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"मेरे बच्चे नौकरी के लायक नहीं हैं?": कर्नाटक कोटा बिल पर फोनपे के संस्थापक

PhonePe के सीईओ और सह-संस्थापक समीर निगम ने कर्नाटक सरकार के निजी नौकरी कोटा बिल का विरोध किया है, जिसका उद्देश्य निजी क्षेत्र में नौकरियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करना है. एक्स पर एक पोस्ट में निगम ने तर्क दिया, यह बिल उनके जैसे लोगों के लिए अनुचित था जो अपने माता-पिता के काम के कारण कई राज्यों में रहते हैं.

उन्होंने एक्स पर लिखा, “मैं 46 साल का हूं. मैं 15 साल से अधिक समय तक किसी राज्य में नहीं रहा. मेरे पिता भारतीय नौसेना में काम करते थे. उन्हें पूरे देश में तैनात किया गया.”

समीर निगम ने विधेयक पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या उनके बच्चे, जो कर्नाटक में बड़े हुए हैं अपने गृह शहर में नौकरी के लायक नहीं हैं. बावजूद इसके कि उन्होंने पूरे देश में रोजगार के अवसर पैदा किए हैं.”

कर्नाटक जॉब कोटा बिल क्या है?
उद्योगों, कारखानों और अन्य प्रतिष्ठानों में स्थानीय उम्मीदवारों के लिए कर्नाटक राज्य रोजगार विधेयक, 2024, 16 जुलाई को प्रस्तावित किया गया था. विधेयक में प्रबंधन स्तर की नौकरियों में 50 प्रतिशत और गैर-प्रबंधन स्तर की नौकरियों में से 70 प्रतिशत स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित करना अनिवार्य है.

राज्य के उद्योग मंत्री एमबी पाटिल ने कहा कि नीति का उद्देश्य उद्योगों की जरूरतों पर विचार करते हुए कन्नड़ लोगों के हितों की रक्षा करना है.

कर्नाटक जॉब कोटा बिल का विरोध क्यों हो रहा है?
उद्योग हितधारकों का मानना ​​है कि इस विधेयक के राज्य की अर्थव्यवस्था, स्टार्टअप और आईटी कंपनियों पर दूरगामी परिणाम हो सकते हैं. उद्योग निकाय NASSCOM ने कहा कि प्रतिबंधों से स्टार्टअप और आईटी कंपनियां राज्य से बाहर जा सकती हैं, जिससे निवेश और नौकरियों का नुकसान हो सकता है.

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बायोकॉन की चेयरपर्सन किरण मजूमदार-शॉ ने कहा कि यह बिल टेक हब के रूप में राज्य की अग्रणी स्थिति को नुकसान पहुंचा सकता है, साथ ही यह कुशल प्रतिभा की उपलब्धता को भी प्रभावित कर सकता है. जबकि आईटी दिग्गजों के पास पड़ोसी राज्यों में स्थानांतरित होने के लिए संसाधन हो सकते हैं.


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