महुआ मोइत्रा को लोकसभा में एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान नहीं मिली बोलने की अनुमति
मोइत्रा को बोलने की अनुमति देने की मांग किसी भी आरोप के खिलाफ खुद का बचाव करने के लिए एक आरोपी के मौलिक अधिकार के रूप में उठाई गई. इसका नेतृत्व तृणमूल सांसदों ने किया, जिसकी शुरुआत सुदीप बंद्योपाध्याय से हुई. उन्होंने कहा, “मेरी पार्टी की प्रवक्ता खुद महुआ मोइत्रा होंगी क्योंकि आरोप उनके खिलाफ हैं. बेबुनियाद आरोप लगाए गए हैं. चाहे सच हो या गलत, उन्हें बोलने दिया जाए…”
महुआ मोइत्रा को बोलने की अनुमति देने की मांग का समर्थन तृणमूल कांग्रेस के एक अन्य सांसद कल्याण बनर्जी ने भी किया, जिन्होंने भी कहा कि यह पार्टी की इच्छा थी कि मोइत्रा पार्टी की ओर से बोलें.
बनर्जी ने कहा, “यदि आरोपी व्यक्ति को नहीं सुना गया तो क्या निष्पक्ष सुनवाई हो सकती है? निष्पक्ष सुनवाई तभी हो सकती है जब आरोपी को सुनवाई का अवसर दें. आज, हम अपने सहयोगी के निष्कासन पर निर्णय ले रहे हैं, जब हम एक अर्ध-न्यायिक निकाय के रूप में कार्य कर रहे हैं. मैं आपसे अनुरोध करता हूं, कृपया अनुमति दें.”
इन अनुरोधों ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष के सांसदों के बीच तीखी बहस भी हुई. इस दौरान लोकसभाध्यक्ष ओम बिरला शांति रखने की बात करते नजर आए.
सरकार की ओर से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने 2005 के ‘कैश फॉर क्वेरी’ घोटाले में पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कई पूर्व सांसद शामिल थे, जिनमें भाजपा के छह और कांग्रेस के एक सांसद शामिल थे.
जोशी ने तर्क दिया कि तत्कालीन लोकसभाध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी ने कहा था कि सांसदों ने एथिक्स कमेटी के समक्ष अपना मामला प्रस्तुत किया था, जिसने कहा कि आरोप सही थे और इसलिए उन्हें अब सदन में बोलने का अधिकार नहीं है. उन नियमों का हवाला देते हुए बिरला ने कहा कि मोइत्रा को बोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी.
उन्होंने कहा, “मेरे पास पहले से अपनाई गई परंपराओं की एक प्रति है. सोमनाथ चटर्जी और प्रणब मुखर्जी पहले यहां थे. उन्होंने जो नियम और परंपराएं दीं, वे हमारे नियम माने जाते हैं.”
बिरला ने कहा, “चटर्जी ने कहा था कि जिन सदस्यों के खिलाफ आरोप हैं उन्हें समिति के सामने बोलने के लिए पर्याप्त समय दिया जाता है…(और इसलिए उन्हें सदन में बोलने का अधिकार नहीं है)”
500 पेज की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट की पेश
इससे पहले आज महुआ मोइत्रा के खिलाफ आरोपों पर 500 पेज की एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पेश की गई. 500 पेज की रिपोर्ट में हीरानंदानी के हवाले से कहा गया है, “… मांगें की गईं, सहायता देने के लिए कहा गया, जिसमें महंगी लक्जरी वस्तुओं को उपहार में देना शामिल था… यात्रा व्यय, छुट्टियां”
बीजेपी पर बरसे, रिपोर्ट को ‘फिक्स्ड मैच’ बताया
एथिक्स कमेटी के सदस्यों सहित कई विपक्षी सांसदों ने अपने सहयोगी के पक्ष में बात रखी. उन्होंने रिपोर्ट को “फिक्स्ड मैच” घोषित किया और दावा किया है कि भाजपा के पास अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं है. मोइत्रा की पार्टी जांच के शुरुआती चरणों में चुप रही थी और उसने यह तर्क दिया था कि वह प्रतिक्रिया देने से पहले रिपोर्ट प्रस्तुत होने की प्रतीक्षा करेगी. उसके बाद से वह महुआ मोइत्रा का बचाव कर रही है.
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