सभापति धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्तावः 7 सांसदों वाली BJD किसके साथ? जानें नवीन पटनायक ने क्या कहा
नई दिल्ली:
बीजू जनता दल (बीजद) के अध्यक्ष नवीन पटनायक ने मंगलवार को कहा कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के ‘इंडिया’ गठबंधन के संभावित कदम पर उनकी पार्टी ‘‘आवश्यक कदम” उठाएगी. ओडिशा के पूर्व मुख्यमंत्री पटनायक ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया कि अगर राज्यसभा में धनखड़ के खिलाफ कोई अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो बीजद उसका समर्थन करेगी या नहीं. संसद के ऊपरी सदन में बीजद के सात सदस्य हैं.
धनखड़ के खिलाफ संभावित अविश्वास प्रस्ताव पर पार्टी के रुख के बारे में पूछे गए सवाल के जवाब में बीजद अध्यक्ष ने कहा, ‘‘हम जांच कर रहे हैं. जो भी आवश्यक कदम होगा, हम उठाएंगे.” राज्यसभा में बीजद के सात सदस्यों को महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि विपक्षी दलों के पास सदन में प्रस्तावित अविश्वास प्रस्ताव को पारित कराने के लिए संसद के ऊपरी सदन में अपेक्षित संख्या नहीं है.
राज्य सभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीके से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके खिलाफ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. यह प्रस्ताव अभी राज्यसभा के सेक्रेटरी जनरल को सौंपा गया है.
विपक्ष का आरोप
गौरतलब है कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के घटक दलों ने जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद से हटाने के लिए प्रस्ताव लाने संबंधी नोटिस मंगलवार को सौंप दिया. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने संसद परिसर में संवाददाताओं को बताया कि करीब 60 सांसदों के हस्ताक्षर वाला नोटिस राज्यसभा सभापति के सचिवालय को दिया गया है.
राज्यसभा के माननीय सभापति द्वारा अत्यंत पक्षपातपूर्ण तरीक़े से उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन करने के कारण INDIA ग्रुप के सभी घटक दलों के पास उनके ख़िलाफ़ औपचारिक रूप से अविश्वास प्रस्ताव लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. INDIA की पार्टियों के लिए यह बेहद ही कष्टकारी निर्णय रहा है, लेकिन संसदीय लोकतंत्र के हित में यह अभूतपूर्व कदम उठाना पड़ा है.
कांग्रेस नेता जयराम रमेश
सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दलों ने नोटिस देने के लिए अगस्त में ही जरूरी संख्या में हस्ताक्षर ले लिए थे, लेकिन वे आगे नहीं बढ़े क्योंकि उन्होंने धनखड़ को ‘‘एक और मौका देने” का फैसला किया था, लेकिन सोमवार के उनके आचरण को देखते हुए विपक्ष ने इस पर आगे बढ़ने का फैसला किया. विपक्ष के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘‘सभापति का आचरण अस्वीकार्य है. वह भाजपा के किसी प्रवक्ता से ज्यादा वफादार दिखने का प्रयास कर रहे हैं.”
क्या कहता है सविधान
संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति की नियुक्ति और उन्हें पद से हटाने से जुड़े तमाम प्रावधान किए गए हैं. संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में कहा गया है, “उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के एक प्रस्ताव, जो सभी सदस्यों के बहुमत से पारित किया गया हो और लोकसभा द्वारा सहमति दी गई हो, के जरिये उनके पद से हटाया जा सकता है. लेकिन कोई प्रस्ताव तब तक पेश नहीं किया जाएगा, जब तक कम से कम 14 दिनों का नोटिस नहीं दिया गया हो, जिसमें यह बताया गया हो ऐसा प्रस्ताव लाने का इरादा है.”
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे सहित कांग्रेस के कई सदस्यों ने सोमवार को सभापति जगदीप धनखड़ पर राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान ‘पक्षपातपूर्ण रवैया’ अपनाने का आरोप लगाया था.