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NEET-UG की परीक्षा नहीं होगी रद्द, लेकिन NTA को क्लीन चिट नहीं : जानिए, SC में किसने क्या कहा

नीट-यूजी परीक्षा (NEET-UG Exam) दोबारा नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को नीट मामले में दोबारा परीक्षा कराने की मांग को खारिज कर दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने एनटीए को क्‍लीन चिट नहीं दी है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि डेटा से यह नहीं लगता है कि सिस्‍टमैटिक ब्रीच हुआ है या पूरी परीक्षा की गरिमा प्रभावित हुई है. साथ ही कोर्ट ने फिजिक्‍स के विवादित सवाल पर कहा कि उसका सही जवाब विकल्‍प 4 है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि जिन लोगों ने गड़बड़ी का फायदा उठाया है, उनकी पहचान करना संभव है. यदि आगे चलकर गड़बड़ी पाई जाती है तो उसका एडमिशन रद्द किया जा सकता है. आइए जानते हैं कि नीट मामले में सुप्रीम कोर्ट में दिनभर चली सुनवाई के दौरान क्‍या-क्‍या हुआ. 

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू होने पर सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने भौतिकी विभाग से एक समिति गठित की थी, जिसकी रिपोर्ट हमें मिल गई है. तीन विशेषज्ञों की समिति ने कोर्ट को बताया कि मेडिकल प्रवेश परीक्षा में पूछे गए भौतिकी के विवादास्पद प्रश्न का केवल एक ही सही उत्तर था, न कि दो. 

सीजेआई ने कहा कि विशेषज्ञ दल का मानना ​​है कि विकल्प चार सही है और कथन 2 गलत है क्योंकि रेडियोधर्मी पदार्थ के परमाणु स्थिर नहीं होते हैं इसलिए NTA ने अपनी उत्तर कुंजी में सही कहा कि विकल्प 4 सही था. करीब 9 लाख उम्मीदवारों ने पहला विकल्प चुना था, जबकि 4 लाख से ज्‍यादा ने दूसरा विकल्प चुना था और उन्हें 5 अंक (प्रश्न के लिए 4 अंक और 1 नकारात्मक अंक) खोने पड़ सकते हैं. 

व्‍यक्तिगत मामले को उठाए जाने पर जताई नाराजगी 

सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद इस मुद्दे पर सुनवाई की कि क्या पेपर लीक की वजह से पूरे NEET-UG की अखंडता से समझौता हुआ था. इस मामले में NTA की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बहस की. 

सुनवाई के दौरान एक वकील द्वारा व्यक्तिगत मामले को उठाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए कहा कि जिन उम्मीदवारों को व्यक्तिगत शिकायतें हैं, हम उन्हें हाईकोर्ट जाने को कह सकते हैं. मुझे नहीं लगता कि इस कोर्ट का काम व्यक्तिगत शिकायतों पर गौर करना है. हम उन मामलों को अलग कर देंगे. 

परीक्षा की ईमानदारी पर आघात हुआ : याचिकाकर्ता के वकील

याचिकाकर्ता की ओर से नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि एक ही प्रश्नपत्र को बार-बार दोहराने से परीक्षा की ईमानदारी पर आघात हुआ है, क्योंकि किसी को एक बार 3 घंटे 20 मिनट मिलते हैं, इन लोगों को एक ही दिन में दो बार 3 घंटे 20 मिनट मिलते हैं, प्रश्नपत्र एक ही रहता है. 

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उन्होंने तीन से चार केंद्रों के कुछ उदाहरण दिए हैं और कुछ संदेह जताया है. अब यह अदालत एक ऐसे मुद्दे की जांच कर रही है, जिसमें करीब 24 लाख छात्र शामिल हैं. कुल केंद्र 4750 हैं. अब यह देखना है कि इसका अखिल भारतीय प्रभाव है या नहीं? ऐसा कोई प्रभाव नहीं है. शीर्ष 100 छात्र 95 केंद्रों, 56 शहरों और 18 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में फैले हुए हैं. 

CJI ने कहा कि क्या इस टॉप 100 में हजारीबाग से कोई छात्र है? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हम 2022, 2023 और 2024 में इन केंद्रों की स्थिति भी दिखाएंगे. 

