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"कोई एहसान नहीं किया" : महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने किसके बारे में कहा ऐसा?

Mehbooba Mufti Daughter Iltija : जम्मू-कश्मीर का जिक्र जब भी होता है तो दो परिवारों का नाम जरूर याद आता है. एक तो अब्दुल्ला परिवार और दूसरा मुफ्ती परिवार. अब तक जम्मू-कश्मीर को इन्हीं दो परिवारों ने चलाया है. अब्दुल्ला परिवार की तीसरी पीढ़ी के उमर अब्दुल्ला तो अब वरिष्ठ राजनेता हो चुके हैं, लेकिन अब मुफ्ती परिवार की भी तीसरी पीढ़ी चुनावी मैदान में उतरने को तैयार है. अब तक महबूबा मुफ्ती को राजनीतिक सलाह देने वाली उनकी बेटी इल्तिजा मुफ्ती इस बार विधानसभा चुनाव (Jammu Kashmir Assembly Election 2024) लड़ने को तैयार हैं. The Hindkeshariने उनसे बात की और जानना चाहा कि उनके लिए आगामी चुनाव का क्या महत्व है और कौन से मुद्दे राज्य के लिए सबसे अहम हैं?

इल्तिजा कहां से लड़ेंगी चुनाव?

इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि फिलहाल जिस दौर से जम्मू कश्मीर गुजर रहा है, जाहिर तौर पर यह बहुत उथल-पुथल भरा दौर है और इस दौर में मुझे लगता है कि हमारी आवाज ही हमारी ताकत है. पार्टी ने मुझे इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है और यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी बात है. आर्टिकल 370 हटने के बाद से हमेशा मैंने कोशिश की है कि मैं अपनी आवाज उठाऊं. हमारी जम्मू कश्मीर की आवाम बहुत मुश्किल समय से गुजर रहे हैं. मेरे लिए गर्व की बात है कि मुझे जम्मू-कश्मीर की जनता की नुमाइंदगी करने का एक मौका मिलेगा. मैं ये चुनाव महबूबा मुफ्ती की बेटी की हैसियत में नहीं लड़ने जा रही हूं. मैं चुनाव एक कश्मीरी की हैसियत से लड़ना चाहती हूं और मैं लड़ रही हूं, क्योंकि यहां जो लोगों पर गुजर रही है, मैं उसको आवाज देना चाहती हूं. मैं एक पीडीपी कार्यकर्ता की तरह बिजबेहारा से चुनाव लड़ना चाहती हूं. मेरे लिए यह बहुत खास है, क्योंकि मुफ्ती साहब की परवरिश, कॉलेज, विश्वविद्यालय के बाद लॉ की प्रैक्टीस भी उन्होंने यहीं की. महबूबा मुफ्ती ने भी अपना पहला चुनाव यहीं से लड़ा. 

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चुनाव की घोषणा पर क्या कहा?

महबूबा की बेटी इल्तिजा ने कहा कि विधानसभा चुनाव करवाकर हम पर कोई एहसान नहीं किया गया है. जम्हूरियत में चुनाव जरूरी होता है और ये चुनाव छह साल पहले होना चाहिए था तो मुझे अजीब-ओ-गरीब लगता है कि यहां चुनाव होने को लोग बड़ी बात बना रहे हैं. हां, यह सही है कि देर आए, दुरुस्त आए. मगर यहां सिर्फ लोकतंत्र ही नहीं बहाल होना चाहिए, बल्कि यहां जो 2019 के बाद लोगों के मौलिक अधिकार ले लिए गए हैं, उसकी भी अब बहाली होनी चाहिए. मैं खुश हूं की लोगों को एक चांस मिल रहा है कि वो अपनी सरकार चुन पाएंगे, वरना 2019 के बाद से यहां दिल्ली का शासन है.

चुनाव के मुद्दे क्या होंगे?

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लोकसभा चुनाव में पीडीपी के खराब प्रदर्शन के सवाल पर इल्तिजा ने कहा कि आपको याद दिलाऊं कि पीडीपी को तोड़ने के लिए मरकजी सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी थी. हमारी पार्टी के विधायकों, सांसदों और पू्र्व मंत्रियों को केंद्र सरकार ने डरा-धमका कर हमसे अलग-थलग कर दिया. अगर आप इस नजरिए से देखें तो आपको लोकसभा चुनाव में हमारी पार्टी का प्रदर्शन बहुत शानदार लगेगा. विधानसभा चुनाव में हम और अच्छा प्रदर्शन करेंगे और मैं खुद गांव-गांव, दरवाजे-दरवाजे जाकर लोगों को समझाऊंगी कि हमारा एजेंडा क्या है और हम क्या करना चाहते हैं. विधानसभा चुनाव के बड़े मुद्दे पूछे जाने पर इल्तिजा ने कहा कि महंगाई, बेरोजगारी के साथ-साथ जो हमारे संसाधन बाहरी लोगों को दिए जा रहे हैं, ये सबसे बड़े मुद्दे है. इसके साथ ही जेलों में बंद हमारे नौजवानों को रिहा कराना भी एक बड़ा मुद्दा है. भारत की राजनीति में औरतों को बहुत कम स्पेस दी जाती है. बहुत कम उनकी भागीदारी है. जहां भी विवाद होता है, उसका हमेशा असर महिलाओं को ही झेलना पड़ता है. मैं चाहती हूं कि महिलाओं और लड़कियों को अपने साथ राजनीति में लाऊं. 

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कब है चुनाव?

चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की है, जिनमें 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान होगा. मतों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी. चुनाव आयोग के मुताबिक, जम्मू और कश्मीर में 90 निर्वाचन क्षेत्रों में 87.09 लाख मतदाता हैं, जिनमें 42.6 लाख महिलाएं हैं. यहां पहली बार वोट देने वाले युवा मतदाताओं की संख्या 3.71 लाख है. कुल मिलाकर 20.7 लाख युवा मतदाता हैं, जिनकी आयु 20 से 29 वर्ष के बीच है.
पूरे जम्मू कश्मीर में करीब 11,838 मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं. यह मतदाता केंद्र कुल 9,169 स्थानों पर बनाए जाएंगे. इनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 9,506 मतदान केंद्र बनाए जाएंगे. प्रत्येक मतदान केंद्र पर औसतन 735 मतदाता हैं. जम्मू कश्मीर में चुनाव आयोग ने इस बार 360 मॉडल पोलिंग स्टेशन बनाने का फैसला किया है. जम्मू कश्मीर में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से 74 जनरल, 9 एसटी व 7 एससी सीटें हैं.

 


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