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महाराष्ट्र के दिल में महायुति या महाविकास अघाड़ी? क्या निर्दलीय बनेंगे किंग मेकर

त्रिशंकु विधानसभा की भी है संभावना

बात अगर एग्जिट पोल्स की करें तो कई एग्जिट पोल्स ऐसे भी हैं जिनमें महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिलते नहीं दिख रहा है. एग्जिट पोल्स अगर नतीजों में तब्दील हुए तो महाराष्ट्र की आगामी विधानसभा त्रिशंकु विधानसभा भी बन सकती है. इसका मतलब ये हुआ कि इस स्थिति में छोटे दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों के पास सत्ता की चाबी हो सकती है. और इस स्थिति में एआईएमआईएम, एमएनएस और वंचित बहुजन आघाड़ी जैसी पार्टियों का रोल बेहद अहम हो जाएगा. 

निर्दलीय निभा सकते हैं बड़ी भूमिका 

अलग-अलग एग्जिट पोल्स को देखें तो सबने निर्दलीय उम्मीदवारों को भी ठीक ठाक सीटें जीतने का अनुमान लगाया है. कई एग्जिट पोल्स तो ऐसे हैं जिसमें कहा गया है कि इस बार के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार 25 के करीब सीटें जीत सकते हैं. ऐसे में अगर निर्दलीय उम्मीदवारों को लेकर किया जा रहा दावा सही साबित हुआ तो इस बार महाराष्ट्र की राजनीति में निर्दलीय की अलग ही भूमिका हो सकती है. 

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कैसे बन सकते हैं समीकरण : 

अगर महायुति की सरकार बनी तो 

एग्जिट पोल्स के अनुसार अगर महायुति गठबंधन को 145 से ज्यादा सीटें मिलती हैं तो वह स्पष्ट तौर पर पूर्ण बहुमत के साथ महाराष्ट्र की सत्ता में लगातार वापसी करेगी. और महायुति गठबंधन की इस जीत का श्रेय सत्ता में रहते हुए उनके द्वारा चलाई जा रही योजना को जाएगा. खास तौर पर लाडली बहन योजना एक बड़ा गेमचेंजर साबित हुआ है. इसके साथ-साथ शहरी इलाकों में एनडीए ने अपना लोहा मनवाया है. साथ ही साथ एनडीए दलों के बीच आपसी तालमेल भी इस जीत के लिए जिम्मेदार है. 

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अगर महाविकास अघाड़ी की बनी सरकार

ऐसा तब संभव है कि जब इस गठबंधन को जनता 145 से ज्यादा सीटें दे. अगर ऐसा हुआ तो इसका सीधा सा मतलब ये होगा कि लोकसभा की तरह ही विधानसभा चुनाव में जनता ने जोड़-तोड़ की राजनीति को सिरे से नाकार दिया है. साथ ही साथ ये भी साबित हो जाएगा कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार जैसे नेताओं को उनकी पार्टी टूटने का फायदा मतदाताओं के सहानुभूति वोट के तौर पर मिला है. वहीं, ये गठबंधन स्थानीय मुद्दों को भी भुनाने में सफल रहा है. 

त्रिशंकु विधानसभा का मतलब 

अगर महायुति और महाविकास अघाड़ी गठबंधन अपने दम पर इस चुनाव में सत्ता तक नहीं पहुंचती है तो ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवारों किसी भी दल को सत्ता की कुर्सी तक पहुंचाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकती है. आपको बता दें कि अलग-अलग एग्जिट पोल्स ने 25 से ज्यादा निर्दलीय उम्मीदवारों के जीतने की बात की है.


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