टॉप 100 कैंडिडेट 95 सेंटर और 56 शहरों से : SG

साथ ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि नीट परीक्षा में गड़बड़ी नहीं हुई है. टॉप 100 कैंडिडेट 95 सेंटर और 56 शहरों से हैं.  साथ ही उन्‍होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कुछ सेंटर का हवाला देकर गड़बड़ी की ओर इशारा किया है, लेकिन ये 24 लाख छात्रों से जुड़ा मसला है. आपको यह तय करना है कि गड़बड़ी का पूरे देश पर असर हुआ है या नहीं? इसका पूरे देश पर कोई असर नहीं है. 

उन्‍होंने कहा कि नीट में पर्सेंटाइल सिस्टम है. पर्सेंटाइल एक आंकड़ा है जो गणना के बाद आता है और इस परीक्षा में यह 50 पर्सेंटाइल था. इस परीक्षा में यह 164 अंक आता है और पिछले साल यह 137 अंक था. जो यह दर्शाता है कि इस साल छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है और 24 लाख छात्रों का यह बैच अधिक मेहनती था और पाठ्यक्रम कम किया गया था. 

सीजेाआई ने जब पूछा कि इसमें सवाई माधोपुर में कितने छात्र हैं? इस पर नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि 120. साथ ही उन्‍होंने कहा कि गाजियाबाद के लिए वे (केंद्र और एनटीए) इनकार मोड में हैं. 

योग्‍य छात्रों का यह मतलब यह नहीं कि उन्‍हें सीट मिल गई : SG

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि कई साल पहले पाया गया था कि मैनेजमेंट कोटा की सीटें ऐसे छात्रों से भरी हुई थीं जो योग्य भी नहीं थे. उन्‍होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के नारायणपुर में सबसे कम पर्सेंटाइल है. योग्य छात्रों की संख्या का मतलब यह नहीं है कि उन्हें सीट मिल गई है. उन्‍होंने कहा कि कोटा, सीकर, कोट्टायम, नमक्कल, राजकोट जैसे कुछ केंद्र हैं, जहां प्रतियोगी परीक्षाओं और यूपीएससी जैसी परीक्षाओं के लिए कोचिंग सेंटर हैं. उन्‍होंने कहा कि फैक्ट्री शब्द का इस्तेमाल हाल ही में आई वेबसीरीज के संदर्भ में किया गया है. 

सुनवाई के दौरान सीजेआई ने पूछा कि शुरुआत में गलत केनरा बैंक का पेपर दिया गया था? इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि कुछ सेंटर पर प्रश्नपत्र अलग-अलग भाषा माध्यम वाले भी दिए गए थे. राजस्‍थान का सवाई माधोपुर और गाजियाबाद ऐसे सेंटर थे. वहीं मेहता ने कहा कि गाजियाबाद के बारे में नहीं पता है. 

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गलत काम का दूर-दूर तक कोई अनुमान नहीं : SG

सीजेआई ने जब पूछा कि इसका पता कब चला तो याचिकाकर्ता ने कहा कि सवाई माधोपुर में छात्रों को  2:30 बजे सोशल मीडिया पर पता चला. यह हलफनामे मे कहा गया है. उन्‍होंने कहा कि 2 बजे परीक्षा शुरू हुई, प्रश्न दिए गए और छात्रों ने शिकायत की कि यह मेरे मीडियम का पेपर नहीं है. यह बात NTA को उसी दिन 4:30 बजे पता चली. 

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में कहा कि बिहार, पटना और बेलगावी में सफलता दर को देखा जाए. यहां की सफलता दर पिछले वर्षों से मेल खाती है. उन्‍होंने कहा कि बिहार (पटना) में सफलता की दर 49.22 प्रतिशत है. झारखंड के हजारीबाग में सफलता दर 47.28 प्रतिशत है. उन्‍होंने कहा कि हमने कुछ समय के लिए विंडो ओपन किया था, जिसके परिणामस्वरूप अधिक संख्या में उम्मीदवारों को प्रतिस्पर्धा करने का अवसर मिला, इससे किसी भी गलत काम का दूर-दूर तक कोई अनुमान नहीं लगता, लेकिन जो बात नहीं बताई गई वह यह थी कि 23 लाख छात्रों में से जिन लोगों ने केंद्र बदलने के लिए पोर्टल का उपयोग किया, उनकी संख्या मात्र 14000 थी. 

इस पर सीजेआई ने पूछा कि क्या जब कोई छात्र सेंटर में किसी बदलाव के लिए आवेदन करता है तो क्या आप कोई दस्तावेज मांगते हैं या कारण पूछते हैं? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार ऐसा नहीं किया जाता है. 

