देश

NDA सरकार वापस आ रही है… The Hindkeshariसे बोले सियासत के चाणक्य प्रशांत किशोर

पीके ने कहा कि पूर्व और दक्षिण में बीजेपी का वोट शेयर और सीटें दोनों ही बढ़ती दिख रही हैं. इन क्षेत्रों में सीटें बढ़ने के साथ ही बीजेपी का वोट शेयर भी बढ़ सकता है.दक्षिण-पूर्व में बीजेपी को 15-20 सीटों का फायदा हो सकता है. पश्चिम-उत्तर में भी बीजेपी को कोई खास नुकसान होता नहीं दिख रहा है.

“मोदी सरकार के खिलाफ लोगों में ज्यादा गुस्सा नहीं”

पीके ने कहा कि भले ही लोगों में बीजेपी सरकार के खिलाफ निराशा हो सकती है या नाराजगी हो सकती है. लेकिन व्यापक स्तर पर मोदी सराकर को हटाने को लेकर गुस्सा देखने को नहीं मिला है. बीजेपी को चुनौती देने वालों का कोई शोर नहीं है.पीके ने कहा कि अगर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें, तो चुनावी पंडितों ने भविष्यवाणी की थी कि बीजेपी को 272 से ज्यादा सीटें नहीं मिलेंगी. इस बार बीजेपी के हक में भविष्यवाणी हो रही है. बीजेपी ने सीटों के लक्ष्य को 272 सीटों से हटाकर 370 कर दिया है. उनकी रणनीति की वजह से ही ज्यादातर रणनीतिकार बीजेपी की जीत की भविष्यवाणी कर रहे हैं.370 और 400 पार वाली बीजेपी की चुनावी रणनीति में विपक्षी दल बुरी तरह से फंस गए हैं.

Latest and Breaking News on NDTV

“इंडिया गठबंधन एक्टिव होने तक बहुत देर हो गई”

जब तक इंडिया गठबंधन एक्टिव हुआ, तब तक बहुत देर हो चुकी थी. बीजेपी पहले ही अपने नुकसान वाली जगह भर चुकी थी. पीके ने कहा कि इंडिया गठबंधन के ऐलान के बाद विपक्षी गुट ने महीनों तक कोई एक्शन नहीं लिया. उन्होंने पीएम चेहरे का भी ऐलान नहीं किया. जनता देख सकती है कि उनके पास बीजेपी के खिलाफ कोई विश्वसनीय चेहरा या स्ट्रॉन्ग नेरेटिव नहीं है. 

यह भी पढ़ें :-  'केजरीवाल को जेल में नहीं दिया जा रहा इंसुलिन', 30 जुलाई को INDIA गठबंधन का प्रदर्शन, AAP नेताओं ने बनाई रणनीति

“देश में विपक्ष कमजोर नहीं”

पीके ने कहा कि लोकतंत्र में भारत जैसे देश में जहां 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग दिन का 100 रुपए नहीं कमते हैं, ऐसी स्थिति में ये नहीं कहा जा सकता है कि देश में विपक्ष नहीं है और सभी लोग सरकार से खुश हैं. आज तक कोई भी दल देश के स्तर पर 50 प्रतिशत वोट नहीं ला सका. सरकार के पक्ष से ज्यादा विपक्ष वाले लोगों ने वोट दिया है. लेकिन सबसे ज्यादा वोट जिसको मिलेगा सरकार तो उसी की बनेगी. 310, 280, या 240, जितने से भी सरकार बने, विपक्ष तो फिर भी रहेगा. देश में CAA-NRC पर विरोध प्रदर्शन हुए, इससे कहा जा सकता है कि विपक्ष कमजोर नहीं हुआ है. विपक्ष हमेशा रहेगा.

पीके ने कहा कि यह अच्छी बात है कि हमारे पास एक मजबूत विपक्ष है. सरकार कोई भी दल बनाए, पार्टी को मजबूत विपक्ष का सामना करना ही पड़ेगा. जो भी दल जीतता है, उसे जनता के असंतोष को लेकर सावधान रहना होगा.

