मणिपुर : 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से की मुलाकात, शांति वार्ता की अपील
इससे पहले मणिपुर में कुकी-ज़ो जनजातीय समूह के प्रमुख संगठन ‘आईटीएलएफ’ ने बुधवार को उन क्षेत्रों में ‘‘स्व-शासित अलग प्रशासन” स्थापित करने की धमकी दी थी जहां इन जनजातियों का बहुल्य है. इस धमकी के बाद ही प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात की.
राज्य सरकार ने कुकी-ज़ो समुदाय बहुल जिलों में ‘‘स्वशासित अलग प्रशासन” संबंधी बयान की कड़ी निंदा की और इसे अवैध करार दिया.
प्रतिनिधिमंडल ने उइके से प्रधानमंत्री से संपर्क करने और उनसे संघर्षरत समुदायों के साथ बातचीत में पहल का आग्रह किया.
प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से यह भी अपील की कि वह संघर्ष का समाधान खोजने के लिए प्रधानमंत्री के साथ मणिपुर में सभी राजनीतिक दलों की बैठक बुलाएं.
प्रतिनिधिमंडल में आम आदमी पार्टी, एआईएफबी, तृणमूल कांग्रेस,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, आरएसपी और एसएस(यूबीटी) के प्रतिनिधि शामिल थे.
राजभवन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘वार्ता की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए हर संभव कदम उठाया जाएगा और वह राज्य के सभी राजनीतिक दलों के साथ बातचीत शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री से संपर्क करेंगी.”
उइके ने नेताओं से यह भी कहा कि उन्होंने अशांत हालात के बारे में रिपोर्ट सौंप दी है और वह केंद्रीय नेताओं के संपर्क में हैं.
मई में पहली बार जातीय संघर्ष भड़कने के बाद से मणिपुर कई बार हिंसा की चपेट में आ चुका है और अब तक 180 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं.
मणिपुर की आबादी में मेइती लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नगा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं.
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