जनसंपर्क मध्यप्रदेश

MP NEWS- जल संरक्षण की दिशा में जल गंगा संवर्धन अभियान मध्यप्रदेश सरकार की महत्त्वपूर्ण पहल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव…

भोपाल : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि जल संरक्षण की दिशा में जल गंगा संवर्धन अभियान मध्यप्रदेश सरकार की महत्त्वपूर्ण पहल है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में यह अभियान 30 मार्च से 30 जून तक संचालित किया जा रहा है। इसका उद्देश्य नदियों, जल स्त्रोतों और वेटलैण्ड्स का संरक्षण व पुनर्जीवन है। शासन और समाज के समन्वित प्रयासों से इस अभियान के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।

घोड़ा पछाड़ नदी पुनर्जीवित, अन्य सहायक नदियाँ भी प्रवहमान

खण्डवा जिले में आम नागरिकों और प्रशासन के सहयोग से नर्मदा की सहायक घोड़ा पछाड़ नदी को पुनर्जीवित किया गया है। अंधाधुंध भू-जल दोहन के कारण यह नदी और आसपास की कई छोटी नदियाँ सूख चुकी थीं, जिससे खेती-किसानी प्रभावित हो रही थी। रिज टू वैली सिद्धांत पर आधारित जल संरचनाओं के निर्माण से लगभग 33 किलोमीटर क्षेत्र में जल संचय किया गया। परिणामस्वरूप घोड़ा पछाड़ नदी में फिर से जल प्रवाह शुरू हो गया है, जिससे वर्ष भर इन नदियों के प्रवहमान रहने की संभावनाएं बनी हैं।

राज्य की नदियों का सर्वेक्षण और जल शोधन संयंत्रों की स्थापना

मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा नर्मदा, चंबल, क्षिप्रा, बेतवा, सोन, टोंस, ताप्ती, कान्ह, माही, सिंध, और बेनगंगा सहित प्रमुख नदियों का सर्वेक्षण किया गया। अध्ययन में पाया गया कि 158 नालों से प्रतिदिन लगभग 450 मिलियन लीटर घरेलू अपशिष्ट जल सीधे इन नदियों में बहाया जा रहा है। इस स्थिति में सुधार के लिए नगरीय विकास विभाग द्वारा 869 मिलियन लीटर प्रतिदिन क्षमता के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स (STPs) की स्थापना की जा रही है।

यह भी पढ़ें :-  MP News: जल संरक्षण के लिए जनसहभागिता आवश्यक: मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव…

वेटलैण्ड संरक्षण में मध्यप्रदेश की अग्रणी भूमिका

वर्ष 2002 में जहां मध्यप्रदेश में केवल एक रामसर साइट थी, वहीं आज यह संख्या बढ़कर पाँच हो चुकी है। साथ ही इंदौर को देश का पहला वेटलैण्ड सिटी घोषित किया जाना राज्य के लिए गौरव की बात है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के पालन में राज्य वेटलैण्ड प्राधिकरण ने 2.25 हैक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल वाले 13,565 वेटलैण्ड्स का भौतिक सत्यापन और सीमांकन समय-सीमा में पूर्ण किया है।

इंदौर नगर निगम एवं एप्को ने मिलकर शहर के 330 पारंपरिक कुएं और बावड़ियों का संरक्षण कार्य किया है। यह पहल शहर की जल-परंपरा को पुनर्जीवित करने में सहायक सिद्ध हो रही है।

प्रकृति के संरक्षण के लिये साझा जिम्मेदारी

प्रकृति में पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने के लिए समाज की सहभागिता आवश्यक है। नदियाँ, पेड़, पहाड़ और मानव – सब एक-दूसरे पर आश्रित हैं। जल गंगा अभियान इसी पारस्परिक जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहा है, जिससे जल, जीवन और प्रकृति की यह अमूल्य विरासत आने वाली पीढ़ियों तक सुरक्षित रहे।

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button