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MIG-27 में लगी आग तो पार कर गए बॉर्डर, 8 दिन झेला दुश्मनों का टॉर्चर… ग्रुप कैप्टन नचिकेता ने बताई कैसे पाकिस्तान ने टेके घुटने


टाइगर हिल:

आज से 25 साल पहले 26 जुलाई 1999 को लद्दाख के करगिल (Kargil War) में पाकिस्तानी आर्मी (Pakistani Army) को इंडियन आर्मी (Indian Army) ने खदेड़ कर ‘ऑपरेशन विजय’ को सफल बनाया था. इस जंग में भारत ने अपने 527 जवान खोए थे. 1363 जवान जंग लड़ते हुए जख्मी हुए थे. लेकिन भारत के जवानों ने अपनी खून का कतरा-कतरा देकर भारत मां की रक्षा की. करगिल युद्ध के 25 साल पूरे होने के मौके पर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्रास पहुंच रहे हैं. पीएम मोदी करगिल युद्ध स्मारक पर शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देंगे. 

करगिल युद्ध के 25 साल पूरे होने पर The Hindkeshariखास सीरीज ‘वतन के रखवाले’ चला रहा है. आज की सीरीज में हमने टाइगर हिल के लेमोचिन पॉइंट पर करगिल युद्ध में शामिल कैप्टन नचिकेता (Captain Nachiketa) से खास बातचीत की. कैप्टन नचिकेता करगिल युद्ध में एकमात्र युद्धबंदी थे.

करगिल युद्ध के दौरान फ्लाइट लेफ्टिनेंट कम्बमपति नचिकेता IAF टीम-9 में युद्ध-प्रभावित बटालिक क्षेत्र में ड्यूटी पर थे. नचिकेता को 17,000 फीट की ऊंचाई से दुश्मन के ठिकानों पर हमला करने की जिम्मेदारी दी गई थी. 27 मई 1999 को नचिकेता ने अपने फाइटर प्लेन मिग-27 से टारगेट सेट कर फायर किया ही था कि उनके इंजन में आग लग गई. काफी मशक्कत के बाद भी नचिकेता आग पर काबू पाने में सफल नहीं हुए. उन्हें दुश्मन के इलाके में बर्फ से ढकी पहाड़ी मुन्थूदालो में लैंडिंग करनी पड़ी. उनके बहादुर साथी स्क्वॉड्रन लीडर अजय आहूजा मिग-21 से उन्हें ढूंढ रहे थे. लेकिन पाकिस्तानी मिसाइल अन्जा ने आहूजा के एयरक्राफ्ट को निशाना बना लिया.

 

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जब इमरजेंसी लैंडिंग के सिवाय नहीं था कोई ऑप्शन 
25 साल बाद नचिकेता ने करगिल जंग से जुड़े किस्से सुनाए. उन्होंने कहा कि मिग-27 में के इंजन में आग लगने के बाद उनके पास इमरजेंसी लैंडिंग के सिवाय और कोई ऑप्शन नहीं था. नीचे गिरने के आधा घंटे बाद पाकिस्तानी सैनिकों ने उन्हें घेर लिया. उन्होंने अपनी पिस्टल से छह राउंड फायर किए. पाकिस्तानी सैनिकों ने भी उन पर फायर किए, लेकिन वे खुशकिस्मत रहे कि एक भी गोली उन्हें नहीं लगी.

पाकिस्तान एयर फोर्स के अधिकारी ने मदद की
नचिकेता बताते हैं, “इस बीच पाकिस्तानी सैनिकों ने मुझे पकड़ लिया. मेरे साथ मारपीट शुरू कर दी. मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं बची थी. तभी पाकिस्तान एयर फोर्स का एक अधिकारी कैसर तुफैल वहां पहुंचे. कैसर करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तान ऑपरेशंस के डायरेक्टर थे. उन्होंने अपने उग्र सैनिकों को मुश्किल से काबू किया. फिर मुझे एक कमरे में लेकर गए.”

नचिकेता बताते हैं, “कैसर ने दोस्ताना व्यवहार किया. मेरे परिवार और एयर फोर्स से जुड़ने की बातें की. दोनों की जिंदगी में कई समानताएं थी. इस तरह वो मुझसे प्रभावित हुए. वहां से मुझे बटालिक सेक्टर में किसी जगह पर ले जाया गया. बाद में एक हेलीकॉप्टर से स्कर्दू पहुंचाया गया. उस दौरान मुझे टॉर्चर करते हुए पूछताछ की गई.” नचिकेता कहते हैं, “हर वक्त मौत सामने नजर आती थी, लेकिन फिर भी एक उम्मीद थी कि एक दिन जरूर मैं वतन लौटूंगा.”

आठ दिन बाद पाकिस्तान ने रेड कॉस को सौंपा
भारत सरकार की कोशिशों से पूरे आठ दिन बाद ग्रुप कैप्टन नचिकेता को रेड क्रॉस को सौंप दिया गया. रेड क्रॉस के जरिए वे वाघा बॉर्डर के रास्ते भारत पहुंचे. नचिकेता की रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी. चोट के चलते फाइटर्स प्लेन में उनकी तैनाती तो नहीं हो सकी, लेकिन वायु सेना के ट्रांसपोर्ट बेड़े में उन्हें जरूर शामिल कर लिया गया.  2017 में वे ग्रुप कैप्टन के रूप में रिटायर हुए. ग्रुप्ट कैप्टन नचिकेता को करगिल युद्ध के दौरान देश के प्रति अपनी उत्कृष्ट सेवा के लिए वायु सेना गैलेंट्री मेडल से नवाजा गया.

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हम और बेहतर कर सकते थे
25 साल पुरानी घटना को याद करते हुए ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) नचिकेता कहते हैं, “1999 और आज के बीच में 25 साल आ गए हैं. लेकिन लगता है जैसे कल की ही बात है. जब हम किसी वॉर में एक्टिव पार्टिसिपेंट रहते हैं, तो हमारे अंदर उसे लेकर कई तरह के इमोशन होते हैं. हम रियल वॉर में शामिल रहे थे. हम सब कुछ करीब से देखा हुआ है. उस समय की घटना को याद करेंगे, तो प्रोफेशनल और पर्सनल एक सा लगता है. लेकिन आज मैं इसे एक बेहतर तरीके से देख पा रहा हूं. मुझे समझ में आ रहा है कि क्या खामियां थी? हम कहां और कितना बेहतर कर सकते थे. कैसे बेहतर कर सकते थे.”

ग्रुप कैप्टन (रिटायर्ड) नचिकेता बताते हैं, “ये बड़े फक्र की बात है कि आज मैं जिस जगह टाइगर हिल पर खड़ा हूं, उसे हम बड़े दिलेरी के साथ दुश्मनों से छुड़ाकर लाने में कामयाब हुए थे.”

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