महाराष्ट्र विधानसभा में पेश होने जा रहा मराठा आरक्षण बिल – जानें, बिल की अहम बातें
महाराष्ट्र कैबिनेट ने शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10 से 12 प्रतिशत मराठा आरक्षण के बिल (Maratha Reservation Bill) के मसौदे को हरी झंडी दिखा दी है. राज्य विधानसभा में आज विशेष सत्र के दौरान मुख्य रूप से मराठाओं को आरक्षण देने के फैसले पर चर्चा की जाएगी. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शुक्रवार को विशेष विधानसभा सत्र में रिपोर्ट पेश करने के बाद इस बात पर जोर दिया था कि मराठाओं को कानून की शर्तों के मुताबिक आरक्षण दिया जाएगा. बता दें कि मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल, जालाना जिले के अंतरवाली सारती गांव में लंबे समय से भूख हड़ताल पर हैं. यही वजह है कि सरकार ने ये विशेष सत्र बुलाने का फैसला लिया है. यहां बताते हैं कि आखिर मराठा आरक्षण बिल की प्रमुख बातें कौन-कौन सी हैं.
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मराठा आरक्षण बिल की प्रमुख बातें
- मराठा समाज की सरकारी नौकरियों और शिक्षा में भागीदारी कम है, इसलिए उनको पर्याप्त भागीदारी देने की जरूरत है.
- इसलिए मराठा समाज को सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से पिछड़ा घोषित करते हैं.
- सर्वे की रिपोर्ट से ये पता चलता है कि मराठा समाज सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा हुआ है.
- रिपोर्ट के अध्ययन से ये भी पता चलता है कि सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक दृष्टि से मराठा समुदाय की पहचान निम्नतम है.
- मराठा समाज की जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या की 28 फीसदी है.
- कुल 52 फीसदी आरक्षण में कई बड़ी जातियां और वर्ग पहले से शामिल हैं, ऐसे में 28 फीसदी जनसंख्या वाले समाज को अन्य पिछड़ा वर्ग में रखना असमानता होगी. इसलिए इस समाज को अलग से आरक्षण देने की ज़रूरत है.
विधानसभा में आज मराठा आरक्षण बिल पर चर्चा
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने बयान में कहा था, ”हमने 2 से 2.5 करोड़ लोगों के साथ एक सर्वे किया है. इस बात को ध्यान में रखा गया है कि ओबीसी समाज के लोगों को पीछे नहीं छोड़ा जाएगा और इस वजह से सरकार कमेटी के सामने रिपोर्ट पेश करेगी. 20 फरवरी को विधानसभा का विशेष सत्र रखा गया है, जिसमें कानून की शर्तों के अनुसार मराठाओं को आरक्षण दिया जाएगा.”