“बिहार में परिवर्तन लाना चाहता हूं”

प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार से होने के नाते उनकी कोशिश है कि उनके राज्य में सुधार और परिवर्तन आए. उन्होंने कहा कि बदलाव किसी को गाली देने से नहीं आएगा. इसके लिए समाजिक स्तर पर प्रयास करना होगा. यही सोच कर वह बिहार के 4800 गांवों में अब तक घूम चुके हैं. पहले वह नेताओं को उनके संगठन को मजबूत करने के लिए काम करते थे. अब वह किसी नेता या दल को सुझाव नहीं दे रहे हैं. अब वह बिहार के लोगों को सुझाव दे रहे हैं कि किस तरह के लोगों को जनप्रतिनिधि के तौर पर चुना जाए, यही पीके के जीवन का लक्ष्य है. पीके ने कहा कि उन्होंने 10 साल चुनावी रणनीतिकार के तौर पर दिए हैं, अब वह 10 साल बिहार को देना चाहते हैं. 

यह भी पढ़ें :-  क्या होती है आदर्श आचार संहिता? जानिए भारत में इसे पहली बार कब किया गया लागू

कौन हैं प्रशांत किशोर?

राजनीतिक जगत में प्रशांत किशोर कोई नया नाम नहीं हैं, वह एक जाना पहचाना चेहरा हैं. पीके के नाम से फेमस प्रशांत किशोर एक जाने माने राजनीतिक रणनीतिकार हैं, जो कि अब तक कई दलों के लिए काम कर चुके हैं. लेकिन वह साल 2014 में बीजेपी के लिए ब्रांडिंग कर चर्चा में आए थे. जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने, तो प्रशांत किशोर भी लोगों के बीच जाने-पहचाने जाने लगे. बीजेपी के चाय पर चर्चा, रन फॉर यूनिटी, मंथन जैसे कैंपेन का श्रेय प्रशांत किशोर को ही जाता है. वह पीएम मोदी, नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, जगन मोहन रेड्डी को सत्ता के सिंहासन पर बैठाने में अहम भूमिका निभा चुके हैं. 

UN में करीब 8 साल तक किया काम

 प्रशांत किशोर बिहार के बक्सर के रहने वाले हैं. उनका जन्म 20 मार्च 1977 को रोहतास जिले के कोनार गांव में हुआ था. बाद में उनका परिवार बक्सर में आकर बस गया. उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ा-लिखाई बक्सर से ही की. बाद में वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए हैदराबाद चले गए. इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद पीके संयुक्त राष्ट्र के एक हेल्थ प्रोग्राम से जुड़ गए. यूएन में काम करने के दौरान ही उनकी पहली पोस्टंग आंध्र प्रदेश के हैदराबाद में हुई थी. इसके बाद उनको पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम के लिए राबड़ी देवी सरकार के समय बिहार भेज दिया गया. इसके बाद प्रशांत किशोर ने UN मुख्यालय में भी सेवाएं दीं. इसी दौरान उनको चाड में डिवीजन हेड की पोजिशन मिली. उन्होंने यहां पर चार साल तक बाद किया. 

यह भी पढ़ें :-  सुप्रीम कोर्ट की समय सीमा समाप्त होने पर SBI पोल बांड का विवरण जमा करने में विफल रहा

2014 में बीजेपी के लिए बनाई चुनावी रणनीति

संयुक्त राष्ट्र में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में काम करने के बाद प्रशांत किशोर ने भारतीय राजनीति में कदम रखा. साल 2011 में वह गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की टीम से जुड़े साल 2023 में पीके ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी यानी कि I-PAC बनाई. साल 2014 में पीके ने सिटीजन फॉर अकाउंटेबल गवर्नेंस (कैग) बनाई. इसको देश की पहली राजनीतिक एक्शन कमेटी माना जाता है. 

सक्रिय राजनीति में नहीं चला PK का सिक्का

प्रशांत किशोर ने सक्रिय राजनीति में अपनी पारी की शुरुआत जेडीयू के साथ की थी. महज दो साल में उनका मोह भंग हो गया और उन्होंने JDU के उपाध्यक्ष का पद छोड़ दिया. इसके बाद भी वह चुनावी रणनीतिकार के तौर पर काम करते रहे. बिहार की राजनीति को नई दिशा देने के हक में उन्होंने गांधी जयंती के मौके पर 2 अक्टूबर 2022 से जन सुराज अभियान की भी शुरुआत की थी. 

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button