुंबई के आजाद मैदान में डॉक्टर, नर्स, आरोग्य सेवक सहित कांट्रेक्‍ट पर सेवा दे रहे करीब 4000 स्वास्थ्य कर्मचारी यहां दो दिन से धरने पर बैठे हैं. महाराष्‍ट्र में राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन के तहत कांट्रेक्‍ट पर काम कर रहे कुल करीब 40,000 स्वास्थ्य कर्मचारी अलग-अलग जिलों में विरोध कर रहे हैं. 

कांट्रेक्‍ट पर काम कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि सरकार प्रोग्राम लॉन्‍च करती है, सारी जिम्‍मेदारी हम पर डाल देती है. उन्‍होंने कहा कि काम ज्‍यादा है, लेकिन पगार आधी से भी कम है. उन्‍होंने कहा कि हमारी मांगें 2009 से ही नजरअंदाज की जा रही है. 

राज्य भर में 17 हजार से ज्यादा स्वास्थ्य पद खाली हैं और प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांग है कि लोक स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत कांट्रेक्‍ट कर्मचारियों को इन रिक्तियों पर समायोजित किया जाए. 

अमिता उत्तम नागदेवते 17 सालों से नक्सलवाद का गढ़ माने जाने वाले गढ़चिरौली जिले के गांव-गांव में आरोग्य सेविका के तौर पर सेवा दे रही हैं. कहती हैं जब तक सरकार परमानेंट नहीं करती काम पर नहीं लौटेंगी. 

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डॉ विशाल पाटिल पर बुलढाना जिले के 6 गांवों के स्वास्थ्य जांच की जिम्‍मेदारी है. 4 साल से कांट्रेक्‍ट पर सेवा दे रहे हैं. कहते हैं कि इनसे दोगुना सैलरी इनकी टीम में काम करने वाली परमानेंट नर्स को मिलती हैं.

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग में वर्ष 2007 से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत विभिन्न श्रेणियों में संविदा आधार पर पदों की भर्ती की गई है. कई कर्मचारी 10 से 15 साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं. कई राज्यों ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत कांट्रेक्‍ट कर्मचारियों के लिए समान वेतनमान, अवकाश अधिनियम, निश्चित सेवानिवृत्ति तक सेवा गारंटी जैसी सुविधाएं लागू की है. महाराष्ट्र में भी यह मांग अब जोर पकड़ रही है. 

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