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वन नेशन वन इलेक्शन का मायावती ने किया सपोर्ट, कांग्रेस ने कहा इम्प्रैक्टिकल, जानें किस पार्टी की क्या है राय?


नई दिल्ली:

मोदी कैबिनेट ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ (One Nation One Election) प्रस्ताव को बुधवार (18 सितंबर) को मंजूरी दे दी है. पीएम नरेंद्र मोदी ने कई मौकों पर ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ की बात कही थी. 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से पीएम मोदी ने कहा था कि बार-बार चुनाव कराने से देश के काम रुकते हैं और प्रगति में बाधा आती है. ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का प्रोसेस तय करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी. कोविंद कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी. इसे बुधवार को मोदी कैबिनेट ने मंजूरी दी. 

BJP और NDA के दलों समेत 32 पार्टियों ने वन नेशन वन इलेक्शन का समर्थन किया है. जबकि कांग्रेस समेत 15 दलों ने वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है. वहीं, 15 दलों ने इस पर कोई राय नहीं दी है. मोदी सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन पर बिल पेश कर सकती है. आइए जानते हैं ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर क्या है BJP, कांग्रेस समेत राजनीतिक पार्टियों की राय:-

वन नेशन वन इलेक्शन से होगा आर्थिक विकास- BJP
BJP ने कहा, “वन नेशन वन इलेक्शन से देश में स्थिरता आएगी. इससे आर्थिक विकास में तेजी आएगी. एक राष्ट्र एक चुनाव से सत्ताधारी पार्टियों को शासन में फोकस करने, नीति निर्माण में सुधार करने में मदद मिलेगी. साथ ही इससे मतदान में बढ़ोतरी के रास्ते खुलेंगे. मतदान की प्रक्रिया भी आसान हो जाएगी. बार-बार चुनाव के बजाय एक ही बार में चुनाव कराने से पैसे और समय की बचत भी होगी.

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वन नेशन वन इलेक्शन प्रैक्टिकल नहीं- कांग्रेस
विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस ने वन नेशन वन इलेक्शन को अव्यावहारिक करार दिया है. INDIA अलायंस की अगुवाई करने वाली पार्टी कांग्रेस ने कहा, “वन नेशन वन इलेक्शन को देश कभी स्वीकार नहीं करेगा.” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि देश कि लोग इसे मानने वाले नही हैं. ये सिर्फ चुनाव के लिए मुद्दा बनाकर लोगों को डॉईवर्ट करते हैं. ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ प्रैक्टिकल है ही नहीं.

ये देश के संघवाद को खत्म करेगा- ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भी वन नेशन वन इलेक्शन का विरोध किया है. ओवैसी ने कहा, “ये देश के संघवाद को खत्म करता है. लोकतंत्र से समझौता करता है. वो ऐसा इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि नगरपालिका और स्थानीय निकाय चुनावों में भी उनको प्रचार करने की जरूरत है. जबकि लगातार और समय-समय पर चुनाव होने से लोकतांत्रिक जवाबदेही में भी सुधार होता है.”

ये एक पॉजिटव स्टैंड- मायावती
BSP सुप्रीमो मायावती ने मोदी कैबिनेट के वन नेशन वन इलेक्शन प्रस्ताव का समर्थन किया है. मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “एक देश एक चुनाव की व्यवस्था पर पॉजिटव स्टैंड लिया गया है. देश में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी दी गई है. इसपर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना जरूरी है.”

ये सरकार का घटिया स्टंट- TMC
ममता बनर्जी की TMC ने वन नेशन वन इलेक्शन को सरकार का घटिया स्टंट बताया है. TMC ने कहा, “ये सरकार का घटिया स्टंट है. अगर सरकार वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर गंभीर है, तो जम्मू-कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनाव के साथ महाराष्ट्र चुनाव की तारीखों का ऐलान क्यों नहीं किया गया.”

एक राष्ट्र एक चुनाव का विचार बकवास- RJD
राष्ट्रीय जनता दल यानी RJD नेता मनोज झा ने एक राष्ट्र एक चुनाव का विरोध किया है. RJD ने बताया कि ये एक बकवास विचार है. 

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रामनाथ कोविंद कमेटी का गठन 2 सितंबर 2023 को हुआ था. 191 दिनों में स्टैक होल्डर्स, एक्सपर्ट्स और रिसर्चर्स के साथ चर्चा के बाद कमेटी ने इस साल 14 मार्च को 18,626 पेज की रिपोर्ट पेश की थी.

वन नेशन वन इलेक्शन पर सरकार ने क्या कहा?
-कैबिनेट मीटिंग के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कोविंद कमेटी की रिपोर्ट को लेकर मीडिया ब्रीफिंग दी. उन्होंने बताया कि
देश में एक कॉमन इलेक्टोरल रोल होगा.
-कमेटी ने दो फेज में चुनाव कराने का सुझाव दिया है. पहले फेज में लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव कराए जाएंगे. जबकि 100 दिन के अंदर दूसरे फेज में लोकल बॉडी (निकाय चुनाव)के इलेक्शन होंगे. 
– कोविंद कमेटी की ये सिफारिशें 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद लागू होंगी. 2029 के लोकसभा चुनाव के बाद राष्ट्रपति एक नियत तारीख तय करेंगे, जिससे राज्यों और केंद्र के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. इसके लिए कम से कम 5 से 6 संवैधानिक संशोधन की जरूरत पड़ेगी.
-केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन पर कोविंद कमेटी के सुझावों पर विचार करने के लिए देशभर में चर्चा करेगी. इसके बाद ही अगला कदम उठाया जाएगा.

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कोविंद कमेटी ने वन नेशन वन इलेक्शन पर क्या दिया सुझाव?
-कोविंद कमेटी ने सुझाव दिया कि सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल अगले लोकसभा चुनाव यानी 2029 तक बढ़ाया जाए.
-पहले फेज में लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं. दूसरे फेज में 100 दिनों के अंदर निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं.
-हंग असेंबली, नो कॉन्फिडेंस मोशन होने पर बाकी 5 साल के कार्यकाल के लिए नए सिरे से चुनाव कराए जा सकते हैं.
-इलेक्शन कमीशन लोकसभा, विधानसभा, स्थानीय निकाय चुनावों के लिए राज्य चुनाव अधिकारियों की सलाह से सिंगल वोटर लिस्ट और वोटर आई कार्ड तैयार कर सकता है.
-कोविंद पैनल ने एकसाथ चुनाव कराने के लिए डिवाइसों, मैन पावर और सिक्योरिटी फोर्स की एडवांस प्लानिंग की सिफारिश भी की है.

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