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'ऐसे मुद्दों को लेकर राजनीति करना ठीक नहीं': होली पर हो रही बयानबाजी पर बोलीं मायावती

‘अधिकारियों का गलत इस्तेमाल’: CO अनुज चौधरी के बयान पर मायावती


लखनऊ:

होली साल में एक बार आती है और जुम्मा साल में 52 बार आता है. अगर किसी को रंग से परहेज है तो वह घर से बाहर न निकलें. होली के दिन घर से ही नमाज अदा करें... उत्तर प्रदेश के संभल के सीओ अनुज चौधरी के होली और जुम्मे पर दिए गए इस बयान ने देश की सियासत में नई बहस छेड़ दी है. सीओ अनुज चौधरी के बयान को लेकर विपक्ष  योगी सरकार को घेर रहा है. अनुज चौधरी के बयान पर अब बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती की भी प्रतिक्रिया सामने आई है. मायावती ने एक्स पर एक पोस्ट किया है और  कानून व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने की बात कही है.

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मायावती ने पोस्ट करते हुए लिखा, जैसा कि विदित है कि इस समय रमज़ान चल रहे हैं और इसी बीच जल्दी होली का भी त्योहार आ रहा है, जिसे मद्देनज़र रखते हुए यूपी सहित पूरे देश में सभी राज्य सरकारों को इसे आपसी भाईचारे में तब्दील करना चाहिए तो यह सभी के हित में होगा. मायावती मे आगे लिखा अर्थात् इसकी आड़ में किसी भी मुद्दे को लेकर कोई भी राजनीति करना ठीक नहीं. सभी धर्मों के अनुयायियों के मान-सम्मान का बराबर ध्यान रखना बहुत जरूरी. सम्भल की तरह अधिकारियों का गलत इस्तेमाल करना ठीक नहीं तथा इनको कानून व्यवस्था पर विशेष ध्यान देना चाहिए.

‘किसी समुदाय का पक्ष नहीं लेना चाहिए’

इससे पहले कांग्रेस नेता उदित राज ने सीओ अनुज चौधरी के इस बयान पर आपत्ति जताई थी. कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, “किसी भी अधिकारी को किसी समुदाय का पक्ष नहीं लेना चाहिए.” न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा, “होली-जुम्मे को लेकर जिस तरह से संभल के सीओ अनुज चौधरी ने बयान दिया है. यह दर्शाता है कि वह एक समुदाय का पक्ष ले रहे हैं. जबकि, ऐसा नहीं होना चाहिए. अधिकारी को बिना किसी पक्षपात के रहना चाहिए। लेकिन, इनके बयान से ऐसा प्रतीत नहीं होता है.”

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कांग्रेस नेता उदित राज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट किया था उन्होंने पोस्ट में लिखा था, “आश्चर्य है की अभी तक अनुज चौधरी को नौकरी से नहीं निकाला गया और उल्टा सीएम का समर्थन मिल रहा है. जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि अदालत का आदेश सभी नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों पर लागू होगा, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो. अदालत ने जोर देकर कहा कि देश की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति की रक्षा की जानी चाहिए. सर्वोच्च न्यायालय ने 28 अप्रैल 2023 को राज्यों को निर्देश दिया कि वे घृणास्पद भाषण की घटनाओं पर स्वतः एफआईआर दर्ज करें तथा शिकायत दर्ज कराने की प्रतीक्षा किए बिना अपराधियों के विरुद्ध कार्रवाई करें.


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