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MP Election Results 2023: मध्यप्रदेश में फिर खिलने जा रहा 'कमल', जानें BJP की सत्ता वापसी की 5 अहम वजह

सीएम शिवराज ने कहा, ‘‘डबल इंजन की सरकार. दिल्ली में प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने जो काम किया, उसे हमने यहां क्रियान्वित किया और यहां (मध्यप्रदेश) जो योजनाएं बनीं, लाड़ली लक्ष्मी से लेकर लाड़ली बहना तक का जो अद्भुत सफर तय किया, गरीबों, किसानों, भांजे-भांजियों के लिए जो काम हुए, वे भी जनता के दिल को छू गये.” शिवराज चौहान ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री अमित शाह की अचूक रणनीति और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के मार्गदर्शन में हमारे साथी कार्यकर्ता व पूरी टीम जुटी रही उससे चुनाव अभियान को सही गति और दिशा मिली.

चलिए आपको बताते हैं कि मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी की पांच अहम वजहें क्या हैं?

1. पीएम मोदी की गारंटी, अमित शाह की सियासत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) अपनी हर सभा में कहते थे  ‘मोदी की गारंटी’है. पीएम मोदी ने ताबड़तोड़ 15 रैलियों से  बीजेपी के पक्ष में माहौल बना दिया.  प्रधानमंत्री ने मोदी की गारंटी के नारे के साथ सीएम शिवराज के नेतृत्व में बीजेपी के कामों से आए बदलावों से लेकर लाडली बहना योजना और लाडली लक्ष्मी योजनाओं का भी जिक्र किया. वहीं,  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने भी रैलियों और माइक्रो लेबल पर बूथ मैनेजमेंट के जरिये नाराज़ नेताओं को समझाया-मनाया और पार्टी के लिये काम करने को तैयार किया.

2. सीएम शिवराज के चेहरे का कमाल

इस चुनाव में मध्य प्रदेश में बीजेपी ने मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया था. लेकिन  तीसरी लिस्ट आने पर ये साफ हो गया कि कमान शिवराज सिंह चौहान के हाथ में ही थी. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पूरे प्रदेश में खूब प्रचार किया.केले शिवराज ने 165 रैलियां, रोड-शो करके माहौल पार्टी के पक्ष में कर दिया.इनके अलावा भी बीजेपी के लिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ,गृह मंत्री अमित शाह,रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई बड़े चेहरों ने प्रचार की कमान संभाली. 

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3.’लाडली बहना’ योजना बनी गेम चेंजर 

शिवराज सरकार की ‘लाडली बहना’ योजना चुनाव में  मास्टर स्ट्रोक (Shivraj’s master stroke) साबित हुआ. शिवराज सरकार  की 1 करोड़ 31 लाख से ज्यादा लाडली बहनें  बीजेपी के लिए गेम चेंजर बन गईं. कांग्रेस ने भी दावा किया कि  सरकार बनने पर  वह नारी सम्मान योजना (Nari Samman Yojana के जरिये महिलाओं को 1500 रु.देगी. लेकिन बीजेपी ने तुरंत पलटवार किया और कहा लाडली बहना योजनाम में दी जाने वाली रकम की शुरूआत 1000 रु. से है जो 3000 रु.तक जा सकती है. इसके बाद अगले 100 दिनों में सवा करोड़ से ज्यादा महिलाओं के खाते में लगभग शत प्रतिशत सफलता के साथ पैसे भी  जमा किए गए.  राज्य में 29 सीटों में महिला वोटरों की संख्या पुरुषों से ज्यादा है. इसके साथ ही 34 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में ज्यादा मतदान भी किया. जिससे साफ पता चलता है कि शिवराज सरकार की ‘लाडली बहना’ किस तरह उनके लिए  गेम चेंजर बनीं.

4. आदिवासी आबादी की वोटिंग

देश की सबसे बड़ी आदिवासी आबादी (tribal population) मध्यप्रदेश में है. यही वजह है कि राज्य में  सरकार बनाने के लिए भी उनके वोट अहम माने जाते हैं. 2018 के चुनावों में आदिवासियों की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ी थी. इसलिए इस बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने गोंड रानी कमलापति, दुर्गावती, तांत्या मामा के प्रतीकों के जरिये आदिवासी वोटों को साधने की कोशिश की.2018 में 84 सीटों में बीजेपी  34 सीटें और 2013 में 59 सीटें जीत पाई थी.राज्य में 47 सीटें आदिवासियों के लिये आरक्षित हैं, जब बीजेपी ने  2003 में कांग्रेस से सरकार छीनी थी उस समय 41 सीटें आरक्षित थी, जिसमें बीजेपी ने 37 जीती थीं. 2008 में 47 सीटें आरक्षित हो गईं, इसमें बीजेपी ने 29 और कांग्रेस ने 17 सीटें जीतीं. 2013 में बीजेपी ने 47 में 31 सीटेंऔर कांग्रेस ने 15सीटें जीतेी. लेकिन 2018 में पासा पलट गया और कांग्रेस ने 30 सीटें जीतीं जबकि बीजेपी  मात्र 16 सीटें जीत पाईं . 

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5.  महीनों पहले उम्मीदवारों के नाम का ऐलान

17 अगस्त को बीजेपी ने विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की पहली सूची की घोषणा की. इसके 39 दिन बाद  सत्तारूढ़ पार्टी ने उम्मीदवारों की दूसरी सूची का भी ऐलान कर दिया. जिसमें तीन केंद्रीय मंत्रियों,नरसिंहपुर से प्रह्लाद सिंह पटेल, कृषि मंत्री और पार्टी की राज्य चुनाव प्रबंधन समिति के प्रमुख नरेंद्र सिंह तोमर,कैलाश विजयवर्गीय,फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे दिग्गजों के नाम शामिल थे. बीजेपी द्वारा कमजोर मानी जाने वाली सीटों पर महीनों पहले उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करके से उम्मीदवारों को अपने दांव जमाने का खूब वक्त मिला. वहीं, पार्टी टिकट न मिलने से नाराज नेताओं को भी मनाने में  कामयाब रही.

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