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9 साल से लापता है मलेशियाई एयरलाइंस का प्लेन MH370, एक्सपर्ट ने किया लोकेशन मिलने का दावा

मलेशियाई एयरलाइंस का प्लेन मार्च 2014 में कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना होने के बाद गायब हो गया था.

खास बातें

  • कुआलालंपुर एयरपोर्ट से उड़ान भरने के बाद ही लापता हुआ प्लेन
  • 10 साल में नहीं मिला फ्लाइट MH370 का मलबा
  • मलेशियाई फ्लाइट में सवार थे 239 यात्री

कुआलालंपुर:

मलेशियाई एयरलाइंस का लापता प्लेन MH370 (Malaysian Airlines flight MH370)आज भी रहस्य बना हुआ है. यह प्लेन मार्च 2014 में कुआलालंपुर से बीजिंग के लिए रवाना होने के बाद गायब हो गया था. इसमें 239 यात्री भी सवार थे. इसकी खोज कई महीने चली, लेकिन कोई सुराग नहीं मिल पाया. अब एक एक्सपर्ट ने चौंका देने वाला दावा किया है. एक्सपर्ट के मुताबिक, करीब एक दशक से लापता प्लेन के लिए अगर नए सिरे से सर्च ऑपरेशन (Search Operation) चलाया जाए, तो इसे कुछ ही दिनों में खोज लिया जा सकता है.

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साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, एयरोस्पेस एक्सपर्ट जीन-ल्यूक मरचंद और पायलट पैट्रिक ब्लेली ने प्लेन के लिए नए सिरे से सर्च ऑपरेशन पर जोर दिया है. लंदन में रॉयल एयरोनॉटिकल सोसाइटी के सामने एक लेक्चर के दौरान जीन-ल्यूक मारचंद और पैट्रिक ब्लेली ने कहा कि नए सर्च एरिया का प्रचार अगले 10 दिनों के अंदर किया जा सकता है.

एयरोस्पेस एक्सपर्ट के मुताबिक, मलेशिया का प्लेन MH370 समुद्र की गहराइयों में है. ये प्लेन ऑस्ट्रेलिया के पर्थ शहर से 1,933 किमी दूर क्रैश हुआ और समुद्र में जा गिरा था. एयरक्राफ्ट के गायब होने से पहले उसका पीछा किया जा रहा था.

सर्च ऑपरेशन में लगेंगे 10 दिन 

मरचंद ने news.com.au को बताया, “हमने अपना होमवर्क कर लिया है. हमारे पास एक प्रपोजल है… एरिया बेशक छोटा है. नई क्षमताओं को देखते हुए सर्च ऑपरेशन में महज 10 दिन लगेंगे.” उन्होंने आगे कहा, “बेशक ये जल्दबाजी हो सकती है लेकिन जब तक MH370 का मलबा नहीं मिल जाता, तब तक हमें पता नहीं चलेगा कि आखिर उस दिन क्या हुआ था. लिहाजा सर्चिंग जरूरी है.”

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एयरोस्पेस एक्सपर्ट जीन-ल्यूक मरचंद और पायलट पैट्रिक ब्लेली ने मलेशियाई सरकार और ऑस्ट्रेलिया के ट्रांसपोर्ट सिक्योरिटी अथॉरिटी से MH370 के मलबे की नई खोज शुरू करने की अपील की.

शायद प्लेन को किया गया हाइजैक

दोनों एक्सपर्ट ने कहा कि सर्च ऑपरेशन का प्रपोजल इस विश्वास पर आधारित है कि प्लेन को हाइजैक कर गहरे समुद्र में गिरा दिया गया था. एक्सपर्ट ने आशंका जाहिर की है कि कोई अनुभवी पायलट ही ये काम कर सकता है.

एयरोस्पेस एक्सपर्ट जीन-ल्यूक मरचंद ने कहा, ”हमें लगता है और हमने जो इसपर स्टडी की है. स्टडी से पता चला है कि प्लेन को हाइजैक किया गया था. ऐसा कोई अनुभवी पायलट ही कर सकता है. केबिन डिप्रेशराइज्ड था. यह कम से कम मलबा पैदा करने के लिए एक नरम खाई थी. ऐसा इसलिए किया गया, ताकि प्लेन कहीं फंस न जाए या रेस्क्यू टीम इसे ढूंढ न ले.”

रेडियो फ्रीक्वेंसी में हुई गड़बड़ी को किया ट्रैक

एक्सपर्ट का मानना ​​है कि उन्होंने दुनियाभर में रेडियो फ्रीक्वेंसी में हुई गड़बड़ी को ट्रैक करके प्लेन के लास्ट रूट का पता लगा लिया है. समुद्र के ऊपर प्लेन के रास्ते में हैरतअंगेज पैटर्न पाए गए. ऐसा तब होता है जब पायलट जानबूझकर एयरक्राफ्ट के इंजन को बंद कर दे. प्लेन का रास्ता सीधा था. इस केस में हो सकता है कि पायलट जहारी अहमद शाह ने उसे ऑटो-पायलट मोड पर रखा हो. दिशा में अचानक बदलाव तब हुआ, जब प्लेन थाई, इंडोनेशियाई, भारतीय और मलेशियाई एयरस्पेस के बीच ‘नो मैन्स लैंड’ में थी.

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प्लेन का संपर्क ATC टूट गया था कॉन्टैक्ट

कुआलालंपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने के घंटे भर बाद ही प्लेन का संपर्क ATC से टूट गया था. जांचकर्ता कई बार कह चुके हैं कि प्लेन का संपर्क खुद नहीं टूटा, बल्कि उसे तोड़ा गया. विमान के गायब होने के 3 साल बाद 2017 में सर्च ऑपरेशन आधिकारिक तौर पर बंद कर दिया गया था. बाद में 2019 में अमेरिकी कंपनी ओशन इनफिनिटी ने फिर से सर्च ऑपरेशन शुरू करने का ऐलान किया था.

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