किशोरों में सोशल मीडिया की लत पर मेटा की खैर नहीं, अमेरिका में चल सकेगा मुकदमा
सोशल मीडिया की दुनिया के अपने नफे-नुकसान है. यकीनन आप भी अपने फोन पर थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ ना कुछ स्क्रॉल करते ही रहते होंगे. सोशल मीडिया की खुमारी लोगों के सिर किस कदर चढ़ी है कि इसका अंदाजा इससे लगा लीजिए कि लोग दिनभर के अपने कामकाजों की रील बनाकर भी सोशल मीडिया पर पोस्ट करते रहते हैं. सोशल मीडिया कुछ लोगों के लिए एक ऐसी लत की तरह है, जिससे छुटकारा पाना अब मुश्किल होता जा रहा है. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि गैजेट से चिपका रहना मानसिक विकास के लिए भी बिल्कुल सही नहीं है.
मेटा पर लगा क्या आरोप
फेसबुक की मूल कंपनी मेटा को भी अमेरिका में मुकदमों का सामना करना होगा. दरअसल फेसबुक और इंस्टाग्राम प्लेटफॉर्म पर किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ावा देने का आरोप लगा है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक कैलिफोर्निया के एक फेडरेल जज ने मंगलवार को इस पर फैसला सुनाया. ओकलैंड स्थित अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट जज यवोन गोंजालेज रोजर्स ने पिछले साल दायर दो अलग-अलग मुकदमों में स्टेट द्वारा किए गए दावों को खारिज करने की मेटा की मांग को खारिज कर दिया.
इनमें से एक मुकदमा कैलिफोर्निया और न्यूयॉर्क सहित 30 से अधिक स्टेट से संबंधित था, जबकि दूसरा फ्लोरिडा द्वारा दायर किया गया था. रोजर्स ने स्टेट के दावों पर कुछ सीमाएं लगाईं और मेटा से सहमति जताते हुए कहा कि ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को कंट्रोल करने वाले सेक्शन 230 नामक फेडरल लॉ ने कंपनी को आंशिक रूप से संरक्षण प्रदान किया है. हालांकि, उन्होंने इस दौरान ये भी पाया कि स्टेट ने कंपनी द्वारा दिए गए कथित भ्रामक बयानों के बारे में पर्याप्त विवरण पेश कर दिया था, जिससे उनके मामले में आगे की कार्यवाही संभव हो सकी.
सोशल मीडिया कंपनियों पर चलेगा केस
जज ने मेटा, बाइटडांस के टिकटॉक, गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट (GOOGL.O), यूट्यूब और स्नैप (SNAP.N), स्नैपचैट द्वारा दायर पर्सनल इंजरी केस को खारिज करने के लिए दायर किए गए प्रस्तावों को भी खारिज कर दिया. इस फ़ैसले से स्टेट और अन्यों के लिए और सबूत मांगने और संभावित रूप से मुक़दमे चलने का रास्ता साफ़ हो गया है.
कोर्ट का फैसला किनके लिए बड़ी जीत
कैलिफोर्निया के अटॉर्नी जनरल रॉब बोन्टा ने एक बयान में कहा, “मेटा को कैलिफोर्निया और पूरे देश में बच्चों को पहुंचाए गए असल नुकसान के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.” एक पक्ष के वकीलों ने एक संयुक्त बयान में इस फैसले को “देश भर के युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण जीत” बताया, जो नशे की लत और हानिकारक सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं.
गूगल ने आरोपों को नाकारा, कही ये बात
गूगल के प्रवक्ता ने आरोपों को बिल्कुल भी गलत बताया और कहा युवा लोगों को सुरक्षित, स्वस्थ अनुभव प्रदान करना हमेशा से हमारे काम का मुख्य हिस्सा रहा है. अन्य सोशल मीडिया कंपनियों ने टिप्पणी के अनुरोधों का तुरंत जवाब नहीं दिया. लोगों द्वारा सैकड़ों मुकदमे दायर किए गए हैं, जिनमें सोशल मीडिया कंपनियों पर नशे की लत वाले एल्गोरिदम डिजाइन करने का आरोप लगाया गया है, जो किशोरों में चिंता, अवसाद जैसी समस्याओं को जन्म देते हैं. लेकिन वो इनके जोखिमों के बारे में चेतावनी देने में विफल रहते हैं.