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सलमान रुश्दी पर हमला करने वाला मातर दोषी करार, चाकू से किए थे 15 वार

अभी हादी मातर की सजा पर फैसला आना बाकी


न्यूज जर्सी:

दुनिया के सबसे चर्चित लेखकों में शुमार सलमान रुश्दी पर हमले के मामले में कोर्ट ने हादी मातर को दोषी पाया है. मातर पर अगस्त 2022 में न्यूयॉर्क में एक लेक्चर के दौरान रुश्दी की हत्या के प्रयास और हमले का आरोप लगा था. इस मामले में कोर्ट ने बहस के बाद आरोपों को ठीक पाया है. माना जा रहा है कि दोषी ठहराए गए मातर को इस केस में 30 साल से ज्यादा की जेल होना लगभग तय है. हालांकि कोर्ट उसकी सजा 23 अप्रैल को सुनाएगा. रुश्दी को विवादित उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज की वजह से रुश्दी को जान से मारने की धमकियां मिली थीं.

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जब सलमान रुश्दी पर हुआ हमला

12 अगस्त, 2022 को रुश्दी एम्फीथिएटर में दर्शकों के सामने बोलने वाले थे, तभी एक नकाबपोश शख्स मंच पर उन पर टूट पड़ा और एक दर्जन से अधिक बार उन पर चाकू से वार किया. वहां मौजूद बाकी लोगों ने किसी तरह रुश्दी की जान बचाई. इस हमले में भले ही रुश्दी की जान बच गई. लेकिन बदकिस्मती से उनकी एक आंख की रोशनी चली गई. जूरी ने इस मामले में मातर को दोषी ठहराने से पहले दो घंटे से भी कम समय तक विचार-विमर्श किया. जिसके बाद हमलावर को रुश्दी के साथ मंच पर एक व्यक्ति को घायल करने के लिए हमले का भी दोषी पाया गया. हालांकि न्यू जर्सी के इस व्यक्ति ने दोनों आरोपों में खुद को निर्दोष बताया.

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कौन है हादी मतार

न्यू जर्सी के फेयरव्यू में पैदा हुए हादी मातर के माता-पिता लेबनान से आए थे. मतार साल 2022 में लेखक सलमान रुश्दी पर हमला करके दुनियाभर में चर्चा में आया. इस मुकदमे के दौरान अपना बचाव करते हुए मातर ने खुद को बेकसूर बताया. वकील एंड्रयू ब्रॉटिगन ने तर्क दिया कि अभियोजक यह साबित करने में विफल रहे कि मातर का इरादा रुश्दी को मारने का था. मातर के वकील कोई गवाह पेश नहीं कर सके. इसके बाद कोर्ट ने उसे दोषी ठहराया.

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रुश्दी ने गवाही में क्या बताया

इस मुकदमे में 77 साल के रुश्दी ने कोर्ट में गवाही दी कि वह चौटाउक्वा इंस्टीट्यूशन में मंच पर थे कि हादी को अपनी ओर दौड़ते हुए देखा. एक पल के अंदर उसने मुझ पर हमला कर दिया. पहले मुझे लगा कि उसने मुक्का मारा गया लेकिन फिर एहसास हुआ कि वह चाकू से हमले कर रहा है. उसने मुझे 15 बार आंख, गाल, गर्दन, छाती, धड़ और जांघ में चाकू घोंपे. रुश्दी के विवादों में आने की वजह साल 1988 में प्रकाशित उनका उपन्यास द सैटेनिक वर्सेज है. इस उपन्यास ने कुछ कट्टरपंथियों को नाराज कर दिया था. नतीजतन इस किताब पर कई देशों में प्रतिबंध लगा दिया गया था. भी से सलमान रुश्दी को जान से मारने की धमकियां भी लगातार मिलती रही हैं. उस समय के ईरान के एक बड़े धार्मिक नेता ने तो उनको मारने का फतवा भी जारी कर दिया था. इस हमले के पीछे भी यही उपन्यास माना गया था.



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