वहीं सीजेआई ने पूछा कि क्या आप देश में किसी भी सेंटर का विकल्प चुन सकते हैं? इस पर SG मेहता ने कहा कि  शहर का विकल्प है, केंद्र का नहीं है. हम इस बात पर सवाल नहीं करते कि बदलाव के लिए आपकी मांग उचित है या नहीं. 

जले हुए प्रश्‍नपत्रों में छात्रों का यूनिक कोड : SG

CJI ने पूछा कि केनरा बैंक का वितरण कैसे हुआ? सिटी कोऑर्डिनेटर को किसने अधिकृत किया? इस पर SG ने कहा कि जब हम 24 लाख छात्रों के साथ काम कर रहे होते हैं तो मानवीय भूल होती हैं, लेकिन प्राधिकरण पत्र डिजिटल रूप से होता है और इसे प्रिंट करके बैंक को भेजा जाता है. बैंक से सिटी कोऑर्डिनेटर को सौंपना सीसीटीवी कैमरों में रिकॉर्ड होता है. उन्‍होंने कहा कि यह एक खामी है. दोनों बैंकों को बताया जाना चाहिए कि आप कागजात जारी करते हैं और आप कागजात जारी नहीं करते हैं. मैं अदालत को कुछ भी गलत नहीं बताऊंगा.

SG ने कहा कि जांच के बाद हमें जो जले हुए प्रश्नपत्र मिले, उनमें छात्रों का यूनिक कोड था. अब हमारे पास ओएसिस स्कूल की सीसीटीवी फुटेज है. सुबह 8:02 बजे एक व्यक्ति ट्रक में प्रवेश करता है. वह इसे सॉल्वर को देता है. वहां 8 सॉल्वर होते हैं. प्रत्येक को 25 प्रश्न मिलते हैं. वे मोबाइल नहीं रखते क्योंकि वे नहीं चाहते कि यह उन लोगों तक पहुंचे, जिन्होंने भुगतान नहीं किया है. अब वे इसे याद कर लेते हैं. अब जब प्रश्नपत्र जल गए हैं तो एक प्रश्नपत्र में एक लड़की का नंबर था. जिसने बाद में शिकायत की कि उसके प्रश्नपत्र के साथ छेड़छाड़ की गई है. 

इतने छोटे एरिया पर कैसे फोकस किया : CJI

सीजेआई ने कहा कि अगर आप लाइटर से किसी प्लास्टिक को दोबारा सील करेंगे तो जाहिर है उस पर जलने के निशान होंगे और साथ ही जब आरोपियों ने कई महीने पहले किसी स्तर पर साजिश रची थी तो उन्होंने इसे इतने छोटे एरिया  पर कैसे फोकस किया. ह्यूमन बिहेवियर यह है कि आप अधिक लाभ कमाना चाहते हैं. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वो लोग नहीं चाहते थे कि पेपर उन लोगों तक पहुंचे जिन्होंने इसके लिए भुगतान नहीं किया. 

सीजेआई ने कहा कि हम जानते हैं कि एक जगह लीक हुआ था और इसकी शुरुआत हजारीबाग से हुई थी और व्हाट्सएप मैसेज पटना भेजा गया था. हम इस बात को लेकर अभी भी श्योर नही हैं कि लीक का समय क्या था और क्या कोई फोरेंसिक डेटा है जो यह दिखा सके कि सभी मैसेज कहां भेजे गए थे? साथ ही उन्‍होंने पूछा कि क्या कोई मोबाइल जब्त किया गया है? इस पर एनटीए ने कहा कि हमें उनकी फोरेंसिक जांच करनी होगी. एफएसएल रिपोर्ट से पता चलेगा कि वह पटना गया था या नहीं. 

सीजेआई ने कहा कि कल मैं कहीं पढ़ रहा था कि मोबाइल किसी नदी में फेंके गए थे. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया कि हमने उसे बरामद कर लिया है. वहीं सीजेआई ने कहा कि पहले हमने सोचा था कि सॉल्वर को 45 मिनट दिए गए थे, लेकिन यहां यह सुबह 8:30 बजे सॉल्वर के साथ हो सकता है. NTA ने कहा कि सॉल्वर का बयान है कि उन्हें सुबह 9:24 बजे पेपर भेजे गए थे. इस पर सीजेआई ने कहा कि मुख्य साजिशकर्ता का फोन नहीं मिल पाया है, जिससे इसकी पुष्टि हो सके. 

