हाथरस सत्संग में 100 से ज्यादा मौतें: फिर मौत का वही मंजर, आखिर रुकती क्यों नहीं है ये भगदड़
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को एक बड़ा हादसा हो गया. वहां के एक गांव में भोले बाबा नाम के एक बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 116 से अधिक लोगों की मौत हो गई. इस हादसे में 150 से अधिक घायल हुए हैं. यह घटना हाथरस जिला मुख्यालय से 47 किमी दूर फुलरई गांव में हुई है.
हाथरस में कहां और कब हुई घटना
फुलरई गांव में मंगलवार को भोले बाबा का सत्संग चल रहा था.सत्संग खत्म होने के बाद लोग वहां से निकलने लगे. इस दौरान अचानक वहां भगदड़ मच गई.इसमें महिलाएं और बच्चे बुरी तरह कुचल गए.उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं. यह पहली बार नहीं है कि किसी धार्मिक कार्यक्रम या धार्मिक परिसर में इस तरह की भगदड़ मची हो या इतने बड़े पैमाने पर लोगों की जान गई हो.
भारत में धार्मिक आयोजनों में इस तरह के हादसे अक्सर सामने आते रहते हैं. मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर के बेलेश्वर महादेव मंदिर में पिछले साल रामनवमी के दिन एक बावड़ी की छत ढहने से 30 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.घटना के समय वहां धार्मिक आयोजन चल रहा था.उसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे.इससे पहले जनवरी 2022 में वैष्णो देवी धाम में मची भगदड़ में 10 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.वहीं अक्तूबर 2018 में पंजाब के अमृतसर में दशहरे पर रावण दहन को देखने में भीड़ रेलवे ट्रैक पर आ गई.इस दौरान आई ट्रेन की चपेट में आकर 60 लोगों की मौत हो गई थी.इसी तरह से अप्रैल 2016 में केरल के कोल्लम में एक मंदिर में आग लगने से 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी.
अभी पिछले महीने शुरू हुई उत्तराखंड की चार धाम यात्रा में जिस तरह से श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी, उसे देखते हुए इस तरह की भगदड़ की आशंका हर समय बनी रहती है. इस यात्रा के दौरान भी श्रद्धालुओं के नियंत्रण के इंतजाम नाकाफी नजर आते हैं. अगर अव्यवस्था और बिगड़ी तो वहां बड़ी जनहानी हो सकती है.
क्या कहती है एनडीएमए की रिपोर्ट
भीड़भाड़ वाली जगहों पर होने वाले हादसों के लिए नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी ने 2014 में एक रिपोर्ट दी थी.इसमें कुछ सुझाव दिए गए थे.ये सुझाव राज्य सरकार,स्थानीय अधिकारियों, प्रशासन और आयोजको के लिए थे.रिपोर्ट में भीड़ प्रबंधन से जुड़े लोगों के प्रशिक्षण का सुझाव दिया गया था.इसके लिए हर स्तर पर काम करने की जरूरत पर जोर था.रिपोर्ट में पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों को भीड़ के व्यवहार और मनोविज्ञान का अध्ययन और भीड़ प्रबंधन को जानने के बारे में कहा गया था.रिपोर्ट में पुलिस को भीड़ में बल प्रयोग से अधिक अच्छा व्यवहार करने की सलाह दी गई थी.
धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा के इंतजाम
भारत में होने वाले प्रवचनों और धार्मिक आयोजनों में बड़े पैमाने पर लोग शामिल होते हैं. कई बार तो भीड़ इतनी आ जाती है,जितने की उम्मीद भी आयोजकों को नहीं रहती है.ऐसे में उनके इंतजाम भी कम पड़ जाते हैं.लेकिन कई बार ऐसे आयोजनों में अव्यवस्था साफ-साफ नजर आती है. इन धार्मिक पंडालों में हजारों की संख्या में लोग होते हैं. कई बार वहां लोगों के घुसने और निकलने के अलग-अलग इंतजाम नहीं होते हैं.
कई बार देखने में यह भी आता है कि इन आयोजनों के लिए पुलिस इंतजाम पर्याप्त नहीं होते हैं या पुलिस से इजाजत भी नहीं ली जाती है और अगर ली भी जाती है तो उतने लोगों की संख्या नहीं बताई जाती है, जितने श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद होती है.इस वजह से भी पुलिस जरूरी इंतजाम नहीं कर पाती है.
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