देश

कांग्रेस और राजद को ‘भयभीत और भ्रमित’ करना चाहते हैं नीतीश : सुशील मोदी

सुशील मोदी ने संवाददाताओं से कहा, “हम उन ताकतों के साथ जुड़ना चाहेंगे जो हमें फायदा पहुंचा सकती हैं और जिन्हें हमसे फायदा हो सकता है. नीतीश कुमार के पास एक तरह से कोई जनाधार नहीं बचा है, यही कारण है कि उनकी पार्टी 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 44 सीटों पर ही सिमट गई थी. उनके साथ फिर से गठबंधन करने का सवाल ही नहीं उठता. यह हमारे राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी बार-बार दोहराया है.”

वह उन अटकलों के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे कि नीतीश ने बृहस्पतिवार को एक समारोह में केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार में मंत्री के रूप में सेवा दे चुके वरिष्ठ भाजपा नेता राधा मोहन सिंह के साथ ‘‘व्यक्तिगत दोस्ती” की बात करते हुए भाजपा को संकेत देने की कोशिश की थी. नीतीश कुमार ने पूर्वी चंपारण के मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में यह टिप्पणी की थी. कुछ घंटों बाद, एम्स, पटना के दीक्षांत समारोह में उन्होंने मीडिया के एक वर्ग द्वारा उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करने पर नाराजगी व्यक्त की थी.

सुशील के मुताबिक जदयू नेता कांग्रेस और राजद को ‘भयभीत’ और ‘भ्रमित’ करने की कोशिश कर रहे थे. सुशील मोदी, नीतीश कुमार को 1970 के दशक से जानते हैं, तब दोनों छात्र नेता थे और उन्होंने लोकनायक जयप्रकाश नारायण द्वारा शुरू किए गए बिहार आंदोलन में अपनी भूमिका निभाई थी. उन्होंने कहा, “नीतीश कुमार सोच रहे होंगे कि ऐसा करके वह यह संदेश दे पाएंगे कि उनके पास और भी विकल्प है जो उनके वर्तमान सहयोगियों को नियंत्रण में रखेगा. जो भी हो, उन्होंने भाजपा से नाता तोड़ लिया है, जब से वह हमसे अलग हुए हैं उनकी पार्टी भी कमजोर हो गई है.”

यह भी पढ़ें :-  चुनावी बॉन्ड से BJP को मिले 6,986.5 करोड़ रुपये ; जानें किस पार्टी को मिली कितनी रकम

सुशील मोदी ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह (जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष) और जीतन राम मांझी ने जदयू का साथ छोड़ दिया. उनके दर्जन-भर नेता भाजपा में आए, लेकिन भाजपा छोड़ कर कोई नहीं गया. सुशील मोदी ने कहा, ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय गठबंधन (राजग) से 2014 के लोकसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार अलग होकर लड़े थे तब बिहार की 40 में से दो सीटों पर जदयू सिमट गई थी . 2024 में उनकी संख्या शून्य हो जाएगी. भाजपा हाल के दिनों में और मजबूत हुई है, जैसा कि पिछले एक साल में तीन सीटों पर हुए उप-चुनावों में हमारे बेहतर प्रदर्शन से स्पष्ट है.”

इस बीच, जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने आरोप लगाया कि मीडिया का एक वर्ग ‘‘यह दिखाने के एजेंडे पर काम कर रहा है कि हमारी पार्टी में उथल-पुथल है.” ललन ने कहा, “कभी-कभी वे कहते हैं कि नीतीश कुमार भाजपा के करीब आ रहे हैं. कभी-कभी वे यहां तक कहते हैं कि पार्टी के सर्वोच्च नेता और मेरे बीच सब कुछ ठीक नहीं है. नीतीश कुमार का फिर से भाजपा के साथ हाथ मिलाने का कोई सवाल ही नहीं है.”

ललन ने आरोप लगाया, “भाजपा पीठ में छुरा घोंपने वालों की पार्टी है, जैसा कि 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में स्पष्ट था और हमारी पार्टी के एक सदस्य की मदद से जदयू के खिलाफ साजिश रचने का प्रयास किया गया था.” ललन का इशारा तत्कालीन लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अध्यक्ष चिराग पासवान और आरसीपी सिंह की ओर था. 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू द्वारा लड़ी गई सभी सीटों पर लोजपा ने अपने उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें कई भाजपा के बागी थे. वहीं सिंह कथित तौर पर नीतीश कुमार की मंजूरी के बिना केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किए गए थे.

यह भी पढ़ें :-  जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों के बीच PM मोदी की हाई लेवल मीटिंग, गृहमंत्री शाह और NSA डोभाल से की बात

ललन सिंह ने कहा, “नीतीश कुमार व्यक्तिगत संबंधों का सम्मान करने में विश्वास करते हैं लेकिन यह भी याद रखना चाहिए कि उन्होंने अगले साल नरेन्द्र मोदी को सत्ता से हटाने की प्रतिबद्धता जताई है. वह एकाग्रचित्त होकर लक्ष्य को पाने की कोशिश कर रहे हैं.”

 

Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button