कंट्रोल रूम का ताला किसके कब्‍जे में था? :  CJI

साथ ही सीजेआई ने कहा कि कंट्रोल रूम का ताला किसके कब्जे में था. इस पर सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि वहां दो दरवाजे थे. एक दरवाजा सबके सामने बंद कर दिया गया और चाबी केंद्र अधीक्षक को दे दी गई. पीछे का दरवाजा जानबूझकर खुला रखा गया था. सुबह 7:53 बजे मुख्य दरवाजा बंद कर दिया गया था और सुबह 8:02 बजे व्यक्ति पीछे के दरवाजे से अंदर चला गया. और वो लोग सुबह 9:23 बजे कंट्रोल रूम से चले गए.

इस पर सीजआई ने कहा कि इसका मतलब वो लोग डेढ़ घंटे तक अंदर रहे. इस पर NTA ने कहा कि परीक्षा के पेपर सात परतों में रखे गए थे. वहीं जस्टिस पारदीवाला ने  कंट्रोल रूम के आसपास की सुरक्षा के बारे में पूछा?

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हम छात्रों को अधर में नहीं रख सकते हैं : CJI

CJI ने कहा कि अगर हम दोबारा परीक्षा का आदेश देते हैं तो छात्रों को पता होना चाहिए कि उन्हें तैयारी शुरू करनी है और अगर हम ऐसा नहीं करते हैं तो ये भी उन्हें भी पता होना चाहिए. हम उन्हें अधर में नहीं रख सकते, इसलिए हमें आज सुनवाई पूरी करनी होगी. 

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि फायदा उठाने वाले छात्रों का आंकड़ा (लीक का) 155 से ज्‍यादा नहीं होगा. उन्‍होंने कहा कि छात्र तो यह भी नहीं जानते थे कि इन कागजों को कैसे जलाया जाता है. वे तो नौसिखिए थे. पेपर जिन्हें मिले थे उनके रिजल्ट से जाहिर होता है कि केवल दो छात्र थे, जिन्हें 573 और 581 अंक मिले. यह इसलिए भी हो सकता है क्योंकि छात्र पढ़ने में अच्‍छे रहे होंगे. बाकी को 111 के आसपास नंबर मिले. ये वे लाभार्थी हैं, जिन्हें हमने उस तारीख तक पकड़ा था. 

मेहता ने कहा कि इस मामले में जांच में दर्ज किया गया है कि समस्या केवल चार स्थानों पर थी. आईआईटी रिपोर्ट से इसकी पुष्टि भी होती है. 

जस्टिस मनोज मिश्रा ने पूछा कि क्या टेलीग्राम पर पोस्ट किए गए पेपर और छात्रों को दिए गए पेपर के बीच उनकी फोरेंसिक तुलना है? क्या यह एक ही फॉन्‍ट में था. अगर यह टेलीग्राम पर पोस्ट किया गया लीक हुआ पेपर है तो मामला खत्म हो जाता है. अगर यह लीक से अलग जानकारी है तो यह एक गंभीर बात है. इसलिए फोरेंसिक जांच होती है?
इस पर मेहता ने कहा कि प्रश्नपत्र इसी परीक्षा के पेपर का है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि कोई फोरेंसिक रिपोर्ट है, जिस पर मेहता ने इनकार किया.

… इसलिए न्‍यायालय को न्‍यायिक समीक्षा नहीं करनी चाहिए : SG

SG ने कहा कि जांच से पता चलता है कि स्थानीय पहचान योग्य अनियमितता है और इसीलिए इस न्यायालय को न्यायिक समीक्षा नहीं करनी चाहिए. 

वहीं CJI ने कहा कि टेलीग्राम मामले के बारे में क्या? इस पर SG ने कहा कि देश में तबाही मचाने के लिए डिजिटल मीडिया का इस्तेमाल कैसे किया जा सकता है? उन्‍होंने कहा कि दस्तावेज देखें, हमारे एक अधिकारी भी सिर्फ सबूत इकट्ठा करने के लिए समूह में शामिल हुए थे. इसे आपके समक्ष रखा गया है. 

वहीं ⁠CJI ने कहा कि ठीक है, अकाउंट 6 मई को बनाया गया था. इस पर ⁠SG ने कहा कि 7 मई को अपलोड किया गया और 5 मई से पहले दिखाने के लिए हेरफेर की गई . 

