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बदायूं: सम्मेलन के दौरान मंच पर अचानक रोने लगीं सांसद संघमित्रा मौर्य, BJP से नहीं दिया टिकट

बदायूं लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सांसद संघमित्रा मौर्य मंगलवार को यहां प्रबुद्धजन सम्‍मेलन में नेताओं के भाषण के दौरान अचानक रोने लगीं, जिसका एक वीडियो सार्वजनिक हो गया है. बदायूं में मंगलवार की सुबह भाजपा उम्मीदवार दुर्विजय सिंह शाक्य के समर्थन में आयोजित प्रबुद्ध सम्मेलन में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पहुंचने से पहले ही जब मंच पर सभी नेताओं का संबोधन चल रहा था, उसी समय मंच पर बैठीं बदायूं की सांसद संघमित्रा मौर्य अचानक रोने लगीं और बाद में आंसू पोंछते हुए उनका वीडियो भी प्रसारित होने लगा.

हालांकि, उन्होंने कहा कि रामायण का एक मार्मिक वृत्तांत सुनकर उनकी आंखों में आंसू आ गये. भाजपा ने इस बार संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया है. मुख्यमंत्री योगी की सभा समाप्त होने के बाद जब ‘पीटीआई-भाषा’ ने संघमित्रा मौर्य से बात की तो उन्होंने कहा कि ”मंच पर उनके समीप माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी बैठी थीं और उन्होंने रामायण का एक मार्मिक वृत्तांत सुना दिया जिससे आंखों का नम होना स्वाभाविक था.”

संघमित्रा मौर्य ने कहा कि वह कमजोर व्यक्ति नहीं हैं, बल्कि एक बहादुर महिला हैं जो आधी आबादी का प्रतिनिधित्व करती है. संघमित्रा मौर्य के रोने के दौरान उनको मंच पर समझाते नजर आए केंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्मा ने कहा कि वह रोई नहीं थीं.

वर्मा ने कहा कि पांच वर्ष उन्‍होंने (संघमित्रा) बदायूं की जनता के साथ काम किया है तो हो सकता है उन्हें याद आ रही होगी. केन्‍द्रीय मंत्री ने दावा किया कि ”वह पूरे मनोयोग से हमारे साथ (भाजपा उम्‍मीदवार को) चुनाव लड़ा रही हैं, किसी को उनसे कहना नहीं पड़ा, उनको मनाना नहीं पड़ा.”

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भाजपा ने बदायूं संसदीय क्षेत्र में संघमित्रा मौर्य को प्रत्याशी न बनाकर उनकी जगह दुर्विजय सिंह शाक्य को उम्मीदवार घोषित किया है. संघमित्रा अभी हाल ही में राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी की स्थापना करने वाले पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी हैं, जिन्होंने 2022 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली पहली सरकार में श्रम मंत्री पद से इस्तीफा देकर समाजवादी पार्टी (सपा) की सदस्यता ग्रहण कर ली.

स्‍वामी मौर्य सपा से कुशीनगर की फाजिलनगर सीट से चुनाव हार गये लेकिन सपा ने उन्हें पार्टी का राष्‍ट्रीय महासचिव और फिर विधान परिषद सदस्य बनाया. हालांकि, उन्होंने वैचारिक मतभेद के चलते विधान परिषद की सदस्यता और सपा से त्यागपत्र दे दिया.

मौर्य को रामचरित मानस समेत धर्म से जुड़े कई मामलों पर अपनी विवादित टिप्‍पणी के चलते भाजपा और हिंदू संगठनों के विरोध का सामना करना पड़ा. उनके खिलाफ लखनऊ, प्रतापगढ़ समेत कई क्षेत्रों में प्राथमिकी भी दर्ज हुई.

 

(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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