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अधीर रंजन के आरोपों पर गुस्सायी निर्मला सीतारमण बोलीं- "राज्यों को बकाया ट्रांसफर करने में कोई भेदभाव नहीं"

उन्होंने इन आरोपों को अपने स्वार्थ के लिए एक समूह द्वारा फैलाई जा रही “राजनीतिक रूप से  निराधार कहानी” बताकर खारिज कर दिया.

कांग्रेस नेता ने लगाया था ये आरोप

यह बहस अधीर रंजन चौधरी  द्वारा शुरू किया गया था और यह “राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की वित्तीय व्यवहार्यता” पर एक डिबेट के अंत में हुआ.  लोकसभा में कांग्रेस नेता ने  सीतारमण और सत्तारूढ़ भाजपा पर विपक्ष शासित राज्यों के प्रति “मनमाने ढंग से” और “भेदभावपूर्ण” रुख अपनाने का आरोप लगाया. कांग्रेस नेता ने कहा, “ताजा उदाहरण कर्नाटक है… जहां पूरा मंत्रालय आपके प्रशासन के अंधाधुंध रवैये के खिलाफ आंदोलन कर रहा है. कुछ महीने पहले सब कुछ ठीक-ठाक था. लेकिन, जब से नई सरकार आई है, तब से परेशानी शुरू हो गई है.”

कर्नाटक नेता बुधवार को दिल्ली में करेंगे विरोध प्रदर्शन

वह पिछले हफ्ते कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया (Siddaramaiah) की टिप्पणियों का जिक्र कर रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि 2024 के अंतरिम बजट (Interim Budget 2024) में राज्य के साथ सौतेला व्यवहार किया जाएगा, जिसे कांग्रेस ने मई 2023 के चुनाव में जीता था.मुख्यमंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) ने सीतारमण द्वारा आवंटन की कमी और 15वें वित्त आयोग के तहत 11,000 करोड़ रुपये से अधिक के राजस्व नुकसान का आरोप लगाया. इसको लेकर कर्नाटक के नेता बुधवार को दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने वाले हैं.

वित्त मंत्री ने जीएसटी और इसके तीन प्राइमरी कॉम्पोनेंट – एसजीएसटी, यानी  स्टेट गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Integrated Goods and Services Tax) वस्तुओं और/या सेवाओं की अंतरराज्यीय आपूर्ति पर लगाया गया आईजीएसटी यानी  इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Integrated Goods and Services Tax) और सीजीएसटी यानी सेंट्रल गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (Central Goods and Services Tax)” पर  शॉर्ट एक्सप्लेनर के साथ बातचीत की शुरुआत की. 

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उन्होंने संसद को बताया कि एसजीएसटी (SGST) 100 प्रतिशत राज्यों को जाता है. यह ऑटोमेटिक प्रविजन है. आईजीएसटी (IGST) में अंतरराज्यीय भुगतान शामिल है (और) समय-समय पर समीक्षा की जाती है (और,) क्योंकि राज्यों को हाथ में पैसा मिलना चाहिए, इसे विभाजित किया जाता है और फिर समय-समय पर वास्तविक के अनुसार समायोजित किया जाता है.सीजीएसटी (CGST) को वित्त आयोग के अनुसार विभाजित किया गया है.

मुझे आवंटन बदलने का अधिकार नहीं: वित्त मंत्री

​​​​​​​उन्होंने कहा, “मैं विनम्रतापूर्वक कहना चाहती हूं… इसलिए अधीरजी कृपया समझें… मुझे आवंटन बदलने का अधिकार नहीं है. मेरी  सोच और इच्छा के अनुसार… या क्योंकि मुझे एक राज्य (सरकार) पसंद है या कोई अन्य मेरी पार्टी की राजनीति के ‘खिलाफ’ है. बिल्कुल नहीं”

वित्त मंत्री सीतारमण ने स्पष्ट रूप से कहा, “मेरी कोई भूमिका नहीं है…” “मुझे  वित्त आयोग की सिफारिशों का पालन 100 प्रतिशत करना है और यही हर वित्त मंत्री करता है जब कोई सिफारिश होती है, तो यह बिना किसी डर या पक्षपात के की जाती है” 

निर्मला सीतारमण ने गुस्साते हुए इन  दावों को खारिज कर दिया, उन्होंने कहा, “किसी भी वित्त मंत्री के हस्तक्षेप करने की कोई संभावना नहीं है, और कह रहे हैं, ‘मुझे यह राज्य पसंद नहीं है, इसलिए भुगतान रोका गया है. बिल्कुल नहीं” इसके बाद वित्त मंत्री भड़क गईं.

उन्होंने आगे कहा, अधीर जी कह रहे हैं  छह महीने पहले तक सब कुछ ठीक चल रहा था. अगर ऐसा था तो क्या ग़लत हुआ? क्या आपने उन आइटम पर खर्च करना शुरू कर दिया है जिन्हें आपको खर्च नहीं करना चाहिए? मैं उस पर सवाल नहीं उठा रहा हूं… लेकिन आपने इसे खर्च कर दिया है, इसलिए दोष केंद्र पर न डालें, क्योंकि यह रूल बुक के अनुसार चलता है.”

वित्त मंत्री सीतारमण ने कांग्रेस नेता की लताड़ लगाए हुए कहा ”अगर वित्त आयोग मुझे ऐसा करने के लिए नहीं कहता है तो मैं कुछ नहीं कर सकती… अधीर जी, कृपया यह न सोचें कि मेरे पास कोई स्वतंत्र अधिकार  है.कृपया वित्त आयोग से बात करें” इसके बाद वित्त मंत्री नमस्ते के साथ अपनी बात खत्म करते हुए अपनी सीट पर बैठ गईं.

 

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