देश

रतन टाटा को लेकर नीरा राडिया ने The Hindkeshariसे किए खुलासे, जैकी से लेकर सिंगूर तक के किस्से सुनाए

Ratan Tata Death: रतन टाटा के निधन (Ratan Tata) के बाद पहली बार नीरा राडिया (Niira Radia) ने The Hindkeshariसे बात की. पिछले 12 सालों में उन्होंने किसी भी मीडिया संस्थान से कोई बात नहीं की, लेकिन रतन टाटा के निधन के बाद पूर्व कॉरपोरेट पब्लिक रिलेशन ऑफिसर के साथ अपने अनुभवों को The Hindkeshariके साथ साझा किए. इस दौरान उन्होंने कई किस्से सुनाए.आपको याद दिला दें कि रतन टाटा का 9 अक्टूबर को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया था.

नैनो की लॉन्चिंग को याद करते हुए नीरा राडिया ने बताया कि रतन टाटा ने ‘1 लाख रुपये की कार’ नैनो बनाने का फैसला क्यों किया. बंद हो चुकी कंपनी वैष्णवी कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस की पूर्व अध्यक्ष राडिया ने कहा, “वह आम आदमी के लिए कुछ करना चाहते थे. वह चाहते थे कि बाइक पर एक व्यक्ति बारिश में भीग न जाए. एक अखबार ने कहा था कि रतन टाटा एक लाख रुपये की कार चाहते थे, लेकिन हमने कभी कोई नंबर नहीं दिया था.” 

यह पूछे जाने पर कि रतन टाटा ने नैनो के निर्माण के लिए पश्चिम बंगाल के सिंगूर को क्यों चुना, राडिया ने बताया कि रतन टाटा बंगाल में रोजगार और औद्योगीकरण बढ़ाना चाहते थे.इसलिए उन्होंने सिंगूर की घोषणा की.वह विकास के पक्ष में थे, राजनीति के लिए नहीं.जब बंगाल में नैनो संयंत्र को लेकर बड़ी लड़ाई छिड़ी तब टाटा समूह कोरस सौदे को लेकर बातचीत कर रहा था.फिर नैनो योजना साणंद (गुजरात में) में गई, आज साणंद गुरुग्राम जैसा है.सिंगूर समस्या नैनो या रतन टाटा को लेकर नहीं थी.यह लड़ाई एक राजनीतिक लड़ाई थी. सिंगुर तत्कालीन सत्ताधारी पार्टी के एक नेता का निर्वाचन क्षेत्र था… हमने जगह की तलाश में कई अन्य राज्यों का दौरा किया. हमें पंजाब, कर्नाटक और कई अन्य लोगों ने भी बुलाया था…मगर हम गुजरात में गए चूंकि यह थोड़ा अधिक औद्योगिकीकृत था और विकास की ओर बढ़ रहा था, इसलिए इसे वहां स्थापित करना आसान था. राडिया ने 2000 और 2012 के बीच टाटा समूह के लिए जनसंपर्क का काम संभाला था.वह रतन टाटा की मृत्यु तक उनकी प्रिय मित्र और करीबी विश्वासपात्र भी रहीं. राडिया ने कहा कि नैनो को बहुत ज्यादा सफलता नहीं मिलने के कारण रतन टाटा निराश थे, नैनो उन ऊंचाइयों तक नहीं पहुंच पाई, जिसकी कल्पना रतन टाटा ने की थी.

यह भी पढ़ें :-   जब टाटा की इस कार ने बदल दी थी भारत में कार बाजार की सूरत, रातों रात बदल गई थी कंपनी की 'किस्मत'

रतन टाटा आखिरी समय तक रहे अकेले, खुद बताई थी अपनी प्रेम कहानी…यहां जानिए उनकी लव स्टोरी

जब जैकी भाग गया

रतन टाटा के कुत्तों के प्रति प्रेम के बारे में नीरा ने एक किस्सा साझा किया. राडिया ने बताया, “मैं उनके बॉम्बे वाले गेस्ट हाउस में रहती थी. वहां आवारा कुत्ते रहते थे. रतन टाटा ने मुझसे पूछा कि क्या मैं उनके कुत्ते की देखभाल कर सकती हूं?मैंने हां कह दिया. हर दिन रतन टाटा का ड्राइवर कुत्ते (जैकी) के लिए खाना लाता था और हम भी उसे गेस्ट हाउस में खाना खिलाते थे. इससे कुत्ते का वजन बढ़ गया था और उसे टहलाने के लिए बाहर ले जाना पड़ा. एक दिन, ड्राइवर उसे मरीन ड्राइव टहलाने ले गया और जैकी बस भाग गया. इसके बाद जैकी के पीछे फॉर्मल और टाई पहने चार से पांच पीआर पेशेवर मरीन ड्राइव पर दौड़ रहे थे. फिर मैंने रतन को फोन किया और कहा कि जैकी भाग गया. आखिरकार हमें कुत्ता मिल गया.”

“…काम करना होगा”

राडिया की कंपनी ने 2000 से 2012 तक टाटा समूह के लिए जनसंपर्क का प्रबंधन किया, जिससे उन्हें टाटा की नेतृत्व शैली और मूल्यों के बारे में जानकारी मिली. नीरा ने एक हवाई अड्डे पर रतन टाटा के साथ हुई मुलाकात को याद किया. रतन टाटा ने सामान्य सुरक्षा जांच क्षेत्र में जाने का फैसला किया. वह स्क्रीनिंग के लिए खड़े थे. टाटा की उपस्थिति से अभिभूत एक सुरक्षा गार्ड ने उन्हें सलाम किया और आग्रह किया कि वह चेक न लें, और टाटा से कहा कि वह देश का गौरव हैं और उन्हें इससे गुजरने की जरूरत नहीं है. फिर भी टाटा ने विशिष्ट शालीनता के साथ अधिकारी से हाथ मिलाने से पहले जवाब दिया, “नहीं, नहीं, आपको अपना काम करना होगा.” 

यह भी पढ़ें :-  रतन टाटा अपने पीछे छोड़ गए हैं कितने हजार करोड़ की संपत्ति, जानिए कौन होगा वारिस

रतन टाटा के अनसुने किस्सों के साथ जानिए अब तक कौन-कौन रहे टाटा समूह के चेयरमैन


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button