Manish Sisodia Bail: 17 महीने बाद जेल से बाहर आएंगे मनीष सिसोदिया, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
नई दिल्ली:
Manish Sisodia Bail: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार व धन शोधन मामलों में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई और ईडी दोनों मामलों में मनीष सिसोदिया को जमानत दी है. दरअसल मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त को फैसला सुरक्षित रखा था. आज जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के वी विश्वनाथन की बेंच ने फैसला सुनाया है. फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष को लंबे समय से जेल में रखा गया है. बिना सजा के किसी को इतने लंबे समय तक जेल में नहीं रखा जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष को निचली अदालत फिर हाई कोर्ट जाने को कहा था. फिर सुप्रीम कोर्ट आने को. उन्होंने दोनों अदालत में याचिका दाखिल की थी. इसके बाद मनीष ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की. पहले आदेश के मुताबिक 6 से 8 महीने की समय सीमा बीत गई है. देरी के आधार पर जमनात की बात हमने पिछले साल अक्टूबर के आदेश में कही थी. इस मामले में ट्रिपल टेस्ट आड़े नहीं आएगा. क्योंकि यहां मामला ट्रॉयल के शुरू होने में देरी को लेकर है. अगर सिसोदिया को जमानत के लिए फिर से ट्रायल कोर्ट जाने को कहा जाता है तो ये न्याय का मखौल उड़ाना होगा.
ये भी पढ़ें- ये न्याय का मखौल… इन 10 दलीलों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को दी जमानत
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि निचली अदालत ने राइट टू स्पीडी ट्रॉयल को अनदेखा किया और मेरिट के आधार पर जमानत रद्द नहीं की थी. मनीष सिसोदिया ने सीबीआई मामले में 13 और ईडी मामले में निचली अदालत में 14 अर्जियां दाखिल की थीं.
जमानत के लिए रखी शर्तें
सुप्रीम कोर्ट ने 10 लाख के बेल बांड पर मनीष सिसोदिया को जमानत दी है. जमानत देते हुए कुछ शर्तें भी मनीष सिसोदिया के सामने रखी हैं. कोर्ट ने कहा कि आपको पासपोर्ट सरेंडर करना होगा. रिहाई के दौरान गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश नहीं करेंगे.
इस साल फरवरी में हुई थी गिरफ्तारी
सिसोदिया को रद्द की जा चुकी दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के निर्माण व कार्यान्वयन में कथित अनियमितताओं में संलिप्तता के लिए 26 फरवरी, 2023 को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने गिरफ्तार किया था. 21 मई को दिल्ली हाईकोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देने से इन्कार कर दिया था. हाईकोर्ट ने बेल रद्द करते हुए कहा था कि पद का दुरुपयोग किया था. बाहर आकर सबूत और गवाहों पर असर डाल सकते हैं.