सिर्फ अदाणी ही नहीं, CM रहते हुए कई कारोबारियों से की मुलाकात, ये मेरी ड्यूटी का हिस्सा: जगन मोहन रेड्डी
नई दिल्ली:
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने 2021 में एक बिजली सौदे से जुड़े रिश्वतखोरी के अमेरिकी आरोपों को खारिज कर दिया है. जगन मोहन ने कहा कि उन्होंने अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी से मुलाकात की थी. लेकिन बिजली सौदे से उनका कोई कनेक्शन नहीं है. The Hindkeshariके साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जगन मोहन रेड्डी ने कहा, “आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री रहते हुए मैंने सिर्फ अदाणी ही नहीं, बल्कि कई उद्योगपतियों से मुलाकात की थी. ऐसा निवेश के मकसद से किया गया था. मेरी समझ में ये बतौर मुख्यमंत्री मेरी ड्यूटी का हिस्सा था.”
रेड्डी ने कहा, “2019 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से मैंने कई टॉप बिजनेसमैन से मुलाकात की है. उनमें गौतम अदाणी भी शामिल थे. घूस के मामले में मेरे नाम का कहीं भी जिक्र नहीं है. जो भी खबरें रिपोर्ट हुई हैं, वो सब अफवाहें हैं. मैंने अपनी तरफ से जितनी जानकारी जुटाई है, उसमें कभी भी मेरा नाम नहीं लिखा है. इसमें सिर्फ एक फैक्ट सही है कि गौतम अदाणी के साथ मैंने मुलाकात की थी. उसके बाद ही पावर सेल एग्रीमेंट हुआ.”
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— The Hindkeshari(@ndtv) November 29, 2024
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जगन मोहन रेड्डी कहते हैं, “अदाणी के साथ अगस्त 2021 में हुई मीटिंग और दिसंबर 2021 में साइन की गई पावर डील के बीच कोई कनेक्शन नहीं है.” उन्होंने कहा, “मैं 2019 से अपने कार्यकाल के आखिर तक गौतम अदाणी से कम से कम 5-6 बार मिल चुका हूं. इनमें से सिर्फ अगस्त 2021 की बात ही क्यों की जा रही है? अगस्त के बाद भी निवेश के मकसद से मेरी अदाणी ग्रुप के चेयरमैन से मीटिंग हो चुकी है. अगस्त से पहले भी मैं कई बार उनसे मिल चुका हूं. सिर्फ अदाणी ही नहीं, मैंने उनके अलावा और भी कई नामी उद्योगपतियों से मुलाकात की है. मेरा मानना है कि यह मुख्यमंत्री के कर्तव्यों में से एक है.”
उन्होंने कहा, “अगर कोई आंध्र प्रदेश में आकर निवेश करना चाहता है, तो वह CM से मिलेगा ना… इसमें बुराई क्या है? कोई भी कारोबारी निवेश करने से पहले CM से मिलकर इस बात की तसल्ली जरूर करना चाहेगा कि जहां वह निवेश करने जा रहे हैं, वहां कितनी सेफ्टी है? कितना रिटर्न मिलेगा? यही वजह है कि हर राज्य कॉम्पिटिशन कर रहा है और इंडस्ट्रियल समिट ऑर्गनाइज कर रहा है.”
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7000 मेगावाट वाला पावर डील करने की बताई वजह
आखिर आंध्र प्रदेश में 25 साल की अवधि के लिए 7000 मेगावाट वाले पावर डील की क्यों जरूरत महसूस हुई? इसके जवाब में रेड्डी कहते हैं, “ऐसा इसलिए था, क्योंकि डील की शर्ते राज्य के फेवर में थीं. इसमें अदाणी ग्रुप या किसी दूसरे ग्रुप का कोई लेनादेना नहीं था.”
रेड्डी ने कहा, “यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण पहलू है, जिसे किसी को कभी नहीं भूलना चाहिए. 15 सितंबर को केंद्र सरकार की कंपनी SECI ने राज्य सरकार को लेटर लिखा था. इसमें कहा गया था कि कंपनी 2.49 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली की पेशकश करने को तैयार है. ये हमारे टेंडरिंग प्रोसेस में खोजी गई सबसे कम कीमत थी. इसके साथ ही SECI की तरफ से हमें स्पेशल इंसेंटिव के तौर पर इंटर स्टेट ट्रांसमिशन चार्जेस में भारी छूट का ऑफर भी दिया गया था.”
अदाणी ग्रुप ने भी सभी आरोपों को किया खारिज
इससे पहले अदाणी ग्रुप ने भी पावर प्रोजेक्ट के लिए घूस देने का आरोप लगाने वाली अमेरिकी सरकारी विभाग की रिपोर्ट का पुरजोर खंडन किया है. अदाणी ग्रुप ने कहा कि इस मामले में हर कानूनी पक्षों को देखा जाएगा. अदाणी ग्रुप ने हमेशा अपने ऑपरेशन के सभी क्षेत्रों में गवर्नेंस, ट्रांसपिरेंसी और रेगुलेटरी नियमों में हाइएस्ट स्टैंडर्ड बनाए रखने की कोशिश की है. हम अपने स्टैकहोल्डर, पार्टनर और एम्प्लॉयी को भरोसा दिलाते हैं कि कानून का पालन करने वाले संगठन हैं.”
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