SG ने कहा कि जांच से पता चलता है कि केवल स्थानीय स्तर पर पहचान योग्य कदाचार हुआ है. केवल व्यापक स्तर पर कदाचार या पेपर लीक की आशंका के आधार पर जो वास्तव में गलत है क्योंकि यह दो स्थानों तक ही सीमित था, दोबारा परीक्षा का आदेश नहीं दिया जा सकता. उन्‍होंने कहा कि ⁠23 लाख छात्रों का करियर दांव पर है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टेलीग्राम प्रश्नपत्र का फोटो केस डायरी से मेल नहीं खाता है और न केवल फांट बल्कि नंबरिंग भी मेल नहीं खाती है. इस पर मेहता ने कहा कि जांच से लोकल स्तर पर अनियमितता का पता चलता है और इसीलिए कोर्ट को ज्यूडिशियल रिव्यू पर ध्यान नहीं देना चाहिए. 

साथ ही उन्‍होंने कहा कि माननीय जजों को यह संतुष्टि प्रदान करने के लिए कि चोरी सुबह 8:02 से 9:23 बजे के बीच हुई थी, इसकी पुष्टि सीसीटीवी फुटेज से होती है. उन्‍होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के दो निष्कर्ष ये हैं कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि हल किए गए पेपर किसी भी रूप में उन चार जगहों को छोड़कर कहीं और भेजे गए. इस चोरी किए गए पेपर से लाभान्वित होने वाले उम्मीदवारों की कुल संख्या लगभग 155 है. 

साथ ही मेहता ने कहा कि अदालत के सामने सवाल यह है कि क्या केवल आशंका के आधार पर, जबकि वो किसी ठोस सबूत पर आधारित नहीं है, 23 लाख छात्रों को एक ही रंग में रंगने के लिए बाध्य करेंगे. 

याचिकाकर्ता के वकील ने की दोबारा परीक्षा कराने की मांग 

वहीं याचिकाकर्ता के वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि मुख्य आरोपी संजीव मुखिया, जिसपर गैंगस्टर का आरोप भी है अभी तक पकड़ा नहीं जा सका है. वो अन्य राज्यों में भी पेपर लीक में शामिल था. उन्‍होंने कहा कि पेपर लीक हुआ है, व्हाट्सएप के माध्यम से और विभिन्न राज्यों और सेंटर पर काम करने वाले गिरोह का कहना है कि लाभार्थी हजारीबाग और पटना में ही हैं क्योंकि आरोपियों के बयान में ऐसा कहा गया है.

इस दौरान सीजे‍आई ने एक याचिकाकर्ता के वकील मैंक्यूज नेंदूपरा को चेताया और कहा कि मैं अपनी कोर्ट का इंचार्ज हूं. हम आपको बोलने का नंबर देंगे, लेकिन इस तरह से नहीं. 

हुड्डा ने कहा कि सीबीआई नौसिखिया नहीं है, वह ऐसे बयानों को स्वीकार कर लेगी कि लीक पटना और हजारीबाग से आगे नहीं गई है. जिस आत्मविश्वास से एसजी कह रहे हैं कि यह लोकल मामला है. उन्‍होंने कहा कि अगर कल संजीव मुखिया को गिरफ्तार कर लिया जाता है और वह कहता है कि उसने इसे 200 और स्थानों पर भेजा है तो क्या अदालत दोबारा जांच न करने का आदेश देगी. 

सीजेआई ने कहा कि लेकिन क्या अदालत दोबारा जांच का आदेश दे सकती है, क्योंकि जांच अभी पूरी नहीं हुई है. हो सकता है कि लीक केवल दो स्थानों तक सीमित नहीं है. हम 23 लाख छात्रों का मैटर देख रहे हैं, लेकिन साथ ही हम आज किसी भी हद तक प्रथम दृष्टया यह नहीं कह सकते कि लीक पटना और हजारीबाग से आगे बढ़ गई है. 

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इस पर हुड्डा ने कहा कि यदि इसमें 1,000 लाभार्थी भी हैं तो भी फिर से टेस्ट होना चाहिए. उन्‍होंने कहा कि ईमानदारी वास्तव में खत्म हो गई है. यदि NEET एक मरीज है तो यह कई अंगों की विफलता से ग्रस्त है और मरीज को जाना ही होगा. उन्‍होंने कहा कि पूरी दुनिया देख रही है, पेपर लीक हो गया है, मोबाइल नहीं मिले हैं, परीक्षा की पवित्रता खत्म हो गई है और इस अदालत में केवल आंकड़े रखे जा रहे हैं. 

