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नीतीश कुमार का शासन लालू यादव के जंगलराज से भी बदतर: मुजफ्फरपुर में बरसे प्रशांत किशोर


पटना:

चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने रविवार को मुजफ्फरपुर में मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार पर जमकर हमला बोला. एक दिवसीय दौरे पर मुजफ्फरपुर पहुंचे प्रशांत किशोर ने तीखा हमला बोलते हुए कहा कि नीतीश कुमार का शासन काल लालू यादव के जंगलराज से भी बदतर है. साथ ही कहा कि नीतीश कुमार को कुर्सी के अलावा कुछ नहीं दिखता है. उन्‍होंने नीतीश सरकार पर मनरेगा जैसी योजनाओं के फंड का सही उपयोग नहीं कर पाने का भी आरोप लगाया. 

प्रशांत किशोर ने कहा कि आज बिहार की स्थिति लालू यादव के जंगलराज से भी ज्यादा बदतर हो चुकी है. नीतीश कुमार के शासनकाल में अधिकारियों का जंगलराज है. नीतीश कुमार की राजनीतिक नैतिकता खत्म हो चुकी है.

नीतीश को जनता की समस्‍या से मतलब नहीं: किशोर

उन्‍होंने कहा कि एक समय था जब नीतीश कुमार रेल मंत्री थे और पश्चिम बंगाल में रेल दुर्घटना में 200 लोगों की मौत पर उन्‍होंने इस्तीफा दे दिया था. आज इनकी पार्टी विधानसभा में हार चुकी है. 243 में से सिर्फ 42 सीट है, लेकिन ये मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार को सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है, उन्हें सिर्फ कुर्सी पर बैठना है, चाहे भाजपा के साथ रहें या फिर राजद के. जनता की समस्याओं से उन्हें कोई मतलब नहीं है. 

गरीबी-बेरोजगारी पर भी सरकार से पूछे सवाल

इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने बिहार के वित्त मंत्री सम्राट चौधरी से सीधा सवाल पूछा कि बिहार से 26 लाख करोड़ रुपए की पूंजी बैंकों के माध्यम से दूसरे राज्यों में क्यों गई, उनको बताना चाहिए कि सीडी रेशियो क्या है. 

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उन्होंने कहा कि RBI  का आंकड़ा बता रहा है कि 1990 से लेकर अभी तक बैंकों के माध्यम से 26 लाख करोड़ रुपये की पूंजी दूसरे राज्यों में चली गई. उन्होंने सरकार से मांग की कि सीडी रेशियो के आंकड़े जनता के सामने रखें और बताएं कि आखिर बिहार की पूंजी राज्य के बाहर क्यों भेजी गई. 

साथ ही उन्‍होंने कहा कि बिहार में गरीबी और बेरोजगारी को लेकर भी सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि बिहार में 80 फीसदी लोग रोज 100 रुपये भी नहीं कमा पाते हैं. बिहार में प्रति व्‍यक्ति आय 34 हजार रुपए हैं, अगर पटना और बेगूसराय को हटा दें तो प्रतिव्यक्ति आय मात्र 25 हजार रुपए है. साथ ही उन्‍होंने आरोप लगाया कि सरकार मनरेगा जैसी योजनाओं के फंड का सही उपयोग नहीं कर पा रही है. 
 


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