याचिकाकर्ता के वकील हुड्डा ने कहा कि  सभी परीक्षार्थियों के पास आधार कार्ड होना चाहिए था. परीक्षा केंद्र बदलने के लिए आधार क्यों नहीं मांगा गया. इस पूरी परीक्षा की पवित्रता खत्म हो गई है और इसे दोबारा आयोजित किया जाना चाहिए. 

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि नीट को लेकर कोई एक्सपर्ट कमेटी बनाई गई है क्या? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इसरो के पूर्व चेयरमैन के एस राधाकृष्णन के नेतृत्व में सात सदस्यीय कमेटी बनाई गई है. 

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की दोबारा परीक्षा कराने की मांग 

सीजेआई ने कहा कि इस मामले में अदालत के समक्ष उठाया गया मुख्य मुद्दा यह है कि इस आधार पर पुनः परीक्षा आयोजित करने का निर्देश जारी किया जाए कि एक प्रश्नपत्र लीक हुआ था और परीक्षा के संचालन में प्रणालीगत कमियां थीं. नीट-यूजी परीक्षा 14 विदेशी शहरों के अलावा 571 शहरों में 4750 केंद्रों पर आयोजित की गई थी. उन्‍होंने कहा कि 1,08,000 सीटों के लिए 24 लाख छात्र प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. अदालत को इस तथ्य से अवगत कराया गया है कि 50वां पर्सेंटाइल कट ऑफ का प्रतिशत दर्शाता है. परीक्षा में 180 प्रश्न होते हैं, जिनके कुल अंक 720 होते हैं और गलत उत्तर के लिए एक नकारात्मक अंक होता है. 

साथ ही उन्‍होंने कहा कि NEET 5 मई को आयोजित की गई थी और 4 जून को परिणाम घोषित किए गए थे. सीजेआई ने कहा कि इस न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में मुख्य मुद्दों पर विचार करते हुए एनटीए, केंद्र और सीबीआई से हलफनामे पर खुलासा करने को कहा था. दिल्ली, गुजरात, राजस्थान, बिहार, झारखंड में एफआईआर सीबीआई को ट्रांसफर किए जाने के बाद सीबीआई की भूमिका सामने आई. 

CJI ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने सिस्टमेटिक विफलता का सवाल उठाकर दोबारा परीक्षा की मांग की है. कई राज्यों में इसे लेकर FIR भी दर्ज हुई है. उन्‍होंने कहा कि दलीलें 4 दिन से अधिक समय तक सुनी गई हैं. हमने सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक श्री कृष्णा सहित सभी पक्षों को सुना है. 

CJI ने कहा कि हम निष्कर्ष निकालते हैं और मानते हैं कि तथ्य यह है कि नीट यूजी 2024 का पेपर हजारीबाग और पटना में लीक हुआ था, इस पर कोई विवाद नहीं है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि जांच को सीबीआई को सौंपे जाने के बाद सीबीआई ने 10 जुलाई की तारीख वाली अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है. 

सीबीआई की अभी तक की जांच में पटना और हजारीबाग के छात्र लाभार्थी लगते हैं. पटना और हजारीबाग के 155 छात्र इसके लाभार्थी लगते हैं. सीबीआई जांच अभी चल रही है. सीबीआई ने 17 और 21 जुलाई को रिपोर्ट दाखिल की है. खुलासे से पता चलता है कि जांच जारी है और सीबीआई ने संकेत दिया है कि सामग्री से पता चलता है कि हजारीबाग और पटना के परीक्षा केंद्रों से चुने गए 155 छात्र धोखाधड़ी के लाभार्थी प्रतीत होते हैं. चूंकि सीबीआई द्वारा जांच अंतिम रूप नहीं ले पाई है, इसलिए इस अदालत ने पिछले आदेश में केंद्र से यह संकेत देने को कहा था कि क्या 571 शहरों में 4750 केंद्रों के परिणामों से असामान्यता या अन्यथा के बारे में कुछ रुझान निकाले जा सकते हैं. केंद्र  ने डेटा एनालिटिक्स के आधार पर स्थिति को इंगित करते हुए आईआईटी मद्रास द्वारा विश्लेषण प्रस्तुत किया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वर्तमान स्थिति में इस निष्कर्ष पर पहुंचना कठिन है कि पूरी व्यवस्था को दूषित कर दिया गया है परीक्षा की पवित्रता को भंग किया गया है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए नीट परीक्षा दोबारा कराने की मांग को खारिज कर दिया और कहा कि इस नतीजे पर पहुंचना काफी कठिन है कि परीक्षा की पवित्रता भंग हुई है. 

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